पिछले 10 सालों में भारत की जीडीपी डबल दो से चार ट्रिलियन डॉलर हो गई है। पिछले 10 सालों में देश की अर्थव्यवस्था को स्ट्रोंग बनाने के लिए भारत सरकार ने बहुत सारे रिफॉर्म किए और इन्हीं रिफॉर्म को स्टडी करने के बाद तमाम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का कहना है कि अभी तो इंडिया की ग्रोथ जर्नी की शुरुआत हुई है। कई सारे इकोनॉमिक एक्सपर्ट का कहना है कि अगर भारत इसी हिसाब से ग्रो करता रहता है तो 2027 तक दुनिया की थर्ड लार्जेस्ट इकॉनमी बन जाएगा और साथ में पांच ट्रिलियन डॉलर जीडीपी बन जाएगा और साथ में 2033 34 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी होगा और एक इकोनॉमिक पावर हाउस होगा। पर अगर भारत को आने वाले पांच से 10 सालों में एक इकोनॉमिक पावर हाउस बनना है तो उसके लिए 10 सेक्टर का बहुत इंपॉर्टेंट रोल होने वाला है। अब वो 10 सेक्टर कौन से हैं? आइए जानते हैं। भारत 21st सेंचुरी में टेक्नोलॉजी सुपरपावर देश बनेगा या नहीं? वो सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के बेस पर ही डिसाइड होने वाला है। सेमीकंडक्टर दुनिया का डिजिटल ब्रेन है। सेमीकंडक्टर्स को समझना मतलब दुनिया की इकॉनमी को समझना है। जैसे तेल के बिना कार नहीं चलती है। वैसे ही आज के जमाने में स्मार्टफोन, लैपटॉप, एआई, डिफेंस सिस्टम, सैटेलाइट, इलेक्ट्रिक व्हीकल, सब कुछ सेमीकंडक्टर पर ही चल रहा है। आप जो वीडियो देख रहे हो, उसके पीछे भी एक चिप का मैजिक है और इसीलिए कंट्रीज के बीच इस समय एक चिप वॉर शुरू हो चुकी है। 2024 में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री की वैल्यू थी लगभग $600 बिलियन और 2030 तक प्रेडिक्ट की जा रही है कि $1 ट्रिलियन को क्रॉस कर जाएगी। मतलब पैसा ही पैसा। लेकिन प्रॉब्लम यह है कि दुनिया के सिर्फ कुछ कंट्रीज ही इसमें टॉप पर हैं। ताइवान, साउथ कोरिया, यूएसए, चाइना और जापान। ताइवान के टीएसएमसी और साउथ कोरिया की Samsung आज के समय सबसे ज्यादा चिप बना रहे हैं। ताइवान अकेले दुनिया की 60% चिप बनाता है। साउथ कोरिया मेमोरी चिप में किंग है। यूएसए डिजाइन और आरएनडी में लीडर है और चाइना रॉ मटेरियल का सप्लायर किंग है। लेकिन एक कॉमन प्रॉब्लम है, जियो पॉलिटिक्स। अगर ताइवान पर चाइना अटैक करता है तो पूरी दुनिया की सप्लाई चेन कोलैप्स हो सकती है। तो इसी के चलते आज के समय दुनिया की जो टॉप इकॉनमीज हैं, वो अपने यहां सेमीकंडक्ट है सेमीकंडक्ट इंडिया प्रोग्राम लॉन्च किया था, जिसमें गवर्नमेंट ने $10 बिलियन इंसेंटिव अनाउंस किया था। ऑब्जेक्टिव क्लियर था। इंडिया में चिप मैन्युफैक्चरिंग से लेकर डिजाइनिंग, असेंबली, टेस्टिंग और रिसर्च को प्रमोट करना था। सेंट्रल गवर्नमेंट के अलावा भारत की कई स्टेट भी सेमीकंडक्टर की रेस में कूद गए। गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटका, तमिलनाडु की सरकार ने अपने यहां अलग से सेमीकंडक्टर पॉलिसी लॉन्च की, जिसमें लैंड अलॉटमेंट, पावर सब्सिडीज और सिंगल विंडो क्लीयरेंस प्रॉमिस किया गया। जिसके बाद कई ग्लोबल कंपनीज और साथ में इंडियन कंपनीज ने इन्वेस्टमेंट करना शुरू किया और अब भारत में कई राज्यों के बीच सेमीकंडक्टर की रेस शुरू हो गई है और इस समय इस रेस में सबसे आगे गुजरात है। गुजरात में कई कंपनीज ने इन्वेस्टमेंट किया है। जैसे कि टाटा, धौलेरा में $91000 करोड़ रुपए की एआई इनेबल चिप फैब्रिकेशन फैसिलिटी बना रहा है। इसके अलावा सनंद में तीन कंपनीज माइक्रोन टेक्नोलॉजी, सीजी पावर एंड रेनेसिस और कायस सेमीकंड, ये टीआयएम फैसिलिटी, गोस एट बैकएंड यूनिट, फैब एंड बैकएंड असेंबली फैसिलिटी बना रही हैं। 2026 से भारत में भी सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग शुरू हो जाएगी और भारत को पहली सेमीकंडक्टर चिप गुजरात के धोलेरा से ही मिलने वाली है। धोलेरा को इंडिया का फ्यूचर सेमीकंडक्टर हब बोला जा रहा है। अब सवाल यह है कि धोलेरा ही क्यों? तो देखो, सिंपल सी बात है। अगर आपको सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री सेटअप करनी है, तो उसके लिए वॉटर, पावर, कनेक्टिविटी, पॉलिसी सब वर्ल्ड क्लास चाहिए। तो धोलेरा नेचुरल चॉइस है। धोलेरा सिर्फ एक सिटी नहीं है, एक विजन है। धोलेरा भारत की पहली कमर्शियल इंडस्ट्रियल के साथ-साथ रेसिडेंशियल सिटी भी होने वाली है। धोलेरा में ऑलरेडी बड़ी-बड़ी कंपनीज ने इन्वेस्टमेंट करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा धोलेरा में चाइना से बेटर इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है। मॉनसून के समय धोलेरा में भी पानी बढ़ जाता है तो उसके लिए प्रॉपर रिवर फ्रंट बनाया जा रहा है। धोलेरा में सब कुछ अंडरग्राउंड रहने वाला है। सीवेज पाइपलाइन, गैस पाइपलाइन, ड्रेनेज पाइपलाइन। धोलेरा में वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम पर भी बहुत काम हो रहा है। जिससे वहां का एनवायरमेंट खराब ना हो। धोलेरा को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए इजी बिजनेस पॉलिसी बनाई जाएगी। जिसके चलते कंपनीज को लंबे प्रोसीजर्स से होकर नहीं गुजरना पड़ेगा। धोलेरा का अपना एक एडमिनिस्ट्रेशन टावर होगा। एबीसीडी बिल्डिंग कंपनीज को मैन्युफैक्चरिंग के लिए सारा अप्रूवल एक जगह से ही मिल जाएगा। जिसके चलते धोलेरा में मैन्युफैक्चरिंग करना बहुत आसान हो जाएगा। इसके अलावा धोलेरा कोस्टल रीजन के भी पास है। जिसके चलते धोलेरा से एक्सपोर्ट करना भी बहुत आसान होने वाला है। तो आने वाले समय में धोलेरा में जैसे-जैसे कंपनीज और आएंगी, मैन्युफैक्चरिंग बढ़ेगी। वैसे-वैसे धोलेरा में रियल एस्टेट की प्राइस भी बढ़ने लगेगी और यह आपको हिस्ट्री में भी देखने को मिलेगा। जैसे कि मुंबई, बैंगलोर और अब धोलेरा में भी रियल एस्टेट की प्राइस बढ़ती जा रही है। तो अगर आपको धोलेरा से रिलेटेड कोई भी इंफॉर्मेशन चाहिए या इन्वेस्टमेंट रिलेटेड इंफॉर्मेशन चाहिए, तो आप नेस्टोरिया ग्रुप से कांटेक्ट कर सकते हैं। कांटेक्ट नंबर डिस्क्रिप्शन में दिया गया है। गवर्नमेंट का विजन है कि 2030 तक इंडिया सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन का एक मेजर हब बन जाए। इंडिया में चिप मैन्युफैक्चरिंग से लेकर डिजाइनिंग, असेंबली, टेस्टिंग और रिसर्च सब कुछ हो। इस समय इंडिया में 10 चिप प्रोजेक्ट चल रहे हैं और फ्यूचर में प्रोजेक्ट के नंबर और तेजी से बढ़ने ही वाले हैं। इंडिया यहां पे ताइवान का मॉडल से सीख रहा है। ताइवान ने कंपनीज को सब्सिडीज दिया, स्किल्ड मैनपावर को ट्रेन किया और ग्लोबल डिमांड कैप्चर किया। इंडिया अगर इसी मॉडल पे फ्यूचर में भी चलता रहता है, तो इंडिया का फ्यूचर ब्राइट है। सेमीकंडक्टर के बाद इंडिया को इकोनॉमिक पावर हाउस बनाने में अगर कोई सेक्टर मेजर रोल प्ले कर सकता है, तो वह है इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर। बहुत से देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था को इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के दम पे मजबूत किया है और अब भारत भी यही करने की कोशिश में लगा हुआ है। पिछले 10 सालों से भारत में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग बढ़ती जा रही है। जिसके चलते भारत का इलेक्ट्रॉनिक एक्सपोर्ट भी बढ़ता जा रहा है। 2014 में भारत ने $29 बिलियन की इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्शन की थी, जो 2024 में बढ़ के $135 बिलियन हो गई है। पिछले 10 साल में एक्सपोर्ट $38000 करोड़ से बढ़ के $327000 करोड़ हो गए हैं। भारत दुनिया का सेकंड लार्जेस्ट स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग कंट्री बन गया है। 2014 में भारत में सिर्फ $18000 करोड़ की वैल्यू की स्मार्टफोन प्रोडक्शन हुई थी, वो अब $5.5 लाख करोड़ पहुंच गई है। एक्सपोर्ट $5000 करोड़ से $2 लाख करोड़ को क्रॉस कर गया है। 2014 में भारत में 90% स्मार्टफोन इंपोर्ट होते थे। आज के समय भारत में जो स्मार्टफोन यूज हो रहे हैं, वो 97% मेड इन इंडिया हैं। Apple, Samsung के स्मार्टफोन इंडिया में मैन्युफैक्चर और असेंबल हो रहे हैं। भारत की जीडीपी में इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर का कॉन्ट्रिब्यूशन 3% है। पर आने वाले समय में ये 5 से 6% हो जाएगा। भारत की इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री में 13 मिलियन लोग डायरेक्ट और इनडायरेक्ट जॉब करते हैं। इंडिया में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2020 को पीएलआई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम लॉन्च की थी। इस स्कीम में भारत सरकार का कहना है कि अगर कोई भी कंपनी भारत में मैन्युफैक्चरिंग करती है, तो उन कंपनीज को भारत सरकार की तरफ से इंसेंटिव मिलेगा। इंसेंटिव कमाने के लिए हर सेक्टर में अलग-अलग नियम-कानून बनाए गए हैं। उसमें से कॉमन रूल सभी सेक्टर के लिए यह है कि कंपनी को मैन्युफैक्चरिंग भारत में करना पड़ेगा। मतलब आप कोई भी प्रोडक्ट बना रहे हो, वो प्रोडक्ट आपको भारत में ही बनाना पड़ेगा। डिफरेंट-डिफरेंट कंट्रीज से पार्ट मंगवाके भारत में असेंबल करने वाली कंपनीज को इंसेंटिव नहीं दिया जाएगा। पीएलआई स्कीम से भारत धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है। वर्ल्ड बैंक ने भी पीएलआई स्कीम की तारीफ की है। वर्ल्ड बैंक का मानना है कि पीएलआई स्कीम से भारत की अर्थव्यवस्था में भी काफी सुधार आया है। तो देखा जाए, पीएलआई स्कीम से भारत को अच्छा खासा फायदा हुआ है। पर अभी तो यह सिर्फ शुरुआत हुई है। नेक्स्ट 10 इयर्स में पीएलआई स्कीम इंडिया के इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर के लिए गेम चेंजर साबित होने वाली है। The economy is changing and फार्मास्यूटिकल सेक्टर में एक महाशक्ति है। पेंडमिक के समय भारत ने पूरी दुनिया को बता दिया था कि क्यों उसे फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है। भारत ने वैक्सीन मैत्री के अंदर 100 से ज्यादा देशों को फ्री वैक्सीन दी थी। भारत की इस एक्शन की सराहना यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में वर्ल्ड लीडर्स ने भी की थी। इस समय भारत वर्ल्ड का लार्जेस्ट वैक्सीन प्रोड्यूसर है। दुनिया की 50% वैक्सीन की डिमांड भारत ही फुलफिल करता है। इसके अलावा इंडिया वर्ल्ड का लार्जेस्ट जेनेरिक मेडिसिन का प्रोड्यूसर है। यूएस की 40% और यूके के 25% जेनेरिक मेडिसिन की डिमांड भारत फुलफिल करता है। डब्लूएचओ की 65% डीपीटी और बीसीजी वैक्सीन और 90% मीसल्स वैक्सीन की मांग को भी भारत पूरी करता है। अमेरिका के बाद भारत के पास सबसे ज्यादा यूएस एफडीए अप्रूव्ड फार्मा प्लांट है। भारत की फार्मा इंडस्ट्री वॉल्यूम के हिसाब से वर्ल्ड की थर्ड लार्जेस्ट इंडस्ट्री है और वैल्यू के हिसाब से 13th लार्जेस्ट इंडस्ट्री है। भारत के फार्मा सेक्टर का भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान है। भारत के फार्मा सेक्टर की मार्केट साइज $55 बिलियन है। 2030 तक ये $130 बिलियन को क्रॉस कर जाएगी। भारत के पास 60000 से ज्यादा जेनेरिक ब्रांड्स हैं। भारत का फार्मा मार्केट हर साल 10 से 12% की ग्रोथ से बढ़ रहा है। वर्ल्ड की टॉप 10 जेनेरिक कंपनीज में से भारत की चार कंपनी हैं। भारत में 3000 फार्मा कंपनी है और उनके 10500 से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं। फाइनेंशियल ईयर 2025 में भारत की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री ने $30 बिलियन का एक्सपोर्ट किया था और जिस हिसाब से भारत का फार्मा एक्सपोर्ट बढ़ रहा है, 2030 तक ये डबल हो जाएगा। तो देखा जाए, भारत की फार्मा इंडस्ट्री कोई छोटी-मोटी इंडस्ट्री नहीं है और कई मामलों में भारत की फार्मा इंडस्ट्री चाइना, जापान, यूएसए, यूरोपियन देशों से भी बहुत आगे है और इन्हीं सब खूबियों के चलते भारत को फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है। पर भारत के फार्मा सेक्टर में कुछ खामियां भी हैं, जिसे भारत सरकार दूर करने में लगी हुई है। जैसे कि भारत एपीआई एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स और मेडिकल डिवाइसेज के मामले में बहुत पीछे है। भारत 70% एपीआई और 80% मेडिकल डिवाइसेज इंपोर्ट करता है। तो इंपोर्ट को कम करने के लिए भारत सरकार ने फार्मा सेक्टर में 100% एफडीआई फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट को अलाऊ कर दिया है और साथ में पीएलआई स्कीम को फार्मा सेक्टर से जोड़ दिया है। अब जो कंपनीज भारत में क्रिटिकल एपीआई और मेडिकल डिवाइसेज बनाएगी, उन कंपनीज को आने वाले पांच सालों में $15000 करोड़ का इंसेंटिव मिलेगा। भारत सरकार चाहती है कि भारत फार्मास्यूटिकल सेक्टर में सेल्फ डिपेंडेंट बने और भारत को $10 ट्रिलियन इकॉनमी बनने में योगदान दे। टेक्नोलॉजी की शुरुआत भले ही अमेरिका में हुई हो पर आज भारत वर्ल्ड का आईटी हब बन चुका है। अगर आज इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी नाम का कोई देश होता तो उसकी कैपिटल भारत ही होता। वो इसलिए क्योंकि दुनिया भर की बड़ी-बड़ी टेक कंपनीज के सीईओ इंडियंस हैं। भारत आईटी बीपीओ का लार्जेस्ट एक्सपोर्टर है। 55% ग्लोबल आउटसोर्सिंग मार्केट शेयर भारत के पास है। भारत की आईटी इंडस्ट्री में 17000 से ज्यादा फर्म्स हैं। एंप्लॉयमेंट की बात करें तो भारत की आईटी इंडस्ट्री में 5.5 मिलियन एम्प्लॉइज हैं। इनडायरेक्ट एंप्लॉयमेंट 10 मिलियन से ज्यादा है। भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ में आईटी सेक्टर एक बहुत अहम भूमिका निभाता है। जहां 1998 में आईटी सेक्टर का कॉन्ट्रिब्यूशन भारत की जीडीपी में सिर्फ 1.2% था, वो अब 8% हो गया है और 2030 तक ये 10% हो जाएगा। इसके अलावा भारत की आईटी इंडस्ट्री भारत की डिजिटल इकॉनमी को भी बहुत सपोर्ट करती है। यूपीआई जैसा पेमेंट सिस्टम आज किसी भी देश के पास नहीं है और अब एआई भी आ चुका है, जो इंडिया की आईटी सेक्टर को और ज्यादा पुश करेगा। और ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि फाइनेंशियल ईयर 2025 में भारत के आईटी इंडस्ट्री ने $224 बिलियन का एक्सपोर्ट किया था। भारत का सर्विस एक्सपोर्ट जो तेजी से बढ़ता जा रहा है, उसके पीछे आईटी सेक्टर है। इंडिया के आईटी सेक्टर की मार्केट साइज इस समय $350 बिलियन है और 2030 तक ये $1 ट्रिलियन को क्रॉस कर जाएगी। इसके अलावा भारत के आईटी सेक्टर में बहुत से स्टार्टअप भी लॉन्च हो रहे हैं। वर्ल्ड लार्जेस्ट टेक स्टार्टअप हब के मामले में भारत थर्ड नंबर पर आ चुका है। भारत के आईटी सेक्टर में सबसे ज्यादा फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट आता है। तो फ्यूचर में भारत का आईटी सेक्टर इंडियन इकॉनमी को $10 ट्रिलियन इकॉनमी बनने में बहुत हेल्प करने वाला है। भारत इस समय वर्ल्ड का लार्जेस्ट ट्रेक्टर, टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। सेकंड लार्जेस्ट बस मैन्युफैक्चरर है। वर्ल्ड का थर्ड लार्जेस्ट हैवी ट्रक मैन्युफैक्चरर है और फोर्थ लार्जेस्ट कार मैन्युफैक्चरर है। इस समय भारत में 48 ऑटोमोबाइल कंपनी है, 12 टू-व्हीलर कंपनी है और 747 ऑटो कंपोनेंट बनाने वाली कंपनीज हैं। इंडियन ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की मार्केट साइज $250 बिलियन है और एक्सपोर्ट में ऑटोमोबाइल सेक्टर का कॉन्ट्रिब्यूशन 8% है। इसके अलावा ऑटोमोबाइल सेक्टर का कॉन्ट्रिब्यूशन भारत की जीडीपी में 7% है। भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर लगभग 37 मिलियन एंप्लॉयमेंट जनरेट करता है। पिछले 10 सालों में इंडियन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बहुत तेजी से ग्रो हुई है। जहां 2013 में इंडिया 10th लार्जेस्ट ऑटो मार्केट था, मई 2023 में भारत जापान को बीट करके वर्ल्ड थर्ड लार्जेस्ट ऑटो मार्केट बन गया है। कई एक्सपर्ट का कहना है कि अभी तो इंडियन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की ग्रोथ की शुरुआत हुई है। 2026 तक भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री वर्ल्ड की थर्ड लार्जेस्ट ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बन जाएगी और इंडियन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की मार्केट साइज $300 बिलियन से ज्यादा की हो जाएगी। द इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी, आईईए ने बताया कि दूसरे देशों के मुकाबले अभी भारत में बहुत कम लोगों के पास कारें हैं। पर जिस तरीके से भारत की इकॉनमी ग्रो हो रही है, इंफ्रास्ट्रक्चर स्ट्रोंग हो रहा है। भारत में लोगों की इनकम बढ़ रही है। तो इन सब रीजन के चलते आने वाले कुछ सालों में भारत में गाड़ियों के नंबर और तेजी से बढ़ने वाले हैं। अभी इस समय भारत में पर 1000 इंडिविजुअल में से 22 लोगों के पास कारें हैं। पर आईईए ने अनुमान लगाया है कि 2030 तक पर 1000 इंडिविजुअल में से 70 लोगों के पास कार होगी और नेक्स्ट टू डिकेड मतलब कि आने वाले 20 सालों में भारत में पर 1000 इंडिविजुअल्स में से 175 लोगों के पास कार होगी। तो आने वाले 20 सालों में भारत का ऑटोमोबाइल मार्केट बहुत तेजी से बढ़ने वाला है। जिसके चलते भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर भी बहुत तेजी से ग्रो होने वाला है। इसके अलावा भारत अब इलेक्ट्रिक व्हीकल पर भी बहुत ज्यादा ध्यान दे रहा है। भारत को जम्मू में $3 ट्रिलियन का लिथियम का जैकपॉट मिला है। जिसके चलते भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री भी तेजी से ग्रो होने वाली है। इस चीज को देखते हुए एक अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक भारत का इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट की साइज $240 बिलियन हो जाएगी। भारत का इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट 49% की स्पीड से ग्रो कर रहा है और 2030 तक 5 करोड़ डायरेक्ट और इनडायरेक्ट जॉब क्रिएट करेगा। तो भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर का फ्यूचर बहुत अच्छा होने वाला है और यह इंडियन इकॉनमी के लिए भी बहुत अच्छी बात है। track record speaks for itself The presidential भारत ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री का ग्लोबल हब बनता जा रहा है। इंडियन ऑटो कंपोनेंट की मार्केट साइज $80 बिलियन की हो चुकी है, जो 14% की ग्रोथ रेट से बढ़ भी रही है और 2030 तक ये $200 बिलियन को क्रॉस कर जाएगी। भारत हर साल जितना भी ऑटो कंपोनेंट प्रोड्यूस करता है, उसका 15% एक्सपोर्ट कर देता है। भारत की ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री में 1.5 मिलियन लोग काम करते हैं और भारत की जीडीपी में इसका कॉन्ट्रिब्यूशन 2.3% है। पर जिस स्पीड से भारत की ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री ग्रो कर रही है, कहा जा रहा है कि 2030 तक ये 5 से 7% जीडीपी में कंट्रीब्यूट करेगी। भारत सरकार ऑटोमोबाइल ऑटो कंपोनेंट सेक्टर की ग्रोथ को बढ़ाने के लिए 100% एफडीआई को अलाऊ कर दिया है और साथ में पीएलआई स्कीम को भी ऑटो सेक्टर से जोड़ दिया है। जिससे भारत का ऑटो इंपोर्ट कम हो सके और भारत सेल्फ रिलायंट बन सके। भारत की ऑटो इंडस्ट्री और तेजी से ग्रो कर सके। तो भारत को $10 ट्रिलियन इकॉनमी बनाने में ऑटो सेक्टर का बहुत अहम योगदान होने वाला है। भारत में टेक्सटाइल का उदय हजारों साल पहले हुआ था। भारत हैंडमेड टेक्सटाइल के मामले में बहुत आगे है। भारत दुनिया का नंबर वन कॉटन प्रोड्यूसर देश है और जूट के मामले में सेकंड नंबर पर है। भारत टेक्सटाइल का एक यूज मार्केट है। भारत के टेक्सटाइल इंडस्ट्री की मार्केट साइज $225 बिलियन है और 2030 तक ये $350 बिलियन को क्रॉस कर जाएगी। टेक्सटाइल इंडस्ट्री का भारत की जीडीपी में कॉन्ट्रिब्यूशन 2% है। भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री में 45 मिलियन लोग डायरेक्टली और 65 मिलियन लोग इनडायरेक्टली काम करते हैं। भारत की मैन्युफैक्चरिंग में टेक्सटाइल इंडस्ट्री का कॉन्ट्रिब्यूशन 11% है। टेक्सटाइल और गारमेंट के एक्सपोर्ट के मामले में भारत ग्लोबली सिक्स्थ पोजीशन पर आता है। फाइनेंशियल ईयर 2025 में भारत के टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने $37 बिलियन का टेक्सटाइल एक्सपोर्ट किया था। जिस तरह से भारत का टेक्सटाइल एक्सपोर्ट बढ़ रहा है, उससे उम्मीद लगाई जा रही है कि 2030 तक भारत का टेक्सटाइल एक्सपोर्ट $100 बिलियन को क्रॉस कर जाएगा। अब आप लोग पूछोगे कि भारत का टेक्सटाइल एक्सपोर्ट बढ़ेगा कैसे? तो देखो, भारत कई देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन कर रखा है। जिसके चलते भारत के टेक्सटाइल प्रोडक्ट को ड्यूटी फ्री एक्सेस मिलेगा। जिस तरह चाइना, बांग्लादेश, वियतनाम को यूएस, ईयू, कनाडा, यूके, यूएई में ड्यूटी फ्री एक्सेस मिलता है। वही एक्सेस अब भारत भी चाह रहा है। इसके अलावा भारत सरकार टेक्सटाइल सेक्टर को और उसके एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है। भारत सरकार ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री में $10500 करोड़ की पीएलआई स्कीम लॉन्च कर दी है। इस स्कीम के तहत जो भी टेक्सटाइल फर्म 50 मैन मेड फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल प्रोडक्ट जैसे कि जर्सी, पुलोवर और विंड चीटर बनाएगी, उन फर्म को सरकार 7 से 10% इंसेंटिव देगी। इसके अलावा भारत सरकार ने टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड स्कीम लॉन्च की है। जिसके चलते जो एंटरप्रेन्योर और बिजनेस ओनर टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करेगा, उनको इंसेंटिव दिया जाएगा। इसके अलावा भारत सरकार ने टेक्सटाइल सेक्टर में भी 100% एफडीआई को अलाऊ कर दिया है। तो देखा जाए, भारत के पास टेक्सटाइल के लिए रॉ मटेरियल है, चीफ लेबर फैसिलिटी है, कंपटीटिव मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट है और अब इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार हो रहा है। जिसके चलते भारत का टेक्सटाइल सेक्टर बहुत तेजी से ग्रो होने वाला है और भारत को $10 ट्रिलियन इकॉनमी बनाने में भी बहुत योगदान देने वाला है। भारत डिफेंस के मामले में हर दिन बेहतर होता जा रहा है। 10 साल पहले जो भारत डिफेंस इंपोर्टर हुआ करता था, वो अब डिफेंस एक्सपोर्टर बनता जा रहा है और ऐसा कहना है स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट सिपरी का। सिपरी ने अपनी न्यू रिपोर्ट में बताया है कि पिछले चार सालों में भारत का डिफेंस इंपोर्ट 9.3% डिक्रीज हुआ है और भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 11 सालों में 3400% बढ़ा है। 2013-14 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट सिर्फ $686 करोड़ था, जो 2024-25 में बढ़ के $23622 करोड़ को क्रॉस कर गया है। भारत ने 2029-30 तक $50000 करोड़ डिफेंस एक्सपोर्ट का टारगेट सेट किया है। आज के समय भारत 100 से ज्यादा देशों में डिफेंस एक्सपोर्ट कर रहा है। जिसमें अमेरिका, फ्रांस जैसे कंट्रीज भी शामिल हैं। दुनिया को इंडियन मेड वेपन्स पर भरोसा बढ़ता जा रहा है। पिछले 10 सालों में डिफेंस सेक्टर को बूस्ट देने के लिए भारत सरकार ने सबसे पहले कुछ पॉलिसीज को इंप्लीमेंट किया। भारत सरकार ने मेक इन इंडिया को लॉन्च किया। डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीजर के अंदर लोकल डिजाइन और डेवलपमेंट पर ध्यान दिया। इसके अलावा डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर के अंदर कुछ वेपन्स की लिस्ट निकाली और उन वेपन्स के इंपोर्ट को बैन किया और उनकी प्रोडक्शन को भारत में शुरू करवाया। इसके अलावा डिफेंस कॉरिडोर को शुरू करवाया। डिफेंस सेक्टर में फॉरेन इन्वेस्टमेंट को आसान किया ताकि फॉरेन कंपनीज इंडियन कंपनीज के साथ मिलके वेपन्स को भारत में ही बना सके और साथ में इनोवेशन में ध्यान दिया। पॉलिसी के बाद भारत के डोमेस्टिक प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट में फोकस किया। सप्लाई चेन को स्ट्रांग किया। प्राइवेट सेक्टर के पार्टिसिपेशन को बढ़ाया, उनके साथ पार्टनरशिप की और प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया। टेस्टिंग फैसिलिटी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को इस्टैब्लिश किया और जो पहले से बने हुए थे, उन्हें अपग्रेड किया। पॉलिसी, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग में फोकस करने से भारत में डिफेंस प्रोडक्शन बढ़ने लगी। भारत ने अपना पहला एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया और इस मामले में दुनिया का सातवां नेशन भी बन गया। इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश डिफेंस मिसाइल सिस्टम, फ्रीगेट्स, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, तेजस, कई तरह के रडार और यूएवी ड्रोन्स को बनाया और अब भारत का दो मेन टारगेट है। 2030 तक भारत को ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है और आने वाले 10 साल में फाइटर जेट का इंजन बनाना है। 10 साल पहले हम इनमें से कुछ भी नहीं बना पाते थे पर आज बना रहे हैं। और अगर ऐसे ही चलता रहा, तो आने वाले 10 सालों में हम अपना खुद का जेट इंजन भी बना लेंगे। पिछले 10-11 सालों में भारत ने अपना डिफेंस बजट ढाई गुना बढ़ाया। जिसके चलते आज के समय भारत के डिफेंस इंडस्ट्रियल बेस में 16 डिफेंस पीएसयू है, 430 लाइसेंस कंपनी है, 16000 एमएसएमईज है। और अगर भारत ऐसे ही अपने डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाता गया और अपने एक्सपोर्ट को बढ़ाता गया, तो भारत डिफेंस सुपरपावर के साथ-साथ इकोनॉमिक सुपरपावर भी बन जाएगा। क्योंकि अगर आप हिस्ट्री में देखेंगे तो आपको दिखाई देगा कि दुनिया में कई देश हैं जो वेपन्स को एक्सपोर्ट करके इकोनॉमिक पावर हाउस बने। जैसे कि यूएस, फ्रांस, यूएसएसआर, जर्मनी और आज भी कई देश वेपन को एक्सपोर्ट करके खूब पैसा कमा रहे हैं और इस लिस्ट में भारत भी शामिल हो सकता है। देखो, भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे पावरफुल मिलिट्री है। दुनिया में बहुत से देश की कंपेयर्ड में बहुत से डेवलप्ड कंट्रीज के मुकाबले इंडियन मिलिट्री बहुत ज्यादा स्ट्रांग और पावरफुल है। 2014 से पहले भारत 70% डिफेंस आइटम को इंपोर्ट करता था। वहीं आज 65% डिफेंस आइटम खुद से बना रहा है और फ्यूचर में ये 80% तक होने वाला है। तो अभी तो यह सिर्फ शुरुआत हुई है। जैसे-जैसे भारत डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनेगा, वैसे-वैसे भारत का डिफेंस इंपोर्ट कम होगा और डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ेगा और भारत तेजी से $5 और $10 ट्रिलियन की इकॉनमी बन जाएगा। Hey everyone, I'm on the Dwarka Expressway. NCR's fastest भारत का टूरिज्म की बात करें तो भारत एक ऐसा देश है जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है। भारत की विविधता और प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए दुनिया भर से लोग भारत आते हैं। भारत के हर कोने में सुंदरता छुपी हुई है। भारत के पास डिफरेंट-डिफरेंट कल्चर है, फूड है, फेस्टिवल है, स्पिरिचुअल साइट है, हेरिटेज है, लैंडस्केप है, हिस्टोरिकल मॉन्यूमेंट्स है, सब कुछ है। भारत के टूरिज्म को बढ़ाने के लिए भारत सरकार बहुत मेहनत भी कर रही है। योगा, आयुर्वेद है इंडियन कल्चर को हर इंटरनेशनल फोरम में प्रमोट कर रही है। टूरिज्म का कॉन्ट्रिब्यूशन इंडिया की जीडीपी में इस समय 5% है और एंप्लॉयमेंट में 8% है। भारत के टूरिज्म इंडस्ट्री में 40 मिलियन लोग एंप्लॉयड हैं। साल 2014 के बाद से भारत के टूरिज्म इंडस्ट्री में बहुत फास्ट ग्रोथ देखने को मिली है। जहां 2014 में भारत की जीडीपी में टूरिज्म इंडस्ट्री का कॉन्ट्रिब्यूशन $185 बिलियन का था, जो अब बढ़ के $250 बिलियन हो गया है। जहां 2014 में भारत में 7.6 मिलियन फॉरेन टूरिस्ट आए थे, वहीं 2024 में लगभग 9 मिलियन फॉरेन टूरिस्ट आए हैं। भारत के टूरिज्म इंडस्ट्री को जितना फायदा फॉरेन टूरिस्ट से होता है, उससे कहीं ज्यादा फायदा डोमेस्टिक टूरिस्ट से होता है। भारत के टूरिज्म इंडस्ट्री की ग्रोथ में टेंपल टूरिज्म बहुत अहम रोल प्ले करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के टूरिज्म में 60% शेयर रिलीजियस और स्पिरिचुअल टूरिज्म का है। भारत में बड़ी मात्रा में लोग रिलीजियस और स्पिरिचुअल टूर करते हैं। महाकुंभ इसका सबसे बड़ा एग्जांपल है। भारत में टेंपल टूरिज्म को बूस्ट करने के लिए भारत सरकार बहुत काम कर रही है। जैसे कि भारत के कुछ स्टेट यूपी, उत्तराखंड, तमिलनाडु, उड़ीसा, गुजरात, पंजाब, झारखंड, मध्य प्रदेश में बहुत पुराने और फेमस रिलीजियस टेंपल है। उनके इंफ्रास्ट्रक्चर को इंप्रूव कर रही है। टेंपल टूरिज्म के अलावा फ्यूचर में मेडिकल टूरिज्म भी भारत की टूरिज्म इंडस्ट्री की ग्रोथ में बहुत इंपॉर्टेंट रोल प्ले करने वाला है। मेडिकल टूरिज्म भारत का एक ग्रोइंग सेक्टर है। भारत में मेडिकल ट्रीटमेंट वेस्टर्न कंट्रीज के मुकाबले काफी सस्ता है। जिसके चलते विदेशों से बहुत से लोग भारत में ट्रीटमेंट करवाने आते हैं। फ्यूचर की बात करें तो जिस स्पीड से भारत डेवलप हो रहा है, भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर स्ट्रांग हो रहा है। भारत में लोगों की पर कैपिटा इनकम बढ़ रही है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि 2028 तक टूरिज्म सेक्टर का कॉन्ट्रिब्यूशन भारत की जीडीपी में $500 बिलियन से ज्यादा का हो जाएगा और साथ में $53 मिलियन जॉब्स क्रिएट करेगा और 2030 तक भारत टूरिज्म से $56 बिलियन का फॉरेन रिजर्व अर्न करेगा। देखो, अगर भारत को $10 ट्रिलियन इकॉनमी बनना है, तो उसके लिए टूरिज्म सेक्टर का बहुत बड़ा योगदान होने वाला है। क्योंकि टूरिज्म सेक्टर से एंप्लॉयमेंट मिलती है, फॉरेन करेंसी मिलती है, जिससे फॉरेन रिजर्व बढ़ता है। इसके अलावा भारत में लोग सिर्फ घूमने के लिए नहीं आते हैं, हेल्थ के लिए भी आते हैं। उससे मेडिकल टूरिज्म भी बढ़ता है, जिससे ओवरऑल इंडियन इकॉनमी को ही फायदा होता है। भारत में आज भी 50% आबादी एग्रीकल्चर सेक्टर पर डिपेंडेंट है। जीडीपी में कॉन्ट्रिब्यूशन 15% है। एग्रीकल्चर सेक्टर की मार्केट साइज $300 बिलियन है और पिछले कुछ सालों में भारत का एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। भारत ने फाइनेंशियल ईयर 2025 में $38 बिलियन का एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट किया था। भारत के एग्री प्रोडक्ट की डिमांड अब ग्लोबली बढ़ती जा रही है और फ्यूचर में एग्रीकल्चर सेक्टर इंडियन इकॉनमी में भी बहुत इंपॉर्टेंट रोल प्ले करने वाला है। तो दोस्तों, यह है वो 10 सेक्टर जिनकी मदद से भारत जल्दी से $10 ट्रिलियन जीडीपी बनेगा। तो आपको यह वीडियो कैसा लगा? आप अपनी राय मुझे कमेंट सेक्शन में बताइए। तब तक के लिए बस इतना ही। धन्यवाद। जय हिंद। जय भारत।
Here is a clear, structured, and faithful English translation of the full content you provided (meaning preserved, language refined, no opinions added):
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Over the last 10 years, India’s GDP has doubled from $2 trillion to $4 trillion. During this decade, the Government of India introduced several major reforms to strengthen the economy. After studying these reforms, many financial institutions believe that India’s growth journey has only just begun.
Several economic experts say that if India continues to grow at this pace, it will become the world’s third-largest economy by 2027, reach a $5 trillion GDP, and by 2033–34, grow into a $10 trillion economy, emerging as a true economic powerhouse.
However, for India to become an economic powerhouse in the next 5–10 years, 10 key sectors will play a crucial role. So, what are these sectors? Let’s find out.
Semiconductor Industry
Whether India becomes a technology superpower in the 21st century will largely depend on semiconductor manufacturing. Semiconductors are the digital brain of the world. Understanding semiconductors means understanding the global economy.
Just as a car cannot run without fuel, today’s smartphones, laptops, AI systems, defense equipment, satellites, electric vehicles—everything runs on semiconductors. Even the video you are watching works because of a chip. That is why a global “chip war” has begun.
In 2024, the global semiconductor industry was valued at approximately $600 billion, and it is projected to cross $1 trillion by 2030. However, only a few countries dominate this sector—Taiwan, South Korea, the USA, China, and Japan.
Taiwan’s TSMC and South Korea’s Samsung are the world’s largest chip manufacturers. Taiwan alone produces 60% of the world’s chips. South Korea dominates memory chips, the USA leads in design and R&D, and China is a major raw-material supplier.
A major challenge is geopolitics. If China attacks Taiwan, the global supply chain could collapse. This risk has pushed major economies to localize semiconductor manufacturing.
India Semiconductor Mission
India launched the Semiconductor India Program with $10 billion in incentives. The objective is to promote chip manufacturing, design, assembly, testing, and research in India.
Apart from the central government, several Indian states—Gujarat, Uttar Pradesh, Karnataka, and Tamil Nadu—introduced their own semiconductor policies offering land allotment, power subsidies, and single-window clearances.
As a result, both global and Indian companies have begun investing. Currently, Gujarat is leading the race.
Tata Group is building a ₹91,000 crore AI-enabled chip fabrication facility in Dholera.
In Sanand, companies like Micron Technology, CG Power & Renesas, and Kaynes Semicon are setting up ATMP, OSAT, fab, and backend facilities.
By 2026, semiconductor manufacturing will begin in India, with the first chip coming from Dholera, which is being called India’s future semiconductor hub.
Why Dholera?
Setting up semiconductor manufacturing requires world-class water supply, power, connectivity, and policy support—making Dholera a natural choice.
Dholera is not just a city; it is a vision. It will be India’s first integrated industrial and residential smart city. It offers better infrastructure than China in many aspects, underground utilities, advanced waste management, flood control, easy export access due to proximity to the coast, and a single administrative tower offering all approvals.
As manufacturing grows, real estate prices in Dholera are expected to rise, just as they did in Mumbai and Bengaluru.
Electronics Manufacturing
After semiconductors, the electronics sector can play a major role in making India an economic powerhouse. Many countries strengthened their economies through electronics manufacturing, and India is following the same path.
Electronics production grew from $29 billion in 2014 to $135 billion in 2024
Exports rose from ₹38,000 crore to ₹3,27,000 crore
India is now the second-largest smartphone manufacturer
Smartphone production increased from ₹18,000 crore to ₹5.5 lakh crore
Exports crossed ₹2 lakh crore
97% of smartphones used in India are Made in India
Apple and Samsung now manufacture and assemble phones in India. Electronics contributes 3% to GDP, expected to rise to 5–6%. The sector employs 13 million people directly and indirectly.
PLI Scheme
To boost manufacturing, the government launched the Production Linked Incentive (PLI) Scheme on April 1, 2020. Companies manufacturing in India receive incentives, provided the product is made domestically—not just assembled from imported parts.
The World Bank has praised the PLI scheme, calling it a major contributor to India’s economic improvement. Over the next decade, PLI is expected to be a game changer for India’s electronics sector.
Pharmaceutical Sector
India is already a pharmaceutical superpower. During the pandemic, India proved why it is called the “Pharmacy of the World” by supplying free vaccines to over 100 countries under Vaccine Maitri.
India:
Produces 50% of the world’s vaccines
Supplies 40% of US and 25% of UK generic medicines
Meets 65% of WHO’s DPT & BCG and 90% of measles vaccine demand
Has the second-highest number of USFDA-approved plants
India’s pharma market is worth $55 billion, expected to cross $130 billion by 2030. Exports were $30 billion in FY25, projected to double by 2030.
To reduce dependence on imports (70% APIs and 80% medical devices), India now allows 100% FDI and has extended PLI incentives to APIs and medical devices worth ₹15,000 crore.
Information Technology (IT)
Although technology originated in the USA, India is now the world’s IT hub. India holds 55% of the global outsourcing market, employs 5.5 million people directly, and contributes 8% to GDP, expected to reach 10% by 2030.
India’s IT exports reached $224 billion in FY25, and the market size is projected to cross $1 trillion by 2030. India is now the third-largest startup ecosystem and attracts the highest FDI in IT.
Automobile Sector
India is currently:
World’s largest tractor, two-wheeler, and three-wheeler manufacturer
Second-largest bus manufacturer
Third-largest heavy truck manufacturer
Fourth-largest car manufacturer
India currently has 48 automobile companies, making the sector a key pillar of economic growth.
Here is the complete English translation of the provided Hindi text, keeping the meaning, data, and flow intact:
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There are 12 two-wheeler companies and 747 auto component manufacturing companies in India. The market size of the Indian automotive industry is $250 billion, and the automobile sector contributes 8% to India’s exports. Additionally, the automobile sector contributes 7% to India’s GDP. India’s automobile sector generates employment for around 37 million people.
Over the last 10 years, the Indian automobile industry has grown very rapidly. In 2013, India was the 10th largest auto market, but by May 2023, India surpassed Japan to become the world’s third-largest automobile market. Many experts believe that this is just the beginning of the growth of the Indian automobile industry. By 2026, India will become the third-largest automobile industry in the world, and the market size will exceed $300 billion.
The International Energy Agency (IEA) has stated that compared to other countries, very few people in India currently own cars. However, considering the rapid growth of India’s economy, strengthening infrastructure, and rising incomes, the number of vehicles in India is expected to increase rapidly in the coming years. Currently, only 22 out of every 1,000 individuals own a car in India. The IEA estimates that by 2030, 70 out of every 1,000 people will own a car, and over the next two decades, around 175 out of every 1,000 individuals will own a car. This indicates that India’s automobile market will grow very rapidly over the next 20 years, driving strong growth in the automobile sector.
India is also placing significant focus on electric vehicles (EVs). A $3 trillion lithium reserve has been discovered in Jammu, which will accelerate the growth of India’s EV industry. It is estimated that by 2030, India’s EV market will reach $240 billion. The EV market is growing at a rate of 49% and is expected to create 50 million direct and indirect jobs by 2030. The future of India’s automobile sector is extremely promising and will play a major role in strengthening the Indian economy.
India is rapidly emerging as a global hub for auto components. The Indian auto component industry has a market size of $80 billion, growing at a rate of 14%, and is expected to exceed $200 billion by 2030. India exports 15% of its auto component production annually. The auto component sector employs 1.5 million people and contributes 2.3% to India’s GDP, which is expected to rise to 5–7% by 2030.
The Indian government has allowed 100% FDI in the automobile and auto component sectors and has linked the PLI (Production Linked Incentive) scheme to the auto sector to reduce imports and promote self-reliance. The automobile sector will play a crucial role in helping India become a $10 trillion economy.
India’s textile industry dates back thousands of years. India is a global leader in handmade textiles, the largest producer of cotton, and the second-largest producer of jute. The textile industry’s market size is $225 billion, expected to exceed $350 billion by 2030. It contributes 2% to GDP, provides employment to 45 million people directly and 65 million indirectly, and accounts for 11% of manufacturing output. India ranks 6th globally in textile and garment exports and exported $37 billion worth of textiles in FY 2025. By 2030, textile exports are expected to cross $100 billion.
India has signed Free Trade Agreements (FTAs) with several countries, providing duty-free access for Indian textile products. The government has launched a ₹10,500 crore PLI scheme for man-made fiber and technical textiles, offering 7–10% incentives, along with the Technology Upgradation Fund Scheme and 100% FDI allowance, boosting the sector’s growth.
India’s defence sector has transformed significantly. Once a major defence importer, India is now becoming a defence exporter, as per the Stockholm International Peace Research Institute (SIPRI). Over the last four years, defence imports have reduced by 9.3%, while exports have grown by 3400% in 11 years. Defence exports increased from ₹686 crore in 2013–14 to ₹23,622 crore in 2024–25. India targets ₹50,000 crore in defence exports by 2029–30 and currently exports to over 100 countries.
Through Make in India, import bans on selected weapons, defence corridors, increased R&D, MSME participation, and infrastructure development, India has boosted domestic defence production. India has built its own aircraft carrier, developed BrahMos missiles, Akash missile systems, Tejas fighter jets, radars, UAVs, and aims to become a drone manufacturing hub by 2030 and develop fighter jet engines within 10 years.
India’s defence budget has increased 2.5 times in the last decade, with 16 defence PSUs, 430 licensed companies, and 16,000 MSMEs forming the defence industrial base. Continued growth will make India both a defence superpower and an economic superpower.
India’s tourism sector also plays a crucial role. Tourism contributes 5% to GDP and 8% to employment, employing 40 million people. Tourism GDP contribution has grown from $185 billion in 2014 to $250 billion, with foreign tourist arrivals rising from 7.6 million to 9 million. Religious and spiritual tourism accounts for 60% of tourism, with temple tourism being a major driver. Medical tourism is also growing rapidly.
By 2028, tourism is expected to contribute over $500 billion to GDP, create 53 million jobs, and earn $56 billion in foreign exchange by 2030.
Finally, agriculture, on which 50% of India’s population depends, contributes 15% to GDP, has a market size of $300 billion, and exported $38 billion worth of agricultural products in FY 2025. Agricultural exports are rising globally.
These are the 10 key sectors that will help India achieve a $10 trillion GDP.
Thank you. Jai Hind. Jai Bharat.
క్రింద మీరు ఇచ్చిన పూర్తి విషయాన్ని అర్థం మారకుండా, క్రమబద్ధంగా మరియు స్పష్టమైన తెలుగు భాషలో అనువదించి అందిస్తున్నాను:
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గత 10 సంవత్సరాల్లో భారత్ జీడీపీ 2 ట్రిలియన్ డాలర్ల నుంచి 4 ట్రిలియన్ డాలర్లకు రెట్టింపు అయింది. ఈ కాలంలో దేశ ఆర్థిక వ్యవస్థను బలపరచేందుకు భారత ప్రభుత్వం అనేక కీలక సంస్కరణలను అమలు చేసింది. ఈ సంస్కరణలను అధ్యయనం చేసిన అనేక అంతర్జాతీయ ఆర్థిక సంస్థలు, ఇప్పుడే భారత్ వృద్ధి ప్రయాణం మొదలైందని అభిప్రాయపడుతున్నాయి.
అనేక ఆర్థిక నిపుణుల ప్రకారం, భారత్ ఇదే వేగంతో అభివృద్ధి చెందితే 2027 నాటికి ప్రపంచంలో మూడవ అతిపెద్ద ఆర్థిక వ్యవస్థగా అవతరిస్తుంది, 5 ట్రిలియన్ డాలర్ల జీడీపీని సాధిస్తుంది, అలాగే 2033–34 నాటికి 10 ట్రిలియన్ డాలర్ల ఆర్థిక శక్తిగా ఎదుగుతుంది.
కానీ రాబోయే 5–10 సంవత్సరాల్లో భారత్ ఒక ఆర్థిక శక్తిగా మారాలంటే, కొన్ని కీలక రంగాలు ప్రధాన పాత్ర పోషించాల్సి ఉంటుంది. అందులో అత్యంత ముఖ్యమైన రంగాలు ఇవి:
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సెమీకండక్టర్ రంగం
21వ శతాబ్దంలో భారత్ ఒక టెక్నాలజీ సూపర్పవర్గా మారుతుందా లేదా అనేది ప్రధానంగా సెమీకండక్టర్ తయారీపై ఆధారపడి ఉంటుంది. సెమీకండక్టర్లు ఈ డిజిటల్ ప్రపంచానికి మెదడు లాంటివి.
నేటి ప్రపంచంలో స్మార్ట్ఫోన్లు, ల్యాప్టాప్లు, ఏఐ, రక్షణ వ్యవస్థలు, ఉపగ్రహాలు, ఎలక్ట్రిక్ వాహనాలు—అన్నీ సెమీకండక్టర్ల మీదే ఆధారపడి ఉన్నాయి. మీరు చూస్తున్న ఈ వీడియో కూడా ఒక చిప్ కారణంగానే పనిచేస్తోంది. అందుకే దేశాల మధ్య ఇప్పుడు “చిప్ వార్” మొదలైంది.
2024లో గ్లోబల్ సెమీకండక్టర్ మార్కెట్ విలువ 600 బిలియన్ డాలర్లు, 2030 నాటికి ఇది 1 ట్రిలియన్ డాలర్లను దాటుతుందని అంచనా.
ప్రస్తుతం ఈ రంగంలో తైవాన్, దక్షిణ కొరియా, అమెరికా, చైనా, జపాన్ ఆధిపత్యం కలిగి ఉన్నాయి.
తైవాన్ ప్రపంచ చిప్లలో 60% తయారు చేస్తుంది
దక్షిణ కొరియా మెమరీ చిప్లలో అగ్రగామి
అమెరికా డిజైన్ & R&Dలో ముందుంది
చైనా ముడి పదార్థాల సరఫరాలో కీలక పాత్రలో ఉంది
అయితే జియోపాలిటిక్స్ పెద్ద సమస్య. తైవాన్పై చైనా దాడి చేస్తే ప్రపంచ సరఫరా గొలుసు కూలిపోయే ప్రమాదం ఉంది.
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ఇండియా సెమీకండక్టర్ మిషన్
ఈ నేపథ్యంలో భారత్ “సెమీకండక్టర్ ఇండియా ప్రోగ్రామ్” ప్రారంభించి 10 బిలియన్ డాలర్ల ప్రోత్సాహకాలను ప్రకటించింది.
లక్ష్యం:
చిప్ తయారీ
డిజైనింగ్
అసెంబ్లీ
టెస్టింగ్
రీసెర్చ్
గుజరాత్, ఉత్తరప్రదేశ్, కర్ణాటక, తమిళనాడు రాష్ట్రాలు ప్రత్యేక సెమీకండక్టర్ పాలసీలు తీసుకొచ్చాయి. ఇందులో భూమి కేటాయింపు, విద్యుత్ సబ్సిడీ, సింగిల్ విండో క్లియరెన్స్ ఉన్నాయి.
ప్రస్తుతం ఈ పోటీలో గుజరాత్ ముందంజలో ఉంది.
టాటా గ్రూప్ – ధోలేరాలో ₹91,000 కోట్లతో AI చిప్ ఫ్యాబ్
మైక్రాన్, CG పవర్, రెనెసాస్, కైన్స్ సెమికాన్ – సనంద్లో యూనిట్లు
2026 నుంచి భారత్లో సెమీకండక్టర్ తయారీ ప్రారంభం అవుతుంది, మొదటి చిప్ ధోలేరా నుంచే వస్తుంది.
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ధోలేరా ఎందుకు?
సెమీకండక్టర్ పరిశ్రమకు అవసరం:
వరల్డ్ క్లాస్ నీరు
విద్యుత్
కనెక్టివిటీ
పాలసీ సపోర్ట్
ధోలేరా కేవలం ఒక నగరం కాదు – ఒక విజన్.
ఇది భారత్లో తొలి ఇంటిగ్రేటెడ్ ఇండస్ట్రియల్ + రెసిడెన్షియల్ స్మార్ట్ సిటీ.
అన్ని యుటిలిటీస్ అండర్గ్రౌండ్, ఆధునిక డ్రైనేజ్, వేస్ట్ మేనేజ్మెంట్, కోస్టల్ కనెక్టివిటీ ఉన్నాయి. అందువల్ల భవిష్యత్తులో రియల్ ఎస్టేట్ విలువలు కూడా భారీగా పెరిగే అవకాశం ఉంది.
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ఎలక్ట్రానిక్స్ మాన్యుఫాక్చరింగ్
2014లో భారత్ ఎలక్ట్రానిక్స్ ఉత్పత్తి విలువ $29 బిలియన్,
2024లో అది $135 బిలియన్కి పెరిగింది.
ఎగుమతులు: ₹38,000 కోట్లు → ₹3,27,000 కోట్లు
భారత్ ప్రపంచంలో రెండవ అతిపెద్ద స్మార్ట్ఫోన్ తయారీ దేశం
97% ఫోన్లు ఇప్పుడు Made in India
Apple, Samsung భారత్లో తయారీ
ఈ రంగం GDPలో **3% → 5–6%**కి పెరుగుతుంది.
1.3 కోట్ల మంది ఉపాధి పొందుతున్నారు.
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PLI స్కీమ్
2020లో ప్రభుత్వం ప్రొడక్షన్ లింక్డ్ ఇన్సెంటివ్ (PLI) స్కీమ్ ప్రారంభించింది.
భారత్లో తయారీ చేస్తేనే ప్రోత్సాహకాలు లభిస్తాయి.
వరల్డ్ బ్యాంక్ కూడా ఈ స్కీమ్ను ప్రశంసించింది.
రాబోయే 10 సంవత్సరాల్లో ఇది గేమ్ చేంజర్ అవుతుంది.
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ఫార్మాస్యూటికల్ రంగం
భారత్ను “ఫార్మసీ ఆఫ్ ది వరల్డ్” అంటారు.
ప్రపంచ వ్యాక్సిన్ అవసరాల్లో 50% భారత్ నుంచే
USA జనరిక్ మందుల్లో 40%
UKలో 25%
WHO అవసరాల్లో 65–90%
భారత్ ఫార్మా మార్కెట్ విలువ $55 బిలియన్,
2030 నాటికి $130 బిలియన్ దాటుతుంది.
ఇంపోర్ట్పై ఆధారాన్ని తగ్గించేందుకు:
100% FDI
API & మెడికల్ డివైసులకు PLI
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ఐటీ రంగం
టెక్నాలజీ అమెరికాలో పుట్టినా, ప్రపంచ ఐటీ హబ్ భారత్.
గ్లోబల్ ఔట్సోర్సింగ్లో 55% మార్కెట్ షేర్
5.5 మిలియన్ ఉద్యోగాలు
GDPలో 8% → 10% (2030 నాటికి)
FY25లో IT ఎగుమతులు $224 బిలియన్.
2030 నాటికి మార్కెట్ సైజ్ $1 ట్రిలియన్.
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ఆటోమొబైల్ రంగం
భారత్:
ప్రపంచంలో నెంబర్ 1 – ట్రాక్టర్లు, టూ & త్రీ వీలర్స్
రెండవ స్థానం – బస్సులు
మూడవ స్థానం – హెవీ ట్రక్కులు
నాలుగవ స్థానం – కార్లు
ప్రస్తుతం భారత్లో 48 ఆటోమొబైల్ కంపెనీలు ఉన్నాయి.
క్రింద ఇవ్వబడింది మీ అందించిన పూర్తి విషయాన్ని స్పష్టంగా, అర్థం మారకుండా తెలుగులోకి అనువదించిన రూపం:
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భారతదేశంలో ప్రస్తుతం 12 టూ-వీలర్ కంపెనీలు మరియు 747 ఆటో కాంపోనెంట్ తయారీ కంపెనీలు ఉన్నాయి. భారత ఆటోమోటివ్ పరిశ్రమ మార్కెట్ పరిమాణం $250 బిలియన్ కాగా, ఆటోమొబైల్ రంగం ఎగుమతుల్లో 8% వాటా కలిగి ఉంది. అంతేకాకుండా, భారత జీడీపీలో ఆటోమొబైల్ రంగం 7% వాటా కలిగి ఉంది. ఈ రంగం ద్వారా సుమారు 3.7 కోట్ల మందికి ఉపాధి లభిస్తోంది.
గత 10 సంవత్సరాల్లో భారత ఆటోమొబైల్ పరిశ్రమ వేగంగా అభివృద్ధి చెందింది. 2013లో భారత్ ప్రపంచంలో 10వ అతిపెద్ద ఆటో మార్కెట్గా ఉండగా, మే 2023లో జపాన్ను అధిగమించి ప్రపంచంలో మూడవ అతిపెద్ద ఆటో మార్కెట్గా మారింది. నిపుణుల అభిప్రాయం ప్రకారం, ఇది ఇంకా ప్రారంభ దశ మాత్రమే. 2026 నాటికి భారత్ ప్రపంచంలో మూడవ అతిపెద్ద ఆటోమొబైల్ పరిశ్రమగా అవతరించి, మార్కెట్ పరిమాణం $300 బిలియన్ను మించనుంది.
అంతర్జాతీయ ఇంధన సంస్థ (IEA) ప్రకారం, ఇతర దేశాలతో పోలిస్తే భారత్లో ప్రస్తుతం కార్లు కలిగిన వారి సంఖ్య చాలా తక్కువ. ప్రస్తుతం ప్రతి 1000 మందిలో కేవలం 22 మందికే కార్లు ఉన్నాయి. కానీ భారత ఆర్థిక వ్యవస్థ వేగంగా ఎదగడం, మౌలిక సదుపాయాలు మెరుగుపడటం, ఆదాయాలు పెరగడం వల్ల రాబోయే సంవత్సరాల్లో వాహనాల సంఖ్య గణనీయంగా పెరగనుంది. 2030 నాటికి ప్రతి 1000 మందిలో 70 మందికి కార్లు ఉండగా, వచ్చే 20 సంవత్సరాల్లో ప్రతి 1000 మందిలో 175 మందికి కార్లు ఉండనున్నాయి. దీనివల్ల భారత ఆటోమొబైల్ మార్కెట్ భారీగా పెరుగుతుంది.
భారత్ ఇప్పుడు ఎలక్ట్రిక్ వాహనాలపై (EVs) కూడా ఎక్కువ దృష్టి పెడుతోంది. జమ్మూలో సుమారు $3 ట్రిలియన్ విలువైన లిథియం నిల్వలు లభించడంతో, భారత EV పరిశ్రమ వేగంగా అభివృద్ధి చెందనుంది. 2030 నాటికి భారత ఎలక్ట్రిక్ వాహనాల మార్కెట్ పరిమాణం $240 బిలియన్కు చేరనుందని అంచనా. ఈ రంగం 49% వృద్ధి రేటుతో పెరుగుతూ, 5 కోట్ల ప్రత్యక్ష మరియు పరోక్ష ఉద్యోగాలు సృష్టించనుంది.
భారత్ ఆటో కాంపోనెంట్ రంగంలో గ్లోబల్ హబ్గా మారుతోంది. ప్రస్తుతం ఈ రంగం మార్కెట్ పరిమాణం $80 బిలియన్, ఇది 14% వృద్ధి రేటుతో పెరుగుతోంది మరియు 2030 నాటికి $200 బిలియన్ను దాటనుంది. భారత్ తన ఆటో కాంపోనెంట్ ఉత్పత్తిలో 15% ఎగుమతి చేస్తోంది. ఈ రంగంలో 15 లక్షల మంది పని చేస్తున్నారు మరియు జీడీపీలో 2.3% వాటా ఉంది, ఇది 2030 నాటికి 5–7% వరకు పెరగనుంది.
భారత ప్రభుత్వం ఆటోమొబైల్ మరియు ఆటో కాంపోనెంట్ రంగాల్లో 100% విదేశీ ప్రత్యక్ష పెట్టుబడులకు (FDI) అనుమతి ఇచ్చింది. అలాగే PLI పథకాన్ని ఆటో రంగానికి అనుసంధానించి, దిగుమతులను తగ్గించి, ఆత్మనిర్భర్ భారత్ లక్ష్యాన్ని ముందుకు తీసుకెళ్తోంది. $10 ట్రిలియన్ ఆర్థిక వ్యవస్థగా మారడంలో ఆటో రంగం కీలక పాత్ర పోషించనుంది.
భారత వస్త్ర పరిశ్రమకు వేల సంవత్సరాల చరిత్ర ఉంది. భారత్ ప్రపంచంలోనే అత్యధిక పత్తి ఉత్పత్తి చేసే దేశం, జూట్ ఉత్పత్తిలో రెండవ స్థానం కలిగి ఉంది. వస్త్ర పరిశ్రమ మార్కెట్ పరిమాణం $225 బిలియన్, ఇది 2030 నాటికి $350 బిలియన్ను దాటనుంది. ఈ రంగం జీడీపీలో 2%, తయారీ రంగంలో 11% వాటా, 45 మిలియన్లకు ప్రత్యక్షంగా, 65 మిలియన్లకు పరోక్షంగా ఉపాధి కల్పిస్తోంది. 2025 ఆర్థిక సంవత్సరంలో భారత్ $37 బిలియన్ వస్త్ర ఎగుమతులు చేసింది, ఇవి 2030 నాటికి $100 బిలియన్ను దాటనున్నాయి.
భారత్ అనేక దేశాలతో ఫ్రీ ట్రేడ్ అగ్రిమెంట్లు (FTAలు) కుదుర్చుకుంది. ₹10,500 కోట్ల PLI పథకం, టెక్నాలజీ అప్గ్రేడేషన్ ఫండ్, 100% FDI వంటి చర్యలతో వస్త్ర రంగం వేగంగా ఎదుగుతోంది.
భారత రక్షణ రంగం కూడా గణనీయంగా అభివృద్ధి చెందింది. ఒకప్పుడు దిగుమతులపై ఆధారపడిన భారత్, ఇప్పుడు రక్షణ ఎగుమతిదారుగా మారుతోంది. SIPRI నివేదిక ప్రకారం, గత నాలుగు సంవత్సరాల్లో రక్షణ దిగుమతులు 9.3% తగ్గగా, గత 11 సంవత్సరాల్లో ఎగుమతులు 3400% పెరిగాయి. 2013–14లో ₹686 కోట్లుగా ఉన్న రక్షణ ఎగుమతులు, 2024–25లో ₹23,622 కోట్లకు చేరాయి. 2029–30 నాటికి ₹50,000 కోట్ల లక్ష్యం పెట్టుకుంది.
మేక్ ఇన్ ఇండియా, రక్షణ కారిడార్లు, దేశీయ ఉత్పత్తి, R&D, MSME భాగస్వామ్యం వల్ల భారత్ ఎయిర్క్రాఫ్ట్ క్యారియర్, బ్రహ్మోస్ మిసైల్, తేజస్ యుద్ధ విమానం, డ్రోన్లు, రాడార్ వ్యవస్థలు తయారు చేస్తోంది. 2030 నాటికి డ్రోన్ తయారీ హబ్గా, వచ్చే 10 సంవత్సరాల్లో జెట్ ఇంజిన్ తయారీ దేశంగా మారాలని లక్ష్యంగా పెట్టుకుంది.
భారత పర్యాటక రంగం జీడీపీలో 5%, ఉపాధిలో 8% వాటా కలిగి ఉంది. 2014లో $185 బిలియన్గా ఉన్న పర్యాటక ఆదాయం, ఇప్పుడు $250 బిలియన్కు పెరిగింది. పర్యాటకంలో 60% మత మరియు ఆధ్యాత్మిక పర్యటనలే. 2028 నాటికి పర్యాటకం జీడీపీలో $500 బిలియన్కు పైగా దోహదం చేస్తుందని అంచనా.
భారత జనాభాలో ఇప్పటికీ 50% మంది వ్యవసాయంపై ఆధారపడుతున్నారు. వ్యవసాయం జీడీపీలో 15%, మార్కెట్ పరిమాణం $300 బిలియన్. 2025లో భారత్ $38 బిలియన్ వ్యవసాయ ఎగుమతులు చేసింది. ఈ రంగం కూడా భవిష్యత్తులో కీలక పాత్ర పోషించనుంది.
👉 ఇవే భారత్ను $10 ట్రిలియన్ ఆర్థిక వ్యవస్థగా మార్చే 10 ప్రధాన రంగాలు.
ధన్యవాదాలు.
జై హింద్. జై భారత్.
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