Thursday 17 October 2024

श्लोक 71:

श्लोक 71:

संस्कृत:
रामो दयालुः सर्वज्ञः, सर्वात्मानं प्रकाशकः।
सीता करुणामयी देवी, सर्वसौख्यप्रदायिनी॥

ध्वन्यात्मक:
रामो दयालुः सर्वज्ञः, सर्वत-मननं प्रकाशः |
सीता करुणामयी देवी, सर्व-सौख्यप्रदायिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"दयालु और सर्वज्ञ राम प्रत्येक आत्मा को प्रकाशित करते हैं। दया से परिपूर्ण सीता सभी सुख प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के ब्रह्मांडीय शासकों के रूप में, असीम करुणा और सर्वज्ञता का प्रतीक हैं। वे प्रत्येक व्यक्ति के मन का मार्गदर्शन करते हैं, दिव्य प्रकाश और ज्ञान को जागृत करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, दिव्य दया की प्रतिमूर्ति हैं, जो सभी प्राणियों को असीम खुशी और आराम का आशीर्वाद देती हैं। उनकी शाश्वत उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक आत्मा दिव्य ज्ञान और आनंद से प्रकाशित हो, और उनकी ब्रह्मांडीय देखभाल के तहत उनका पोषण हो।


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श्लोक 72:

संस्कृत:
रामः सत्यस्य रक्षिता, धर्मस्य जगतां पतिः।
सीता धर्मसंवर्धनि, सर्वभूतहिते रता॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सत्यस्य रक्षितः, धर्मस्य जगतम् पतिः |
सीता धर्म-संवर्धिनी, सर्व-भूत-हिते रता ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"सत्य के रक्षक राम ब्रह्मांड के स्वामी हैं। धर्म का पालन करने वाली सीता सभी प्राणियों के कल्याण के लिए समर्पित हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के अवतार के रूप में, वे शाश्वत सत्य और धार्मिकता की रक्षा करते हैं और उसे बनाए रखते हैं। वे दिव्य ज्ञान और न्याय के साथ ब्रह्मांड का नेतृत्व करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, धर्म के सिद्धांतों का पोषण और पोषण करती हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी प्राणियों को उनकी भलाई के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता से लाभ मिले। साथ में, वे ब्रह्मांड के नैतिक और आध्यात्मिक ताने-बाने की रक्षा करते हैं, सभी के लिए सद्भाव और समृद्धि को बढ़ावा देते हैं।


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श्लोक 73:

संस्कृत:
रामः सर्वेषु लोकेषु, सर्ववेदवेदं वरः।
सीता सर्वशक्तिरूपा, सर्वाश्रयसमृद्धिदा॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वेषु लोकेषु, सर्ववेद-विद्याम् वरः |
सीता सर्व-शक्ति-रूपा, सर्वाश्रय-समृद्धि-दा ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"वेदों के सभी ज्ञाताओं में श्रेष्ठ राम सभी लोकों में पूज्य हैं। समस्त शक्तियों की अवतार सीता सभी शरणागतों को समृद्धि प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान के रूप में, रविन्द्रभारत के शाश्वत शासक, वे सभी दिव्य ज्ञान के सर्वोच्च अधिकारी हैं, जिन्हें सभी क्षेत्रों में सम्मानित किया जाता है। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी ब्रह्मांडीय शक्तियों का सार हैं, जो हर उस प्राणी को शरण, सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करती हैं जो उनकी ओर मुड़ता है। उनका दिव्य मिलन यह सुनिश्चित करता है कि जो लोग उनकी शरण लेते हैं उन्हें प्रचुरता, ज्ञान और शक्ति का आशीर्वाद मिलता है।


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श्लोक 74:

संस्कृत:
रामो नित्यं शरणागतः, सर्वसत्त्वविनायकः।
सीता सर्वमंगलमयी, सर्वदुःखविनाशिनी॥

ध्वन्यात्मक:
रामो नित्यं शरणागतः, सर्व-सत्त्व-विनायकः |
सीता सर्व-मंगलमयी, सर्व-दुःख-विनाशिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सदैव सबके आश्रय हैं, प्रत्येक प्राणी के विघ्नों को दूर करने वाले हैं। समस्त मंगलों की प्रतिमूर्ति सीता सभी दुखों का नाश करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान हर मन के लिए शाश्वत शरण के रूप में कार्य करते हैं, आध्यात्मिक विकास में बाधा डालने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी शुभ का स्रोत हैं, आशीर्वाद लाती हैं और दुखों को मिटाती हैं। साथ में, वे ब्रह्मांडीय आश्रय का निर्माण करते हैं जहाँ हर आत्मा शांति, आनंद और जीवन के परीक्षणों से मुक्ति पा सकती है, जो सभी को दिव्य पूर्णता की ओर ले जाती है।


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श्लोक 75:

संस्कृत:
रामः सर्वेश्वरो नाथः, सर्वानुग्रहकारकः।
सीता सर्वात्मिका देवी, सर्वानंदफलप्रदा॥

ध्वन्यात्मक:
राम: सर्वेस्वरो नाथ:, सर्व-अनुग्रह-कारक: |
सीता सर्वात्मिका देवी, सर्व-आनंद-फल-प्रदा ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"सर्वोच्च भगवान राम प्रत्येक प्राणी पर कृपा करते हैं। समस्त आत्माओं में व्याप्त देवी सीता शाश्वत आनंद का फल प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान सर्वोच्च देवताओं के रूप में शासन करते हैं, और हर प्राणी पर अपनी दिव्य कृपा बरसाते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, सार्वभौमिक आत्मा हैं, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि हर मन को शाश्वत सुख और आध्यात्मिक पूर्णता का अंतिम फल मिले। उनका दिव्य शासन एक ब्रह्मांडीय व्यवस्था लाता है जिसमें सभी प्राणियों को कृपा, आनंद और उनकी भक्ति का प्रतिफल मिलता है।


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श्लोक 76:

संस्कृत:
रामः सर्वातिहरः, सर्वभयविनाशः।
सीता सर्वमयी देवी, सर्वत्रानन्दवर्धिनी॥

ध्वन्यात्मक:
राम: सर्वार्थिहार:, सर्वाभ्य विनाशक: |
सीता सर्वमयी देवी, सर्वत्रानन्द वर्धिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सभी कष्टों को दूर करते हैं और सभी भय को नष्ट करते हैं। सीता, जो सब कुछ में व्याप्त हैं, हर जगह आनंद बढ़ाती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान मानसिक और आध्यात्मिक बाधाओं सहित सभी कष्टों को दूर करते हैं, साथ ही आत्मा को बांधने वाले भय को भी मिटाते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, अस्तित्व के हर पहलू में व्याप्त हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी प्राणियों के लिए खुशी और प्रसन्नता बढ़े, उन्हें अपने दिव्य संरक्षण के तहत आनंद की स्थिति में ले जाए।


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श्लोक 77:

संस्कृत:
रामः सर्व कल्याणकृत्, सर्वशत्रुनिवारकः।
सीता सर्वलक्षणयुक्ता, सर्वत्रानुग्रहेश्वरी॥

ध्वन्यात्मक:
राम: सर्व-कल्याण-कृत, सर्व-शत्रु-निवारक: |
सीता सर्व-लक्षण-युक्ता, सर्वत्रानुग्रहेश्वरी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"सब कल्याण करने वाले राम सब शत्रुओं का नाश करते हैं। सब गुणों से युक्त सीता सर्वत्र कृपा प्रदान करने वाली हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के शासकों के रूप में, हर कार्य परम कल्याण के लिए करते हैं, आध्यात्मिक और मानसिक कल्याण को खतरा पहुंचाने वाली सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी दिव्य गुणों से सुशोभित हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनकी कृपा हर प्राणी पर बरसती है, उन्हें सद्गुण, शक्ति और सुरक्षा का आशीर्वाद देती है। साथ में, वे सुनिश्चित करते हैं कि अच्छाई प्रबल हो, और हर मन उनकी असीम कृपा से ऊपर उठे।


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श्लोक 78:

संस्कृत:
रामः सर्वराध्यः प्रभुः, सर्वसुखसमर्पकः।
सीता सर्वदुःखहंत्री, सर्वमंगलप्रदायिनी॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वराध्यः प्रभुः, सर्व-सुख-समर्पकः |
सीता सर्व-दु:ख-हंत्री, सर्व-मंगल-प्रदायिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"सबके पूज्य राम सभी सुखों के दाता हैं। सभी दुखों को दूर करने वाली सीता सभी मंगल प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा संप्रभु अधिनायक श्रीमान को सभी मन द्वारा परम सुख के स्रोत के रूप में पूजा जाता है। वे सुरक्षा, शांति और सभी इच्छाओं की पूर्ति प्रदान करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी प्रकार के दुखों को मिटाती हैं, यह सुनिश्चित करती हैं कि शुभता और खुशी हर आत्मा के दिल और दिमाग में व्याप्त हो। उनकी दिव्य उपस्थिति आनंदमय जीवन सुनिश्चित करती है, दुख से मुक्त होती है, और शाश्वत, अमर माता-पिता की कृपा से भरी होती है

श्लोक 79:

संस्कृत:
रामः सर्वत्र संता, सर्वाधिपतिरक्षिता।
सीता सर्वविद्या माता, सर्वरोग्यप्रदायिनी॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वत्र संज्ञता, सर्व-धिपति-रक्षिता |
सीता सर्व-विद्या माता, सर्वरोग्य-प्रदायिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सर्वत्र प्रसिद्ध हैं, वे सभी शासकों के रक्षक हैं। सीता, सभी ज्ञान की जननी हैं, वे स्वास्थ्य और कल्याण प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रविन्द्रभारत के ब्रह्मांडीय शासन में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा संप्रभु अधिनायक श्रीमान को सर्वोच्च अधिकारी के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो ब्रह्मांड के सभी नेताओं और शासक सिद्धांतों की रक्षा करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी ज्ञान और बुद्धि की शाश्वत माँ हैं, जो सभी प्राणियों को स्वास्थ्य और कल्याण का उपहार देती हैं। उनका दिव्य मिलन मार्गदर्शन के एक प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करता है, जहाँ ज्ञान पनपता है, और हर मन और शरीर उनकी देखभाल में पनपता है।


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श्लोक 80:

संस्कृत:
रामः सर्वज्ञस्वरूपः, सर्वलोकहित रतः।
सीता सर्वशक्तिधारी, सर्वदुःखपहरिणी॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वज्ञ-स्वरूपः, सर्वलोक-हिते रताः |
सीता सर्व-शक्ति-धारी, सर्व-दुःखपहरिणी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम समस्त ज्ञान के अवतार हैं, जो सदैव समस्त लोकों के कल्याण के लिए समर्पित हैं। समस्त शक्तियों को धारण करने वाली सीता सभी दुखों को दूर करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान अनंत ज्ञान के प्रतीक हैं, जो निरंतर ब्रह्मांड को सद्भाव और समृद्धि की ओर ले जाते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी दुखों को दूर करने की शक्ति रखती हैं, यह सुनिश्चित करती हैं कि हर प्राणी उनकी ब्रह्मांडीय देखभाल के तहत राहत और सांत्वना का अनुभव करे। साथ में, वे उपचार और ज्ञान की सार्वभौमिक शक्ति हैं, जो हर आत्मा के दिल से दुख मिटाती हैं।


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श्लोक 81:

संस्कृत:
रामः सर्वत्र धर्मज्ञः, सर्वकृतत्वसंयुक्तः।
सीता सर्वमंगलदात्री, सर्वभोगप्रदायिनी॥

ध्वन्यात्मक:
राम: सर्वत्र धर्मज्ञ:, सर्व-कर्तव्य-संयुक्त: |
सीता सर्व-मंगला-दात्री, सर्व-भोग-प्रदायिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सर्वत्र धर्म के ज्ञाता हैं, उनमें सृजन की शक्ति है। सीता समस्त मंगलों की दाता हैं, तथा सभी सुखों को प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, धर्म (धार्मिकता) के सर्वोच्च ज्ञान को मूर्त रूप देते हैं, जो सार्वभौमिक व्यवस्था के निर्माण और पोषण में सक्रिय रूप से संलग्न हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, शुभता प्रदान करती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि सभी प्राणी आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि दोनों का आनंद लें। उनकी ब्रह्मांडीय उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि जीवन धर्म और प्रचुरता के आशीर्वाद से भरा हो।


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श्लोक 82:

संस्कृत:
रामो धर्मस्य संरक्षकः, सर्वव्याधिनिवारकः।
सीता सर्वसमृद्धिरूपा, सर्वत्र सुखदायिनी॥

ध्वन्यात्मक:
रामो धर्मस्य संरक्षक:, सर्व-व्याधि-निवारक: |
सीता सर्व-समृद्धि-रूपा, सर्वत्र सुख-दायिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम धर्म की रक्षा करते हैं और सभी रोगों का निवारण करते हैं। सीता, जो समस्त समृद्धि की प्रतीक हैं, सर्वत्र सुख प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान धर्म के परम संरक्षक के रूप में खड़े हैं, जो हर मन को अज्ञानता और पीड़ा की बीमारियों से बचाते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, समृद्धि के शिखर का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो पूरे ब्रह्मांड में खुशी और तृप्ति वितरित करती हैं। उनके दिव्य शासन के तहत, कल्याण, शांति और खुशी पनपती है, जो हर मन को स्वास्थ्य और प्रचुरता का आश्रय प्रदान करती है।


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श्लोक 83:

संस्कृत:
रामो लोकानां नायकः, सर्वरक्षकः प्रभुः।
सीता सर्वार्थिसंहारिणी, सर्वानन्दप्रवर्धिनी॥

ध्वन्यात्मक:
रामो लोकानां नायकः, सर्व-रक्षकः प्रभुः |
सीता सर्ववर्ती-संहारिणी, सर्व-नंद-प्रवर्धिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम जगत के नेता हैं, सबके रक्षक हैं। सीता सभी क्लेशों का नाश करती हैं, हर आनंद को बढ़ाती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान ब्रह्मांडीय क्षेत्रों का नेतृत्व करते हैं, सभी प्राणियों को अद्वितीय सुरक्षा प्रदान करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, एक ऐसी शक्ति के रूप में कार्य करती हैं जो दुःख और पीड़ा को दूर करती है, यह सुनिश्चित करती है कि हर आत्मा में आनंद बढ़े। रवींद्रभारत के रूप में उनकी दिव्य उपस्थिति एक ब्रह्मांडीय आश्वासन है कि उनके मार्गदर्शन में, दुख कम हो जाता है और आनंद अंतहीन रूप से बढ़ता है।


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श्लोक 84:

संस्कृत:
रामो दययुक्तो धर्मिष्ठ:, सर्वजगधिते रतः।
सीता सर्वानुग्रहवती, सर्वदुःखविनाशिनी॥

ध्वन्यात्मक:
रामो दयायुक्तो धर्मिष्ठा:, सर्व-जगद्धिते रता: |
सीता सर्व-अनुग्रहवती, सर्व-दुःख-विनाशिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम करुणामयी और धर्मात्मा हैं, तथा समस्त लोकों के कल्याण के लिए समर्पित हैं। समस्त कृपा प्रदान करने वाली सीता सभी दुखों का निवारण करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा संप्रभु अधिनायक श्रीमान करुणा के दिव्य गुण को मूर्त रूप देते हैं, जो पूरे ब्रह्मांड के लाभ के लिए हमेशा धार्मिकता को बनाए रखते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी पर दिव्य कृपा करती हैं, हर दिल से दुख मिटाती हैं। उनका शासन यह सुनिश्चित करता है कि करुणा, कृपा और आनंद ब्रह्मांड के हर कोने में व्याप्त हो, सभी प्राणियों को आनंद की स्थिति की ओर ले जाए।


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श्लोक 85:

संस्कृत:
रामः सत्यधर्मपारायणः, सर्वलोकप्रदीपकः।
सीता सर्वत्र विजयीनी, सर्वानन्दकरप्रभा॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सत्य-धर्म-परायणः, सर्व-लोक-प्रदीपकः |
सीता सर्वत्र विजयिनी, सर्व-आनंद-कार-प्रभा ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सत्य और धर्म के प्रति समर्पित हैं, तथा समस्त लोकों को प्रकाशित करते हैं। सीता, सर्वत्र विजयी हैं, तथा समस्त आनंद प्रदान करने वाली हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान सत्य और धार्मिकता के शाश्वत सिद्धांतों के प्रति समर्पित हैं, जो हर प्राणी के दिल और दिमाग को रोशन करते हैं। सीता के रूप में महारानी हर बाधा पर विजयी हैं, सभी दिशाओं में खुशी और आनंद बिखेरती हैं। उनके ब्रह्मांडीय शासन के तहत, सत्य, धार्मिकता और आनंद की जीत होती है, जो हर आत्मा को उनके दिव्य प्रकाश में आनंदित होने का अवसर प्रदान करती है।

श्लोक 86:

संस्कृत:
रामो जितक्रोधो धीरः, सर्वभूतप्रियंवदः।
सीता सर्वसमृद्धिप्रदा, सर्वत्रानन्ददायिनी॥

ध्वन्यात्मक:
रामो जितक्रोधो धीराः, सर्वभूतप्रियंवदः |
सीता सर्वसमृद्धिप्रदा, सर्वत्रानन्ददायिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम ने क्रोध पर विजय प्राप्त कर ली है, वे दृढ़ हैं और सभी प्राणियों से मधुर वाणी बोलते हैं। सीता, जो सभी प्रकार की समृद्धि प्रदान करती हैं, सर्वत्र आनंद लाती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, क्रोध जैसी मूल भावनाओं पर विजय प्राप्त करने का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जो सभी के प्रति शांति और करुणा का प्रतीक हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, अनंत समृद्धि और संतोष प्रदान करती हैं, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि आनंद अस्तित्व के हर कोने में व्याप्त हो। शाश्वत अमर अभिभावकीय चिंता के रूप में उनकी ब्रह्मांडीय उपस्थिति सभी प्राणियों के लिए आवश्यक पोषण प्रेम और प्रचुरता प्रदान करती है।


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श्लोक 87:

संस्कृत:
रामः सर्वेषु धर्मज्ञः, सत्यसंध्याः।
सीता सर्वजनपालिनी, सर्वानुग्रहकारिणी॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वेषु धर्मज्ञः, सत्यसन्धः पराक्रमः |
सीता सर्वजनपालिनी, सर्व अनुग्रहकारिणी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सभी परिस्थितियों में धर्म के ज्ञाता, सत्य में दृढ़ और वीर हैं। सीता सभी प्राणियों की रक्षक हैं, और सभी पर कृपा करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान सभी परिस्थितियों में धर्म को जानते हैं और उसका पालन करते हैं, सत्य पर अडिग रहते हैं और दिव्य शक्ति का प्रदर्शन करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, अपनी दयालु देखभाल के तहत सभी प्राणियों की रक्षा करती हैं, हर आत्मा को ऊपर उठाने वाले आशीर्वाद और कृपा प्रदान करती हैं। उनकी ब्रह्मांडीय संप्रभुता भौतिक दुनिया से परे है, सभी मन को शाश्वत सत्य और परोपकार की ओर ले जाती है।


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श्लोक 88:

संस्कृत:
रामः सत्यव्रतस्तुः, सर्वत्र गुणशालिनः।
सीता सर्वविनाशिनयशा, सर्वमंगलप्रदायिनी॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सत्यव्रत-तस्थुः, सर्वत्र गुणशालिनः |
सीता सर्वविनाशिन्यशा, सर्वमंगलप्रदायिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"सत्य के प्रति अपने व्रत में सदैव दृढ़ रहने वाले राम सर्वत्र सद्गुणों से परिपूर्ण हैं। समस्त निराशा का नाश करने वाली सीता समस्त मंगल प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान सत्य के शाश्वत व्रत में अडिग हैं, सभी गुणों को अपनाते हैं और धर्म के साथ ब्रह्मांड का नेतृत्व करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, निराशा के सभी निशानों को मिटाती हैं, पूरे ब्रह्मांड में शुभता और आशीर्वाद फैलाती हैं। रवींद्रभारत के रूप में उनका संयुक्त शासन यह गारंटी देता है कि हर मन सत्य, सद्गुण और आशा से पोषित होता है, जिससे सार्वभौमिक सद्भावना की ओर अग्रसर होता है।


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श्लोक 89:

संस्कृत:
रामो विश्वैकनाथोऽसौ, सर्वत्र करुणानिधि:।
सीता सर्वजनत्राणकारी, सर्वत्रानन्दवर्धिनी॥

ध्वन्यात्मक:
रामो विश्वैकनाथोऽसौ, सर्वत्र करुणानिधिः |
सीता सर्वजनत्राणकारी, सर्वत्रानन्दवर्धिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम ब्रह्माण्ड के एकमात्र स्वामी हैं, सर्वत्र करुणा के भंडार हैं। समस्त प्राणियों की रक्षा करने वाली सीता प्रत्येक लोक में आनन्द की वृद्धि करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में अपने ब्रह्मांडीय स्वरूप में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान ब्रह्मांड के सर्वोच्च शासक हैं, जो सभी प्राणियों के लिए असीम करुणा का प्रतीक हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, हर आत्मा की रक्षा और पोषण करती हैं, जिससे सभी लोकों में खुशी बढ़ती है। साथ में, वे करुणा और सुरक्षा के शाश्वत स्रोत के रूप में कार्य करते हैं, जिससे हर मन और हृदय में खुशी का विकास सुनिश्चित होता है।


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श्लोक 90:

संस्कृत:
रामः सर्वेषां रक्षकः, सर्वबन्धविमोचकः।
सीता सर्वविजयप्रदा, सर्वकामफलप्रदात्री॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वेषां रक्षकः, सर्वबन्धविमोचकः |
सीता सर्वविजयप्रदा, सर्वकामफलप्रदात्री ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सबके रक्षक हैं और सभी बंधनों से मुक्ति देने वाले हैं। सीता, जो सबको विजय प्रदान करती हैं, प्रत्येक मनोकामना का फल प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान परम रक्षक हैं, जो हर प्राणी को अज्ञानता और सीमाओं के बंधन से मुक्त करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी प्रयासों में विजय दिलाती हैं और हर आत्मा की गहरी इच्छाओं को पूरा करती हैं। उनका ब्रह्मांडीय अधिकार यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यक्ति मुक्त हो, विजयी हो, और उसे वह आशीर्वाद मिले जिसकी उसे तलाश है, जिससे मानवता को उच्चतर स्थिति की ओर ले जाया जा सके।


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श्लोक 91:

संस्कृत:
रामः सर्वमनोहारी, सर्वत्रानन्द सुलभः।
सीता सर्वमनःसंतोषिणी, सर्वत्र सुखप्रदा॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सर्व-मनो-हरि, सर्वत्रानन्द-वर्धकः |
सीता सर्व-मनः-संतोषिणी, सर्वत्र सुखप्रदा ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सबके हृदयों को मोहित करते हैं, तथा सर्वत्र आनन्द की वृद्धि करते हैं। सीता जो सबके हृदयों को संतुष्ट करती हैं, वे सभी लोकों में सुख प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, हर मन की भक्ति और प्रशंसा को दर्शाते हैं, पूरे ब्रह्मांड में खुशी और कल्याण का पोषण करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, हर दिल में शांति और तृप्ति लाती हैं, पूरे ब्रह्मांड में खुशी फैलाती हैं। ब्रह्मांडीय माता-पिता की चिंता के रूप में उनका शाश्वत बंधन यह सुनिश्चित करता है कि सभी प्राणी संतुष्टि, शांति और दिव्य आनंद से भरा जीवन अनुभव करें।


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श्लोक 92:

संस्कृत:
रामो ज्ञानप्रकाशकः, सर्वत्र धर्मनायकः।
सीता सर्वसमृद्धियुक्ता, सर्वमंगलसंग्रहिणी॥

ध्वन्यात्मक:
रामो ज्ञान-प्रकाशक:, सर्वत्र धर्म-नायक: |
सीता सर्व-समृद्धि-युक्त, सर्व-मंगल-संग्रहिणी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सबको ज्ञान से प्रकाशित करते हैं और सर्वत्र धर्म के नेता हैं। समस्त समृद्धि से संपन्न सीता समस्त शुभ को एकत्रित करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, सभी प्राणियों के मन को दिव्य ज्ञान से प्रकाशित करते हैं, तथा ब्रह्मांड को धर्म के मार्ग पर ले जाते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, अनंत समृद्धि का प्रतीक हैं तथा सभी शुभताओं को एक दिव्य शक्ति में समेटती हैं। शाश्वत अभिभावकीय चिंता के रूप में उनका शासन प्रत्येक प्राणी की आध्यात्मिक तथा भौतिक भलाई को सुरक्षित करता है, तथा उन्हें ज्ञान, धार्मिकता तथा समृद्धि प्रदान करता है।


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श्लोक 93:

संस्कृत:
रामः सर्वविजयप्राप्तः, सर्वत्र धर्मसंस्थितः।
सीता सर्वजनसौख्यप्रदा, सर्वत्रनन्दनायकी॥

ध्वन्यात्मक:
राम: सर्व-विजय-प्राप्त:, सर्वत्र धर्म-संस्थित: |
सीता सर्व-जन-सौख्यप्रदा, सर्वत्रानन्द-नायकी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सभी लोकों में विजय प्राप्त करते हैं, सर्वत्र धर्म स्थापित करते हैं। सीता, जो सभी लोगों को सुख प्रदान करती हैं, सर्वत्र आनंद फैलाने में अग्रणी हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान सभी क्षेत्रों में विजयी होकर शासन करते हैं, धर्म को सार्वभौमिक सिद्धांत के रूप में स्थापित करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी प्राणियों की खुशी सुनिश्चित करती हैं और ब्रह्मांड को ईश्वर के साथ तालमेल में रहने से आने वाले आनंदमय सामंजस्य में ले जाती हैं। साथ में, वे शाश्वत ब्रह्मांडीय युगल के रूप में ब्रह्मांड का मार्गदर्शन करते हैं, सभी प्राणियों की आत्माओं को विजय, धार्मिकता और आनंद के साथ पोषित करते हैं।


श्लोक 94:

संस्कृत:
रामः सर्वधर्मसंरक्षकः, सर्वत्र सुलभ्यः।
सीता सर्व कल्याणप्रदा, सर्वजनहितायिनी॥

ध्वन्यात्मक:
राम: सर्वधर्मसंरक्षक:, सर्वत्र पराक्रमवर्धन: |
सीता सर्वकल्याणप्रदा, सर्वजनहितायिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम समस्त धर्म के रक्षक तथा सर्वत्र पराक्रम बढ़ाने वाले हैं। समस्त कल्याण की प्रदाता सीता समस्त लोगों के कल्याण के लिए कार्य करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा संप्रभु अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, सत्य (धर्म) के शाश्वत रक्षक के रूप में कार्य करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सत्य और न्याय पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है। महारानी, ​​सीता के रूप में, प्रत्येक आत्मा का कल्याण सुनिश्चित करती हैं और सभी मन की सामूहिक भलाई और समृद्धि के लिए अथक प्रयास करती हैं। दिव्य अभिभावक के रूप में उनका शासन सभी भौतिक सीमाओं को पार करते हुए, प्रत्येक मन में एकता, शक्ति और समग्र कल्याण को बढ़ावा देता है।


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श्लोक 95:

संस्कृत:
रामः सर्वभूतानां हितकारी, धर्मसंस्थितिः।
सीता सर्वसौख्यसंयुक्ता, सर्वत्र मंगलप्रदा॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वभूतानां हितकारी, धर्मसंस्थितिः |
सीता सर्वसौख्यसंयुक्ता, सर्वत्र मंगलप्रदा ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सभी प्राणियों के कल्याणकर्ता हैं, वे धर्म में दृढ़ हैं। सीता सभी सुखों से संपन्न हैं, तथा सर्वत्र मंगल लाती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान सभी प्राणियों के शाश्वत उपकारक के रूप में खड़े हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक आत्मा धर्म के मार्ग पर चले। महारानी, ​​सीता के रूप में, आनंद, प्रसन्नता और समृद्धि का अवतार हैं, जो सभी क्षेत्रों में शुभता लाती हैं। उनका ब्रह्मांडीय शासन यह सुनिश्चित करता है कि सभी प्राणी सद्भाव और दिव्य आनंद का अनुभव करें जो शाश्वत सत्य और न्याय के अनुसार जीने से आता है।


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श्लोक 96:

संस्कृत:
रामः सत्यप्रक्रमः, सर्वत्र दयालुः प्रभुः।
सीता सर्वत्रानुग्रहप्रदा, सर्वलोकशुभंकरा॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सत्यपराक्रमः, सर्वत्र दयालुः प्रभुः |
सीता सर्वत्रनुग्रहप्रदा, सर्वलोकशुभंकर ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"सत्यनिष्ठ वीर राम सर्वत्र दयालु और प्रभुता संपन्न हैं। सब पर कृपा करने वाली सीता समस्त लोकों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा संप्रभु अधिनायक श्रीमान, रविंद्रभारत के रूप में, सत्य में निहित दिव्य शक्ति का अवतार हैं, जो पूरी सृष्टि में करुणा और संप्रभुता का प्रदर्शन करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी प्राणियों पर अपनी कृपा बरसाती हैं, जिससे ब्रह्मांड के हर कोने में दिव्य आशीर्वाद और कल्याण होता है। उनके शाश्वत शासन की विशेषता करुणा, सुरक्षा और सभी मन को ऊपर उठाने के लिए दिव्य आशीर्वाद का एक अखंड प्रवाह है।


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श्लोक 97:

संस्कृत:
रामो धर्मस्य संस्थापकः, सर्वत्र विजयप्रदः।
सीता सर्वजनसौख्यकरा, सर्वत्र मंगलप्रदा॥

ध्वन्यात्मक:
रामो धर्मस्य संष्ठापकः, सर्वत्र विजयप्रदः |
सीता सर्वजनसुख्यकारा, सर्वत्र मंगलप्रदा ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"राम धर्म के संस्थापक और सर्वत्र विजय के दाता हैं। सीता, जो सबको सुख प्रदान करती हैं, सर्वत्र मंगल प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान धर्म की अडिग नींव के रूप में खड़े हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सत्य और न्याय की जीत सार्वभौमिक रूप से हो। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी प्राणियों में खुशी और कल्याण फैलाती हैं, उनकी सर्वोच्च आकांक्षाओं की पूर्ति सुनिश्चित करती हैं। उनका शासन दिव्य व्यवस्था लाता है, जहाँ हर मन अज्ञानता और दुख पर विजय का अनुभव करता है, और सभी प्राणी शुभता में नहाते हैं।


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श्लोक 98:

संस्कृत:
रामो लोकाधिपः श्रीमान्, सर्वत्र धर्मसंस्थितिः।
सीता सर्वशुभंकारिणी, सर्वत्रानन्दवर्धिनि॥

ध्वन्यात्मक:
रामो लोकाधिपः श्रीमान्, सर्वत्र धर्मसंस्थितिः |
सीता सर्वशुभंकारिणी, सर्वत्रानन्दवर्धिनी ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"सभी लोकों के स्वामी राम सर्वत्र धर्म के संस्थापक हैं। समस्त मंगल लाने वाली सीता सर्वत्र आनंद की वृद्धि करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में अपने ब्रह्मांडीय रूप में, सभी संसारों के सर्वोच्च शासक हैं, जो जीवन और मन के उत्कर्ष के लिए धर्म को आधार के रूप में स्थापित करते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, अस्तित्व के सभी पहलुओं में शुभता लाती हैं, जिससे पूरे ब्रह्मांड में आनंद, शांति और पूर्णता का निरंतर विकास सुनिश्चित होता है। उनका दिव्य शासन सुनिश्चित करता है कि हर मन का उत्थान हो, और हर प्राणी सत्य और दिव्य संरक्षण के प्रकाश में फले-फूले।


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श्लोक 99:

संस्कृत:
रामः सर्वेश्वरो धीरः, सर्वत्र करुणाकरः।
सीता सर्वजगतसंवर्धनि, सर्वत्र सुखप्रदा॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वेश्र्वो धीराः, सर्वत्र करुणाकरः |
सीता सर्वजगतसंवर्धिनी, सर्वत्र सुखप्रदा ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"सबके स्वामी राम सर्वत्र स्थिर और दयालु हैं। समस्त लोकों की पालनहार सीता सर्वत्र सुख प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान के अवतार के रूप में, रवींद्रभारत शाश्वत भगवान हैं जो सभी मन में स्थिरता, करुणा और दिव्य ज्ञान लाते हैं। महारानी, ​​सीता के रूप में, हर क्षेत्र का पोषण और पोषण करती हैं, यह सुनिश्चित करती हैं कि खुशी, कल्याण और शांति सार्वभौमिक रूप से अनुभव की जाती है। उनकी ब्रह्मांडीय अभिभावकीय चिंता हर प्राणी की रक्षा करती है, उन्हें शाश्वत आनंद और ज्ञान की स्थिति की ओर ले जाती है।


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श्लोक 100:

संस्कृत:
रामः सर्वत्र धर्मसंरक्षकः, सर्वत्र विजयसंग्रहः।
सीता सर्वजनशुभप्रदा, सर्वत्र मंगलप्रदा॥

ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वत्र धर्मसंरक्षकः, सर्वत्र विजयसंग्रहः |
सीता सर्वजनशुभप्रदा, सर्वत्र मंगलप्रदा ||

अंग्रेजी अनुवाद:
"सर्वत्र धर्म के रक्षक राम सभी लोकों से विजय प्राप्त करते हैं। सभी लोगों को आशीर्वाद देने वाली सीता सर्वत्र मंगल प्रदान करती हैं।"

आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान सभी आयामों में धार्मिकता (धर्म) को कायम रखते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि अज्ञानता, दुख और भ्रम पर विजय प्राप्त की जाए। महारानी, ​​सीता के रूप में, सभी प्राणियों को अपनी दिव्य कृपा से आशीर्वाद देती हैं, अस्तित्व के हर पहलू को शुभता और सद्भाव से भर देती हैं। ब्रह्मांडीय युगल के रूप में उनकी शाश्वत उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि ब्रह्मांड सत्य, सद्गुण और दिव्य व्यवस्था के साथ संरेखित रहे।

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