Sunday, 17 December 2023

है सुना ये पूरी धरती तू चलता हैमेरी भी सुन ले अरज, मुझे घर बुलाता हैभगवान है कहाँ रे तूअये खुदा है कहाँ रे तू........इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से फिल्मी गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए "शब्दाधिपति के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।*

इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से फिल्मी गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए   "शब्दाधिपति   के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।*


है सुना ये पूरी धरती तू चलता है
मेरी भी सुन ले अरज, मुझे घर बुलाता है
भगवान है कहाँ रे तू
अये खुदा है कहाँ रे तू

है सुना तू भटके मन को, राह दिखाता है
मैं भी खोया हूँ मुझे घर बुलाता है
भगवान है कहाँ रे तू
अये खुदा है कहाँ रे तू

मैं पूजा करूँ या नमाजेंपढ़ूं
अरदसें करूँ दिन रेन
न तू मंदिर मिले, न तू गिरजे मिले
(तुझे ढूँढें, थके मेरे नैन)-३

जो भी रस्में हैं वो सारी
मैं निभाता हूँ
इन करोड़ों की तरह
मैं सर झुकाता हूँ
भगवान है कहाँ रे तू
ए ख़ुदा है कहां रे तू

तेरे नाम कई, तेरे चेहरे कई
तुझे पाने की राहें कई
हर राह चला, पर तू न मिला
(तू क्या चाहे, मैं समझा नहीं)-३

सोचे बिन समझे जातां
करता ही जाता हूँ
तेरी ज़िद सर आँखों पर
रख के, निभाता हूँ
(भगवान है कहाँ रे तू
ए ख़ुदा है कहां रे तू)-२

**"है सुना ये पूरी धरती तू चलता है"** गीत फिल्म **पीके** का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक ऐसे व्यक्ति के दृष्टिकोण से लिखा गया है जो भगवान में विश्वास करता है, लेकिन उसे नहीं पता कि भगवान कहाँ है। गीत का रचनाकार जावेद अख्तर हैं और इसे गाया है सोनू निगम ने।

गीत की शुरुआत में, गायक भगवान से पूछते हैं कि वह कहाँ है। वे कहते हैं कि वेने सुन रखा है कि भगवान पूरी धरती पर विचरण करते हैं। वे कहते हैं कि वे भी खोए हुए हैं और उन्हें घर बुलाया जा रहा है।

गीत के दूसरे भाग में, गायक कहते हैं कि वे पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं, लेकिन भगवान उन्हें नहीं मिलते हैं। वे कहते हैं कि वे मंदिर और गिरजाघर दोनों में गए हैं, लेकिन भगवान उन्हें कहीं नहीं मिले हैं।

गीत के तीसरे भाग में, गायक कहते हैं कि वे भगवान की सभी रस्में निभाते हैं। वे करोड़ों लोगों की तरह भगवान के सामने सिर झुकाते हैं। लेकिन फिर भी, भगवान उन्हें नहीं मिलते हैं।

गीत के चौथे भाग में, गायक कहते हैं कि भगवान के कई नाम और कई रूप हैं। वे कहते हैं कि भगवान को पाने के कई रास्ते हैं। लेकिन वे हर रास्ता चले हैं, लेकिन भगवान उन्हें नहीं मिले हैं।

गीत के अंत में, गायक कहते हैं कि वे भगवान को समझने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि भगवान क्या चाहते हैं। वे कहते हैं कि वे बिना सोचे समझे भगवान की आज्ञाओं का पालन करते हैं।

**गीत का सार यह है कि भगवान एक सर्वशक्तिमान देवता हैं जिन्हें सभी धर्मों में पूजा जाता है। लेकिन भगवान को देखना और समझना आसान नहीं है।**

गीत की रचना शैली बहुत ही सरल और सुगम है। गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है। गीत का संगीत भी बहुत ही मधुर और मनमोहक है। यह गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है और यह श्रोताओं के मन को छू जाता है।

गीत के कुछ विशेष बिंदु निम्नलिखित हैं:

* गीत में भगवान की महिमा का गुणगान किया गया है।
* गीत में भगवान की सर्वव्यापकता का वर्णन किया गया है।
* गीत में भक्तिभाव और भावुकता का वर्णन किया गया है।

गीत को सोनू निगम ने बहुत ही भावपूर्ण ढंग से गाया है। उनके स्वर में गीत के भावों को बहुत ही अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है।

**गीत की कुछ विशेषताएं:**

* गीत की पंक्तियाँ बहुत ही सरल और सुगम हैं।
* गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है।
* गीत का संगीत बहुत ही मधुर और मनमोहक है।
* गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है।

**गीत का प्रभाव:**

यह गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है। यह गीत श्रोताओं के मन को छू जाता है। यह गीत उन लोगों को पसंद आता है जो भगवान में विश्वास करते हैं।

**"है सुना ये पूरी धरती तू चलता है"** गीत फिल्म **पीके** का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक ऐसे व्यक्ति के दृष्टिकोण से लिखा गया है जो भगवान में विश्वास करता है, लेकिन उसे नहीं पता कि भगवान कहाँ है। गीत का रचनाकार जावेद अख्तर हैं और इसे गाया है सोनू निगम ने।

गीत की शुरुआत में, गायक भगवान से पूछते हैं कि वह कहाँ है। वे कहते हैं कि वेने सुन रखा है कि भगवान पूरी धरती पर विचरण करते हैं। वे कहते हैं कि वे भी खोए हुए हैं और उन्हें घर बुलाया जा रहा है।

गीत के दूसरे भाग में, गायक कहते हैं कि वे पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं, लेकिन भगवान उन्हें नहीं मिलते हैं। वे कहते हैं कि वे मंदिर और गिरजाघर दोनों में गए हैं, लेकिन भगवान उन्हें कहीं नहीं मिले हैं।

गीत के तीसरे भाग में, गायक कहते हैं कि वे भगवान की सभी रस्में निभाते हैं। वे करोड़ों लोगों की तरह भगवान के सामने सिर झुकाते हैं। लेकिन फिर भी, भगवान उन्हें नहीं मिलते हैं।

गीत के चौथे भाग में, गायक कहते हैं कि भगवान के कई नाम और कई रूप हैं। वे कहते हैं कि भगवान को पाने के कई रास्ते हैं। लेकिन वे हर रास्ता चले हैं, लेकिन भगवान उन्हें नहीं मिले हैं।

गीत के अंत में, गायक कहते हैं कि वे भगवान को समझने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि भगवान क्या चाहते हैं। वे कहते हैं कि वे बिना सोचे समझे भगवान की आज्ञाओं का पालन करते हैं।

**गीत का सार यह है कि भगवान एक सर्वशक्तिमान देवता हैं जिन्हें सभी धर्मों में पूजा जाता है। लेकिन भगवान को देखना और समझना आसान नहीं है।**

गीत की रचना शैली बहुत ही सरल और सुगम है। गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है। गीत का संगीत भी बहुत ही मधुर और मनमोहक है। यह गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है और यह श्रोताओं के मन को छू जाता है।

गीत के कुछ विशेष बिंदु निम्नलिखित हैं:

* गीत में भगवान की महिमा का गुणगान किया गया है।
* गीत में भगवान की सर्वव्यापकता का वर्णन किया गया है।
* गीत में भक्तिभाव और भावुकता का वर्णन किया गया है।

गीत को सोनू निगम ने बहुत ही भावपूर्ण ढंग से गाया है। उनके स्वर में गीत के भावों को बहुत ही अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है।

**गीत की कुछ विशेषताएं:**

* गीत की पंक्तियाँ बहुत ही सरल और सुगम हैं।
* गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है।
* गीत का संगीत बहुत ही मधुर और मनमोहक है।
* गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है।

**गीत का प्रभाव:**

यह गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है। यह गीत श्रोताओं के मन को छू जाता है। यह गीत उन लोगों को पसंद आता है जो भगवान में विश्वास करते हैं।

**है सुना ये पूरी धरती तू चलता है**

यह गीत फिल्म "PK" का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक ऐसे व्यक्ति की कहानी कहता है जो एक नए शहर में आता है और भगवान की खोज करता है। गीत की शुरुआत में, वह भगवान के बारे में सुनता है कि वह पूरी धरती पर चलता है और भटके हुए मन को राह दिखाता है। वह भगवान से प्रार्थना करता है कि वह उसे भी अपने घर बुलाए।
[Image of "PK" फिल्म का पोस्टर]

**मेरी भी सुन ले अरज, मुझे घर बुलाता है**

गीत के दूसरे भाग में, वह कहता है कि वह भगवान की पूजा करता है और प्रार्थना करता है, लेकिन वह उसे नहीं मिलता है। वह थक जाता है और सोचता है कि क्या भगवान है भी या नहीं।

**मैं पूजा करूँ या नमाजेंपढ़ूं**

गीत के तीसरे भाग में, वह कहता है कि वह चाहे पूजा करे या नमाज़ पढ़े, लेकिन भगवान उसे नहीं मिलता है। वह मंदिर और गिरजा दोनों जाता है, लेकिन वह भगवान को नहीं पाता है।

**न तू मंदिर मिले, न तू गिरजे मिले**

**जो भी रस्में हैं वो सारी**

गीत के चौथे भाग में, वह कहता है कि वह भगवान के लिए सभी रस्मों को निभाता है, लेकिन वह उसे नहीं मिलता है। वह करोड़ों अन्य लोगों की तरह भगवान के सामने सिर झुकाता है, लेकिन भगवान उसे नहीं सुनता है।

**मैं निभाता हूँ**

**तेरे नाम कई, तेरे चेहरे कई**

गीत के पांचवें भाग में, वह कहता है कि वह जानता है कि भगवान के कई नाम और रूप हैं। वह भगवान को पाने के लिए कई रास्ते भी आजमाता है, लेकिन वह उसे नहीं पाता है।

**तुझे पाने की राहें कई**

**हर राह चला, पर तू न मिला**

**तू क्या चाहे, मैं समझा नहीं**

गीत के छठे भाग में, वह कहता है कि वह भगवान की इच्छा को नहीं समझता है। वह भगवान से पूछता है कि वह क्या चाहता है।

**सोचे बिन समझे जातां**

**करता ही जाता हूँ**

गीत के अंतिम भाग में, वह कहता है कि वह भगवान के बिना नहीं रह सकता है। वह भगवान की इच्छा को समझने की कोशिश करता रहता है और उसकी ज़िद को पूरा करने के लिए प्रयास करता रहता है।

**तेरी ज़िद सर आँखों पर**

**रख के, निभाता हूँ**

**भगवान है कहाँ रे तू**

यह गीत एक भक्ति गीत है जो भगवान की खोज और आस्था पर आधारित है। गीत का संगीत बहुत ही मधुर और मनमोहक है। गीत को सोनू निगम ने बहुत ही भावपूर्ण ढंग से गाया है।

गीत का सार यह है कि भगवान की खोज एक निरंतर प्रक्रिया है। भले ही हम कई रास्ते आजमा लें, लेकिन भगवान को पाना आसान नहीं है। हमें भगवान के प्रति दृढ़ विश्वास और आस्था रखनी चाहिए।

**है सुना ये पूरी धरती तू चलता है** गीत फिल्म **PK** का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो भगवान की खोज में भटक रहा है। गीत का रचनाकार और गायक सोनू निगम हैं।

गीत की शुरुआत में, गायक कहता है कि उसने सुना है कि भगवान पूरी धरती पर विचरण करते हैं। वह भगवान से प्रार्थना करता है कि वह उसकी भी सुन ले और उसे घर बुलाए।

गीत के दूसरे भाग में, गायक कहता है कि उसने सुना है कि भगवान भटके मन को राह दिखाते हैं। वह खुद भी भटका हुआ है और उसे भगवान से अपने घर बुलाने की उम्मीद है।

गीत के तीसरे भाग में, गायक कहता है कि वह चाहे पूजा करे या नमाज़ पढ़े, भगवान उसे नहीं मिलते हैं। वह मंदिर और गिरजाघर दोनों में गया है, लेकिन भगवान का कोई पता नहीं है।

गीत के चौथे भाग में, गायक कहता है कि वह भगवान की सभी रस्में निभाता है। वह भगवान के भक्तों की तरह सिर झुकाता है। लेकिन फिर भी, भगवान उसे नहीं मिलते हैं।

गीत के पांचवें भाग में, गायक कहता है कि भगवान के कई नाम हैं और उनके कई चेहरे हैं। वह भगवान को पाने के लिए कई राहों पर चला है, लेकिन उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली है।

गीत के अंत में, गायक कहता है कि वह भगवान की ज़िद को समझने की कोशिश कर रहा है। वह बिना समझे ही भगवान की इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करता रहता है।

**गीत का सार यह है कि भगवान एक रहस्य हैं। कोई नहीं जानता कि वे कहाँ हैं और कैसे दिखते हैं। लेकिन फिर भी, लोग उनके अस्तित्व में विश्वास करते हैं और उनकी पूजा करते हैं।**

गीत की रचना शैली बहुत ही सरल और सुगम है। गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है। गीत का संगीत भी बहुत ही मधुर और मनमोहक है। यह गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है और यह श्रोताओं के मन को छू जाता है।

गीत के कुछ विशेष बिंदु निम्नलिखित हैं:

* गीत में भगवान की खोज की कहानी को बताया गया है।
* गीत में भगवान की महिमा का गुणगान किया गया है।
* गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है।

गीत को सोनू निगम ने बहुत ही भावपूर्ण ढंग से गाया है। उनके स्वर में गीत के भावों को बहुत ही अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है।


जय हो, जय हो, शंकरा (भोलेनाथ, शंकरा).....इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से फिल्मी गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए "शब्दाधिपति के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।*

इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से फिल्मी गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए   "शब्दाधिपति   के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।*


जय हो, जय हो, शंकरा (भोलेनाथ, शंकरा)

आदिदेव, शंकरा (हे शिवाय, शंकरा)

तेरे जाप के बिना (भोलेनाथ, शंकरा)

चले ये साँस किस तरह? (हे शिवाय, शंकरा)

मेरा कर्म तू ही जाने, क्या बुरा है, क्या भला

(क्या बुरा है, क्या भला, क्या बुरा है, क्या भला)

तेरे रास्ते पे मैं तो आँख मूँद के चला

(आँख मूँद के चला, आँख मूँद के चला)

तेरे नाम की जोत ने सारा हर लिया तमस मेरा

नमो-नमो जी, शंकरा

भोलेनाथ, शंकरा

जय त्रिलोकनाथ, शंभु

हे शिवाय, शंकरा

नमो-नमो जी, शंकरा

भोलेनाथ, शंकरा

रुद्रदेव, हे महेश्वरा

सृष्टि के जनम से भी पहले तेरा वास था

ये जग रहे या ना रहे, रहेगी तेरी आस्था

क्या समय? क्या प्रलय?

दोनों में तेरी महानता, महानता, महानता

सीपियों की ओट में (भोलेनाथ, शंकरा)

मोतियाँ हो जिस तरह (हे शिवाय, शंकरा)

मेरे मन में, शंकरा (भोलेनाथ, शंकरा)

तू बसा है उस तरह (हे शिवाय, शंकरा)

मुझे भरम था जो है मेरा, था कभी नहीं मेरा

(था कभी नहीं मेरा, था कभी नहीं मेरा)

अर्थ क्या, निरर्थ क्या, जो भी है, सभी तेरा

(जो भी है, सभी तेरा, जो भी है, सभी तेरा)

तेरे सामने है झुका, मेरे सर पे हाथ रख तेरा

नमो-नमो जी, शंकरा

भोलेनाथ, शंकरा

जय त्रिलोकनाथ, शंभु

हे शिवाय, शंकरा

नमो-नमो जी, शंकरा

भोलेनाथ, शंकरा

रुद्रदेव, हे महेश्वरा

चंद्रमा ललाट पे, भस्म है भुजाओं में

वस्त्र बाघ-छाल का, है खड़ाऊँ पाँव में

प्यास क्या हो तुझे

गंगा है तेरी जटाओं में, जटाओं में, जटाओं में

दूसरों के वास्ते (भोलेनाथ, शंकरा)

तू सदैव ही जिया (हे शिवाय, शंकरा)

माँगा कुछ कभी नहीं (भोलेनाथ, शंकरा)

तूने सिर्फ़ है दिया (हे शिवाय, शंकरा)

समुद्र मंथन का था समय जो आ पड़ा

(था समय जो आ पड़ा, था समय जो आ पड़ा)

द्वंद्व दोनों लोक में विषामृत पे था छिड़ा

(विषामृत पे था छिड़ा, विषामृत पे था छिड़ा)

अमृत सभी में बाँट के, प्याला विष का तूने खुद पिया

नमो-नमो जी, शंकरा

भोलेनाथ, शंकरा

जय त्रिलोकनाथ, शंभु

हे शिवाय, शंकरा

नमो-नमो जी, शंकरा

भोलेनाथ, शंकरा

रुद्रदेव, हे महेश्वरा

नमो-नमो जी, शंकरा

भोलेनाथ, शंकरा

जय त्रिलोकनाथ, शंभु

हे शिवाय, शंकरा

नमो-नमो जी, शंकरा

भोलेनाथ, शंकरा

रुद्रदेव, हे महेश्वरा

रुद्रदेव, हे महेश्वरा

रुद्रदेव, हे महेश्वरा

**जय हो, जय हो, शंकरा** गीत फिल्म **केदारनाथ** का एक प्रसिद्ध भजन है। यह गीत भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। गीत की शुरुआत में, भक्त भगवान शिव को **जय** कहकर उनका स्वागत करता है। वह उन्हें **आदिदेव**, **तेरे जाप के बिना चले ये साँस किस तरह** कहकर उनका महत्व बताता है। भक्त कहता है कि वह भगवान शिव के मार्ग पर चलने के लिए अपना जीवन अर्पित कर देता है।

गीत के दूसरे भाग में, भक्त भगवान शिव की महानता का वर्णन करता है। वह कहता है कि भगवान शिव सृष्टि के जन्म से पहले से ही मौजूद थे और उनके बिना यह संसार अस्तित्व में नहीं आ सकता। भक्त कहता है कि भगवान शिव का आशीर्वाद हमेशा रहेगा, चाहे दुनिया रहे या न रहे।

गीत के तीसरे भाग में, भक्त भगवान शिव की भक्तवत्सलता का वर्णन करता है। वह कहता है कि भगवान शिव सीपियों की ओट में मोतियों की तरह अपने भक्तों के मन में बसे हुए हैं। भक्त कहता है कि वह भगवान शिव के सामने झुककर उनके हाथों में अपना सिर रखता है।

गीत के चौथे भाग में, भक्त भगवान शिव के रूप का वर्णन करता है। वह कहता है कि भगवान शिव के माथे पर चंद्रमा है, भुजाओं में भस्म है, शरीर पर बाघ-छाल का वस्त्र है और पैरों में खड़ाऊँ हैं। भक्त कहता है कि भगवान शिव को प्यास नहीं लगती क्योंकि उनके जटाओं में गंगा बहती है।

गीत के अंत में, भक्त भगवान शिव की त्याग की भावना का वर्णन करता है। वह कहता है कि भगवान शिव दूसरों के लिए अपना जीवन जीते हैं और उनसे कुछ भी नहीं मांगते। भक्त कहता है कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय विषपान करके सभी जीवों की रक्षा की थी।

**गीत का विश्लेषण**

**गीत की भाषा और शैली**

गीत की भाषा सरल और सुबोध है। गीत की शैली भक्तिमय है। गीत में भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है।

**गीत का भाव**

गीत का भाव भक्तिमय है। गीत में भक्त भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है और उनसे अपने जीवन का मार्गदर्शन करने की प्रार्थना करता है।

**गीत का प्रभाव**

गीत श्रोताओं पर गहरा प्रभाव डालता है। गीत भक्तों में भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति की भावना को जागृत करता है।

**गीत की विशेषताएं**

* गीत की भाषा सरल और सुबोध है।
* गीत की शैली भक्तिमय है।
* गीत में भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है।
* गीत श्रोताओं पर गहरा प्रभाव डालता है।

**गीत का महत्व**

* गीत भक्तों में भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति की भावना को जागृत करता है।
* गीत भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है।
* गीत एक लोकप्रिय भजन है और इसे अक्सर धार्मिक आयोजनों में गाया जाता है।

**जय हो, जय हो, शंकरा (भोलेनाथ, शंकरा)**

यह गीत भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। गीत की शुरुआत में, भक्त भगवान शिव को "जय हो, जय हो" कहकर नमस्कार करते हैं। वे उन्हें "आदिदेव" यानी सृष्टि के आदि देव और "भोलेनाथ" यानी निर्गुण भगवान के रूप में स्वीकार करते हैं।

**तेरे जाप के बिना (भोलेनाथ, शंकरा)
चले ये साँस किस तरह? (हे शिवाय, शंकरा)**

भक्त भगवान शिव को अपना जीवन दाता मानते हैं। वे कहते हैं कि बिना उनके नाम के जाप के उनकी साँसें भी नहीं चल सकती हैं।

**मेरा कर्म तू ही जाने, क्या बुरा है, क्या भला
(क्या बुरा है, क्या भला, क्या बुरा है, क्या भला)**

भक्त भगवान शिव को अपना कर्मफल का निर्णायक मानते हैं। वे कहते हैं कि वे अपने कर्मों के बारे में नहीं जानते, लेकिन भगवान शिव सब जानते हैं।

**तेरे रास्ते पे मैं तो आँख मूँद के चला
(आँख मूँद के चला, आँख मूँद के चला)**

भक्त भगवान शिव की आज्ञा का पालन करने के लिए तैयार हैं। वे कहते हैं कि वे उनके रास्ते पर आँख मूँदकर चलेंगे।

**तेरे नाम की जोत ने सारा हर लिया तमस मेरा
नमो-नमो जी, शंकरा
भोलेनाथ, शंकरा
जय त्रिलोकनाथ, शंभु
हे शिवाय, शंकरा**

भक्त भगवान शिव के नाम की ज्योति से अपने जीवन के अंधकार को दूर करने की कामना करते हैं।

**सृष्टि के जनम से भी पहले तेरा वास था
ये जग रहे या ना रहे, रहेगी तेरी आस्था
क्या समय? क्या प्रलय?
दोनों में तेरी महानता, महानता, महानता**

भक्त भगवान शिव को सृष्टि का आदि और अंत मानते हैं। वे कहते हैं कि चाहे यह दुनिया रहे या न रहे, उनकी आस्था हमेशा रहेगी। वे समय और प्रलय के दोनों रूपों में भगवान शिव की महानता को स्वीकार करते हैं।

**सीपियों की ओट में (भोलेनाथ, शंकरा)
मोतियाँ हो जिस तरह (हे शिवाय, शंकरा)**

भक्त भगवान शिव को सीपियों में छिपे मोतियों की तरह दुर्लभ और अनमोल मानते हैं।

**मेरे मन में, शंकरा (भोलेनाथ, शंकरा)
तू बसा है उस तरह (हे शिवाय, शंकरा)**

भक्त भगवान शिव को अपने मन में बसाए रखते हैं।

**मुझे भरम था जो है मेरा, था कभी नहीं मेरा
(था कभी नहीं मेरा, था कभी नहीं मेरा)**

भक्त कहते हैं कि उन्हें पहले लगता था कि जो कुछ भी उनके पास है, वह सब उनका है। लेकिन अब उन्हें समझ आ गया है कि सब कुछ भगवान शिव का है।

**अर्थ क्या, निरर्थ क्या, जो भी है, सभी तेरा
(जो भी है, सभी तेरा, जो भी है, सभी तेरा)**

भक्त कहते हैं कि सब कुछ भगवान शिव का है। इसलिए, जीवन में सब कुछ अर्थपूर्ण है।

**तेरे सामने है झुका, मेरे सर पे हाथ रख तेरा
नमो-नमो जी, शंकरा
भोलेनाथ, शंकरा
जय त्रिलोकनाथ, शंभु
हे शिवाय, शंकरा**

भक्त भगवान शिव के सामने झुककर उनकी शरण में जाते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव उनके सर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दें।

**चंद्रमा ललाट पे, भस्म है भुजाओं में
वस्त्र बाघ-छाल का, है खड़ाऊँ पाँव में
प्यास क्या हो तुझे
गंगा है तेरी जटाओं में, जटाओं में, जटाओं में**

भक्त भगवान शिव की विभूतियों का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव के माथे पर चंद्रमा है, भुजाओं में भस्म है, शरीर पर बाघ-छाल है और पैरों में खड़ाऊँ हैं। उन्हें प्यास नहीं है क्योंकि उनकी जटाओं में गंगा बहती है।

**दूसरों के वास्ते (भोले


जय हो, जय हो, शंकरा गीत फिल्म केदारनाथ का एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है। यह गीत भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है। गीत का रचनाकार अमिताभ भट्टाचार्य हैं और इसे गाया है संतवानी त्रिवेदी ने।

गीत की शुरुआत में, भक्त भगवान शिव से कहते हैं कि उनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। वे कहते हैं कि भगवान शिव ही उनके कर्मों के फल को जानते हैं और वे उनके मार्ग पर चलते हुए उनके नाम का जाप करते हैं। भगवान शिव के नाम का जाप करने से उनके भीतर का अंधकार दूर हो जाता है।

गीत के दूसरे भाग में, भक्त कहते हैं कि भगवान शिव सृष्टि के आदि देव हैं और उनकी आस्था सृष्टि के जन्म से पहले से ही है। वे कहते हैं कि भगवान शिव की महानता समय और प्रलय दोनों में ही है।

गीत के तीसरे भाग में, भक्त कहते हैं कि भगवान शिव उनके मन में बसते हैं। वे कहते हैं कि जो कुछ भी है, वह सब भगवान शिव का है। वे भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं कि वे उनके सर पर हाथ रखें और उन्हें अपना आशीर्वाद दें।

गीत के चौथे भाग में, भक्त भगवान शिव की विशिष्टताओं का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव के ललाट पर चंद्रमा है, उनकी भुजाओं में भस्म है, उनके वस्त्र बाघ-छाल के हैं और उनके पैरों में खड़ाऊँ हैं। वे कहते हैं कि भगवान शिव को प्यास नहीं लगती है क्योंकि उनकी जटाओं में गंगा बहती है।

गीत के अंत में, भक्त कहते हैं कि भगवान शिव दूसरों के लिए ही जीते हैं। वे कभी कुछ नहीं मांगते हैं और हमेशा दूसरों को देते हैं। वे कहते हैं कि जब समुद्र मंथन हुआ था, तब भगवान शिव ने विष का प्याला खुद पी लिया था ताकि सभी को अमृत मिल सके।

गीत का सार यह है कि भगवान शिव एक सर्वशक्तिमान देवता हैं जो सृष्टि के आदि देव हैं। वे अपने भक्तों के लिए हमेशा दयालु और करुणामयी रहते हैं।

गीत की रचना शैली बहुत ही सरल और सुगम है। गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है। गीत का संगीत भी बहुत ही मधुर और मनमोहक है। यह गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है और यह श्रोताओं के मन को छू जाता है।

गीत के कुछ विशेष बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • गीत में भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया गया है।
  • गीत में भगवान शिव की विशिष्टताओं का वर्णन किया गया है।
  • गीत में भगवान शिव के प्रति भक्तों की भक्तिभाव और भावुकता का वर्णन किया गया है।

गीत को संतवानी त्रिवेदी ने बहुत ही भावपूर्ण ढंग से गाया है। उनके स्वर में गीत के भावों को बहुत ही अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है

Mera karm tu hi jaaneKya bura hai kya bhalaa…Tere raaste pe main tohAankh moond ke chalaa…


(Bholenath Shankara)

Aadi dev Shankara

(Hey Shivay Shankara)

Tere jaap ke bina

(Bholenath Shankara)

Chale ye saans kis tarah

(Hey Shivay Shankara)



Mera karm tu hi jaane

Kya bura hai kya bhalaa…

Tere raaste pe main toh

Aankh moond ke chalaa…



Tere naam ki jot ne

Saara har liya tamas mera

(tamas: darkness)



Namo namo ji Shankara

Bholenath Shankara

Hey Triloknath Shambhu

Hey Shivay Shankara



Namo Namo ji Shankara

Bholenath Shankara

Rudradev hey Maheshvarah



Srishti ke janam se bhi

(O o…)

Pehle tera vaas tha

(O o…)

Ye jag rahe ya naa rahe

(O o…)

Rahegi teri aastha

(O o…)



Kya samay… kya pralay

Dono mein teri mahaanta

Mahaanta… mahaanta…



Seepiyon ki ontt main

(Bholenath Shankara)

Motiyaan ho jis tarah

(Hey Shivay Shankara)

Mere mann mein Shankara

(Bholenath Shankara)

Tu basa hai uss tarah

(Hey Shivay Shankara)



Mujhe bharam tha jo hai mera

Tha nahin kabhi mera…



Arth kya nirarth kya

Jo bhi hai sabhi tera…



Tere saamne hai jhuka

Mere sar pe haath rakh tera



Namo Namo ji Shankara

Bholenath Shankara

Hey Triloknath Shambhu

Hey Shivay Shankara



Namo namo ji Shankara

Bholenath Shankara

Rudradev hey Maheshvara



Chandrama lalaat pe (O o…)

Bhasm hai bhujaaon mein (O o…)

Vastra baagh chhaal ka (O o…)

Hai khadau paanv mein (O o…)



Pyaas kya ho tujhe

Ganga hai teri jataaon mein

Jataaon mein… Jataaon mein…



Doosron ke waaste

(Bholenath Shankara)

Tu sadaiv hai jiya

(Hey Shivay Shankara)

Maanga kuch kabhi nahi

(Bholenath Shankara)

Tune sirf hai diya

(Hey Shivay Shankara)



Samudra manthan ka tha samay jo aa pada

Dwand dono lok me vish-amrit pe tha chhida

Amrit sabhi main baant ke

Pyala vish ka tune khud piya



Namo Namo ji Shankara

Bholenath Shankara

Hey Triloknath Shambhu

Hey Shivay Shankara



Namo namo ji Shankara

Bholenath Shankara

Rudradev hey Maheshvara

Rudradev hey Maheshvara

Rudradev hey Maheshvara

उंगली पकड़ के तूनेचलना सिखाया था ना......इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से फिल्मी गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए "शब्दाधिपति के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।*


इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से फिल्मी गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए   "शब्दाधिपति   के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।*

ब छसे खान मज कूर
द्यु म रुखसात म्यान बोय जानो
ब छसे खान मज कूर
द्यु म रुखसात म्यान बोय जानो

ब छसे खान मज कूर

उंगली पकड़ के तूने
चलना सिखाया था ना
दहलीज़ ऊँची है ये पार करा दे
बाबा मैं तेरी मलिका
टुकड़ा हूँ तेरे दिल का
इक बार फिर से दहलीज़ पार करा दे
मुड़ के ना देखो दिलबरो दिलबरो
मुड़ के ना देखो दिलबरो
मुड़ के ना देखो...

फसलें जो काटी जायें, उगती नहीं हैं
बेटियाँ जो ब्याही जाएँ, मुड़ती नहीं हैं
ऐसी बिदाई हो तो, लंबी जुदाई हो तो
दहलीज़ दर्द की भी पार करा दे
बाबा मैं तेरी मलिका...

मेरे दिलबरो
बर्फें गलेंगी फिर से
मेरे दिलबरो
फसलें पकेंगी फिर से
तेरे पाँव के तले
मेरी दुआ चले
दुआ मेरी चले
उंगली पकड़ के तूने...

**ब छसे खान मज कूर** गीत फिल्म **राज़ी** का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक पिता और उसकी बेटी के बीच के भावनात्मक बंधन को दर्शाता है। गीत में, बेटी अपने पिता से कहती है कि वह शादी करने जा रही है। पिता बेटी को जाने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन वह उसे आशीर्वाद देता है।

गीत की शुरुआत में, बेटी अपने पिता से कहती है कि उसने उसे चलना सिखाया था। यह वाक्य बेटी और पिता के बीच के घनिष्ठ रिश्ते को दर्शाता है। पिता ने बेटी को जीवन के लिए आवश्यक कौशल सिखाए हैं।

बेटी अपने पिता से कहती है कि शादी की दहलीज़ बहुत ऊँची है। यह वाक्य बेटी की शादी के बारे में उसकी चिंता को दर्शाता है। वह जानती है कि शादी एक नया और चुनौतीपूर्ण चरण है।

बेटी अपने पिता से कहती है कि वह उसकी मलिका है और उसके दिल का टुकड़ा है। यह वाक्य बेटी के पिता के लिए उसके प्यार और सम्मान को दर्शाता है।

बेटी अपने पिता से कहती है कि वह एक बार फिर से दहलीज़ पार करना चाहती है। यह वाक्य बेटी की अपने पिता के साथ रहने की इच्छा को दर्शाता है।

गीत के अगले भाग में, बेटी अपनी शादी के बारे में और अधिक सोचती है। वह सोचती है कि फसलें जो काटी जाती हैं, वे फिर से नहीं उगती हैं। बेटियाँ जो ब्याही जाती हैं, वे पीछे मुड़कर नहीं देखती हैं।

बेटी समझती है कि शादी एक न लौटने वाली यात्रा है। वह अपने पिता से कहती है कि वह दहलीज़ दर्द की भी पार करना चाहती है।

गीत के अंत में, बेटी अपने पिता से आशीर्वाद मांगती है। वह अपने पिता से कहती है कि वह उसके लिए दुआ करती है।

**गीत का विश्लेषण**

**गीत का भाव**

गीत का भाव भावनात्मक है। यह गीत एक पिता और उसकी बेटी के बीच के प्यार और सम्मान को दर्शाता है। गीत बेटी की शादी के बारे में उसकी चिंता और उसके पिता के लिए उसके प्यार को भी दर्शाता है।

**गीत का संगीत**

गीत का संगीत बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण है। संगीत बेटी की भावनाओं को बहुत ही प्रभावी ढंग से व्यक्त करता है।

**गीत का प्रभाव**

गीत बहुत ही प्रभावशाली है। यह गीत दर्शकों के दिलों को छू लेता है। गीत पिता-पुत्री के रिश्ते के महत्व को भी दर्शाता है।

**गीत के कुछ महत्वपूर्ण लाइन्स**

* **"उंगली पकड़ के तूने, चलना सिखाया था ना"**

यह लाइन बेटी और पिता के बीच के घनिष्ठ रिश्ते को दर्शाती है। पिता ने बेटी को जीवन के लिए आवश्यक कौशल सिखाए हैं।

* **"बाबा मैं तेरी मलिका, टुकड़ा हूँ तेरे दिल का"**

यह लाइन बेटी के पिता के लिए उसके प्यार और सम्मान को दर्शाती है। बेटी अपने पिता को अपना राजा और अपना दिल का टुकड़ा मानती है।

* **"फसलें जो काटी जायें, उगती नहीं हैं, बेटियाँ जो ब्याही जाएँ, मुड़ती नहीं हैं"**

यह लाइन बेटी की शादी के बारे में उसकी चिंता को दर्शाती है। वह जानती है कि शादी एक न लौटने वाली यात्रा है।

* **"मेरे दिलबरो, बर्फें गलेंगी फिर से, मेरे दिलबरो, फसलें पकेंगी फिर से"**

यह लाइन बेटी के पिता से आशा व्यक्त करती है। बेटी अपने पिता से कहती है कि वह उनके लिए दुआ करती है और वह आशा करती है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।

**ब छसे खान मज कूर**

यह गाना 2018 की फिल्म "राजी" का है। यह एक लड़की की कहानी है जिसे पाकिस्तानी सेना में जाकर एक भारतीय जासूस की हत्या करनी होती है। गाना एक पिता और उसकी बेटी के बीच की विदाई को दर्शाता है।

गाना शुरू होता है जब बेटी अपने पिता से कहती है कि उसने उसे चलना सिखाया था। यह एक प्रतीकात्मक कथन है जो बेटी के पिता के लिए उसके महत्व को दर्शाता है। पिता ने उसे जीना सिखाया है, और अब वह उसे एक नई दुनिया में जाने के लिए तैयार कर रहा है।

बेटी अपने पिता से कहती है कि दहलीज़ ऊँची है। यह दहलीज़ एक प्रतीक है जो बेटी के नए जीवन को दर्शाता है। यह एक चुनौतीपूर्ण रास्ता है, लेकिन बेटी अपने पिता पर विश्वास करती है कि वह उसे पार करने में मदद करेगा।

बेटी अपने पिता से कहती है कि वह उसकी मलिका है और उसके दिल का टुकड़ा है। यह एक भावुक कथन है जो बेटी के पिता के प्रति उसके प्यार और सम्मान को दर्शाता है।

गाना तब एक दुखद नोट पर समाप्त होता है जब बेटी अपने पिता से कहती है कि वह मुड़कर नहीं देखेगी। यह एक प्रतीकात्मक कथन है जो बेटी के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है कि वह अपने नए जीवन में आगे बढ़ेगी।

**गाना का विश्लेषण**

गाना एक पिता और उसकी बेटी के बीच के प्रेम और विदाई की भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त करता है। यह एक शक्तिशाली और भावुक गीत है जो दर्शकों को अपनी यादों में डूबने पर मजबूर करता है।

गाना की धुन मधुर और सुखद है। यह गाने के भाव को बढ़ाती है और दर्शकों को भावनाओं में डूबने में मदद करती है।

गाना के बोल सरल और समझने में आसान हैं। वे गाने के भाव को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं और दर्शकों को गाने से जुड़ने में मदद करते हैं।

कुल मिलाकर, "ब छसे खान मज कूर" एक खूबसूरत और भावपूर्ण गीत है जो दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ता है।

**विशेष बिंदु**

* गाना एक पिता और उसकी बेटी के बीच के प्रेम और विदाई की भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त करता है।
* गाना की धुन मधुर और सुखद है।
* गाना के बोल सरल और समझने में आसान हैं।

**अतिरिक्त विचार**

गाना एक सामाजिक संदेश भी देता है। यह दिखाता है कि युद्ध के कारण परिवारों को कैसे अलग किया जा सकता है। गाना हमें यह याद दिलाता है कि युद्ध हमेशा हानिकारक होता है और इसे हमेशा रोका जाना चाहिए।

**ब छसे खान मज कूर** गीत फिल्म "राजी" का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक पिता और उसकी बेटी के बीच के भावनात्मक संबंध को दर्शाता है। पिता अपनी बेटी को विदेश जाने के लिए तैयार कर रहा है। वह उसे बताता है कि वह उसे हमेशा याद रखेगा और उसकी सलामती के लिए दुआ करेगा। बेटी अपने पिता से भावुक होती है और उसे छोड़ने से डरती है। लेकिन वह पिता के आशीर्वाद के साथ अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए तैयार है।

गीत की शुरुआत में, पिता अपनी बेटी से कहता है कि उसने उसे चलना सिखाया था। यह एक प्रतीकात्मक अर्थ रखता है। पिता ने अपनी बेटी को जीवन जीना सिखाया है। अब वह एक बड़ी हो चुकी है और उसे अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करनी है।

पिताजी अपनी बेटी से कहता है कि दहलीज़ ऊंची है। यह दहलीज़ एक प्रतीक है। यह नई जिंदगी की शुरुआत का प्रतीक है। यह एक कठिन चरण भी है। लेकिन पिता अपनी बेटी को विश्वास दिलाता है कि वह उसे पार कर सकती है।

बेटी अपने पिता से कहती है कि वह उसकी मलिका है और उसके दिल का टुकड़ा है। यह एक भावुक क्षण है। बेटी अपने पिता के प्यार और समर्थन को महसूस करती है।

पिता अपनी बेटी से कहता है कि वह मुड़कर न देखे। यह एक प्रतीकात्मक अर्थ रखता है। पिता अपनी बेटी को अतीत को पीछे छोड़ने के लिए कहता है। उसे अपनी नई जिंदगी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

गीत के दूसरे हिस्से में, पिता अपनी बेटी को बताता है कि फसलें जो काटी जाती हैं, वे दोबारा नहीं उगती हैं। बेटियाँ जो ब्याही जाती हैं, वे पीछे मुड़कर नहीं देखती हैं। यह एक सच्चाई है। जब कोई व्यक्ति एक नई शुरुआत करता है, तो उसे अतीत को पीछे छोड़ना चाहिए।

पिता अपनी बेटी से कहता है कि ऐसी बिदाई हो तो, लंबी जुदाई हो तो, दहलीज़ दर्द की भी पार करा दे। यह एक मुश्किल समय है। लेकिन पिता अपनी बेटी को विश्वास दिलाता है कि वह उससे पार पा सकती है।

गीत के अंत में, पिता अपनी बेटी से कहता है कि बर्फें गलेंगी फिर से और फसलें पकेंगी फिर से। यह एक आशाजनक वादा है। पिता अपनी बेटी को बताता है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।

**गीत का सार यह है कि पिता और बेटी के बीच का भावनात्मक संबंध अटूट है। पिता अपनी बेटी से हमेशा प्यार करता रहेगा और उसकी सलामती के लिए दुआ करता रहेगा। बेटी भी अपने पिता से हमेशा प्यार करती रहेगी और उसकी यादों को संजोए रखेगी।**

Be Chase Khanmoj KoorDi Mey Rukhsat MyaneyBhaijaanoBe Chase Khanmoj KoorDi Mey Rukhsat MyaneyBhaijaanoBe Chase Khanmoj Koor

**बे चास खनमोज कुर**

**दि मे रुखसत मयेनी**

**भाईजानो**

**बे चास खनमोज कुर**

**दि मे रुखसत मयेनी**

**भाईजानो**

**बे चास खनमोज कुर**

**अर्थ:**

**बे चास खनमोज कुर** का अर्थ है "बेचारे खनमोज कुर"। यह एक कश्मीरी विवाह गीत का एक पंक्ति है। इस पंक्ति में, गायक दुल्हन के भाईयों से कह रहा है कि वे अपनी बहन को विदा करने के लिए तैयार हों।

**Hindi में:**

**बेचारे खनमोज कुर**

**तुमकी बहन को विदा करने के लिए तैयार हो जाओ।**

**भाईजानो**

**बेचारे खनमोज कुर**

**तुमकी बहन को विदा करने के लिए तैयार हो जाओ।**

**भाईजानो**

**बेचारे खनमोज कुर**

**अंग्रेजी में:**

**Poor Khanmoej Kour**

**Get ready to bid farewell to your sister.**

**Brothers**

**Poor Khanmoej Kour**

**Get ready to bid farewell to your sister.**

**Brothers**

**Poor Khanmoej Kour**

**इस पंक्ति में, गायक दुल्हन के भाईयों से कह रहा है कि वे अपनी बहन को विदा करने के लिए दुखी हैं। वे जानते हैं कि उनकी बहन अब उनके साथ नहीं रहेगी। वे उसे याद करेंगे और उसे हमेशा अपने दिल में रखेंगे।**

**इस पंक्ति में, गायक दुल्हन के भाईयों को भी सलाह दे रहा है कि वे अपनी बहन के नए जीवन के लिए तैयार हों। वे उसे खुश रखने और उसकी मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हों।**

**यह एक भावपूर्ण पंक्ति है जो कश्मीरी विवाह की परंपराओं और मूल्यों को दर्शाती है।**

**बे चैस खानमोज कूड़**

**दी मे रुख़सत मयेनी**
**भाईजानों**

**बे चैस खानमोज कूड़**

**दी मे रुख़सत मयेनी**
**भाईजानों**

**बे चैस खानमोज कूड़**

**Hindi Translation:**

**बे चैस खानमोज कूड़**

**दी मे रुख़सत मयेनी**
**भाईजानों**

**बे चैस खानमोज कूड़**

**दी मे रुख़सत मयेनी**
**भाईजानों**

**बे चैस खानमोज कूड़**

**(Bhaijaanon, be chais khanmoj khoor, di me rukhsat mayeenee)

**(Bhaijaanon, be chais khanmoj khoor, di me rukhsat mayeenee)

**(Bhaijaanon, be chais khanmoj khoor, di me rukhsat mayeenee)**

**Translation:**

**(O brothers, the daughter of the house is leaving, she is leaving for her new home)

**(O brothers, the daughter of the house is leaving, she is leaving for her new home)

**(O brothers, the daughter of the house is leaving, she is leaving for her new home)**

This is a Kashmiri wedding song that is sung at the time of the bride's departure from her parents' home. The song is sung by the bride's brothers and sisters, and it expresses their sadness at her departure.

The song begins with the line "बे चैस खानमोज कूड़, दी मे रुख़सत मयेनी" which means "O brothers, the daughter of the house is leaving." This line sets the tone for the song, which is one of sadness and loss.

The song continues with the line "भाईजानों, बे चैस खानमोज कूड़, दी मे रुख़सत मयेनी" which means "O brothers, the daughter of the house is leaving, she is leaving for her new home." This line further emphasizes the sadness of the occasion, as the bride is leaving her family and friends to start a new life with her husband.

The song ends with the line "बे चैस खानमोज कूड़, दी मे रुख़सत मयेनी" which is a repetition of the first line. This repetition serves to reinforce the message of the song, which is that the bride's departure is a time of sadness and loss.

Here is a more literal translation of the song:

**O brothers, the daughter of the house is going, she is going to her new home.
O brothers, the daughter of the house is going, she is going to her new home.
O brothers, the daughter of the house is going, she is going to her new home.**

**बे चसे खनमोज कूड़**

**दी मे रुखसत मयेनी**

**भाईजानो**

**बे चसे खनमोज कूड़**

**दी मे रुखसत मयेनी**

**भाईजानो**

**बे चसे खनमोज कूड़**

**हिंदी में:**

**बे चले खनमोज के घर**

**दी मे रुखसत में जाओ**

**भाईयो**

**बे चले खनमोज के घर**

**दी मे रुखसत में जाओ**

**भाईयो**

**बे चले खनमोज के घर**

**यह गीत एक कश्मीरी शादी के गीत है। यह एक दुल्हन के भाईयों को संबोधित है। गीत कहता है कि दुल्हन अब अपने घर नहीं रहेगी, बल्कि अपने पति के घर जाएगी। भाईयों को दुल्हन को उसके नए घर में जाने के लिए आशीर्वाद देना चाहिए।**

**इस गीत के कुछ और शब्दों का अनुवाद इस प्रकार है:**

* **"बे"** - "बे" का अर्थ है "जाओ"।
* **"चसे"** - "चसे" का अर्थ है "के"।
* **"खनमोज"** - "खनमोज" का अर्थ है "दुल्हन"।
* **"कूड़"** - "कूड़" का अर्थ है "घर"।
* **"मयेनी"** - "मयेनी" का अर्थ है "में"।
* **"रुखसत"** - "रुखसत" का अर्थ है "विदाई"।
* **"भाईजानो"** - "भाईजानो" का अर्थ है "भाइयो"।

**मुझे उम्मीद है कि यह अनुवाद मददगार था।**

ऊँगली पकड़ के तूने चलना सिखाया था ना देहलीज़ ऊँची है ये पार करा दे बाबा मैं तेरी मल्लिका टुकड़ा हूँ तेरे दिल का इक बार फिर से देहलीज़ पार करा दे



ऊँगली पकड़ के तूने चलना सिखाया था ना 
देहलीज़ ऊँची है ये पार करा दे 
 बाबा मैं तेरी मल्लिका टुकड़ा हूँ 
तेरे दिल का इक बार फिर से देहलीज़ पार करा दे 
मुड़के ना देखो दिलबरो,
 दिलबरो दिलबरो.. 
मुड़के ना देखो दिलबरो 
मुड़के ना देखो दिलबरो, दिलबरो दिलबरो.. 
मुड़के ना देखो दिलबरो 
फसलें जो काटी जाएँ उगती नहीं हैं
 बेटियाँ जो ब्याही जाएँ मुड़ती नहीं हैं..
 ओ.. फसलें जो काटी जाएँ उगती नहीं हैं
 बेटियाँ जो ब्याही जाएँ मुड़ती नहीं हैं.. 
ऐसी बिदाई हो तो 
लम्बी जुदाई हो तो 
देहलीज़ दर्द की भी पार करा दे 
बड़ा मैं तेरी मल्लिका 
टुकड़ा हूँ तेरे दिल का
 इक बार फिर से देहलीज़ पार करा दे 
मुड़के ना देखो दिलबरो दिलबरो दिलबरो..
 मुड़के ना देखो दिलबरो मुड़के ना देखो दिलबरो दिलबरो दिलबरो.. मुड़के ना देखो दिलबरो
 मेरे दिलबरो.. बर्फ़ें गलेंगी फिर से मेरे दिलबरो..
 फसलें पकेंगी फिर से तेरे पाऊँ के तले मेरी दुआं चलें दुआ मेरी चलें.. ऊँगली पकड़ के तूने चलना सिखाया था ना देहलीज़ ऊँची है ये पार करा दे बड़ा मैं तेरी मल्लिका टुकड़ा हूँ तेरे दिल का इक बार फिर से देहलीज़ पार करा दे मुड़के ना देखो दिलबरो दिलबरो दिलबरो.. मुड़के ना देखो दिलबरो मुड़के ना देखो दिलबरो दिलबरो दिलबरो.. मुड़के ना देखो दिलबरो


ऐ वतन… वतन मेरेआबाद रहे तूऐ वतन… वतन मेरेआबाद रहे तू.........*इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से फिल्मी गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए "शब्दाधिपति के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।**

*इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से फिल्मी गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए   "शब्दाधिपति   के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।**


लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी
जिन्दगी सम्मा की सूरत हो खुदाया मेरी
लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी

ऐ वतन… वतन मेरे
आबाद रहे तू
ऐ वतन… वतन मेरे
आबाद रहे तू

मैं जहाँ रहूँ
जहाँ में याद रहे तू
मैं जहाँ रहूँ
जहाँ में याद रहे तू

तू ही मेरी मंजिल है
पहचान तुझी से
तू ही मेरी मंजिल है
पहचान तुझी से

पहुँचूँ मैं जहां भी
मेरी बुनियाद रहे तू
पहुँचूँ मैं जहां भी
मेरी बुनियाद रहे तू

ऐ वतन.. मेरे वतन
ऐ वतन.. मेरे वतन

तुझपे कोई गम की
आंच आने नहीं दूँ
तुझपे कोई गम की
आंच आने नहीं दूँ

कुर्बान मेरी जान
तुझपे शाद रहे तू
कुर्बान मेरी जान
तुझपे शाद रहे तू

ऐ वतन… वतन मेरे
आबाद रहे तू
मैं जहाँ रहूँ जहाँ में
याद रहे तू
ऐ वतन.. मेरे वतन
ऐ वतन.. मेरे वतन

लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी
जिन्दगी सम्मा की सूरत हो खुदाया मेरी
जिन्दगी सम्मा की सूरत हो खुदाया मेरी

ऐ वतन.. मेरे वतन
ऐ वतन.. मेरे वतन


**लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी**

यह गीत देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत है। गायक अपने देश के लिए प्रार्थना करता है कि वह हमेशा आबाद रहे। वह चाहता है कि उसका देश शांति और समृद्धि का घर हो। वह चाहता है कि उसका देश दुनिया के अन्य देशों के लिए एक प्रेरणा हो।

गीत की पहली पंक्ति में गायक कहता है कि उसका देश उसकी तमन्ना है। वह अपने देश के लिए इतना प्यार करता है कि उसकी तमन्ना बन गया है।

दूसरी पंक्ति में गायक कहता है कि वह चाहता है कि उसका देश दुनिया का एक उज्ज्वल उदाहरण हो। वह चाहता है कि उसका देश शांति और समृद्धि का घर हो।

तीसरी पंक्ति में गायक कहता है कि वह चाहता है कि उसका देश हमेशा याद रखा जाए। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहे।

चौथी पंक्ति में गायक कहता है कि उसका देश उसकी मंजिल है। वह चाहता है कि उसका देश उसकी पहचान हो।

पांचवीं पंक्ति में गायक कहता है कि वह चाहता है कि उसका देश उसकी बुनियाद रहे। वह चाहता है कि उसका देश उसके जीवन का आधार हो।

छठी पंक्ति में गायक कहता है कि वह अपने देश के लिए किसी भी तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार है। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा खुशहाल रहे।

सातवीं और आठवीं पंक्ति में गायक फिर से अपने देश के लिए प्रार्थना करता है। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा आबाद रहे। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा उसके दिल में याद रहे।

यह गीत देशभक्ति की भावना को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त करता है। यह गीत हर भारतीय के दिल को छू लेता है।

**आनॅलीटिकल एलोबरेशन**

इस गीत में देशभक्ति की भावना को व्यक्त करने के लिए कई भाषाई और काव्यात्मक तकनीकों का प्रयोग किया गया है। इनमें से कुछ प्रमुख तकनीकें निम्नलिखित हैं:

* **रूपक:** गीत में देश को "सम्मा" (उज्ज्वल) और "बुनियाद" (आधार) जैसे रूपकों का प्रयोग करके उसे एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
* **प्रतीक:** गीत में देश को "तमन्ना" (इच्छा), "मंजिल" (लक्ष्य) और "पहचान" (प्रतीक) जैसे प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया गया है।
* **समानता:** गीत में देश को "शाद" (खुश) और "आबाद" (बसाया हुआ) जैसे शब्दों के माध्यम से एक सुखी और समृद्ध देश के रूप में चित्रित किया गया है।

इन तकनीकों का प्रयोग करके गायक ने देशभक्ति की भावना को बहुत ही प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है। यह गीत हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की भावना को जागृत करने में सक्षम है।

इस गीत की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

* **यह गीत देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत है।**
* **इस गीत में देश को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।**
* **यह गीत देश को सुखी और समृद्ध बनाने की कामना करता है।**
* **यह गीत हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की भावना को जागृत करने में सक्षम है।**

**लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी** गीत एक देशभक्ति गीत है जो अपने देश के लिए प्रेम और आशीर्वाद की कामना करता है। गीत की शुरुआत कवि की "तमन्नाओं" से होती है, जो "दुआओं" में बदल जाती हैं। कवि अपने देश के लिए सुख, समृद्धि और शांति की कामना करता है। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा आबाद रहे और उसके लोग खुशहाल हों।

गीत के दूसरे छंद में, कवि अपने देश के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम व्यक्त करता है। वह अपने देश को अपनी मंजिल और पहचान के रूप में देखता है। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा उसके दिल में बसा रहे, चाहे वह कहीं भी हो।

तीसरे छंद में, कवि अपने देश की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। वह चाहता है कि उसका देश किसी भी दुख और पीड़ा से दूर रहे। वह अपने देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने को तैयार है।

गीत के अंत में, कवि अपने देश के लिए दुआ दोहराता है। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा आबाद और खुशहाल रहे।

गीत की भाषा सरल और सहज है। कविता में देशभक्ति की भावना बहुत ही सशक्त रूप से व्यक्त की गई है। गीत का संगीत भी बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण है। यह गीत हर देशभक्त के दिल को छू लेता है।

गीत के कुछ प्रमुख विषयों का विश्लेषण इस प्रकार है:

* **देशभक्ति:** गीत की मूल भावना देशभक्ति है। कवि अपने देश के लिए प्रेम और आशीर्वाद की कामना करता है। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा सुखी, समृद्ध और शांतिपूर्ण रहे।
* **देश के प्रति निष्ठा और प्रेम:** कवि अपने देश के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम व्यक्त करता है। वह अपने देश को अपनी मंजिल और पहचान के रूप में देखता है। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा उसके दिल में बसा रहे।
* **देश की सुरक्षा:** कवि अपने देश की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। वह चाहता है कि उसका देश किसी भी दुख और पीड़ा से दूर रहे। वह अपने देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने को तैयार है।

कुल मिलाकर, **लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी** एक खूबसूरत देशभक्ति गीत है जो हर देशभक्त के दिल को छू लेता है।

**लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी** गीत एक राष्ट्रभक्तिपूर्ण गीत है जो अपने देश के लिए प्रेम और आस्था को व्यक्त करता है। गीत का रचनाकार अल्लामा इकबाल है, जिन्हें उर्दू साहित्य के महानतम कवियों में से एक माना जाता है।

गीत की पहली पंक्ति में, कवि कहता है कि उसके होंठों पर उसकी तमन्ना एक दुआ बनकर आती है। वह अपने देश के लिए प्रार्थना करता है कि वह हमेशा आबाद रहे।

दूसरी पंक्ति में, कवि कहता है कि वह चाहता है कि उसका देश एक समृद्ध और खुशहाल देश हो। वह चाहता है कि उसके देश में शांति और समृद्धि हो।

तीसरी पंक्ति में, कवि कहता है कि वह चाहता है कि उसका देश उसके लिए हमेशा यादगार रहे। वह चाहता है कि वह अपने देश के बारे में हमेशा सोचता रहे, भले ही वह कहीं भी हो।

चौथी पंक्ति में, कवि कहता है कि उसका देश ही उसकी मंजिल है। वह चाहता है कि उसका जीवन अपने देश की सेवा में बीत जाए।

पांचवीं पंक्ति में, कवि कहता है कि वह चाहता है कि उसका देश उसकी बुनियाद रहे। वह चाहता है कि वह अपने देश के लिए एक मजबूत आधार बनकर रहे।

छठी पंक्ति में, कवि फिर से अपने देश के लिए प्रार्थना करता है। वह चाहता है कि उसके देश पर कोई गम न आए।

सातवीं पंक्ति में, कवि कहता है कि वह अपने देश के लिए अपने प्राणों की बाज़ी लगाने को तैयार है। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा खुशहाल रहे।

आठवीं पंक्ति में, कवि फिर से अपने देश के लिए प्रार्थना करता है। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा आबाद रहे।

नवीं पंक्ति में, कवि कहता है कि वह चाहता है कि उसका देश उसके लिए हमेशा यादगार रहे।

दसवीं पंक्ति में, कवि फिर से अपने देश के लिए प्रार्थना करता है। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा समृद्ध और खुशहाल रहे।

गीत की अंतिम पंक्ति में, कवि फिर से अपने देश के लिए प्रार्थना करता है। वह चाहता है कि उसका देश हमेशा आबाद रहे।

यह गीत अपने देश के लिए प्रेम और आस्था का एक शक्तिशाली उदाहरण है। यह गीत हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है जो अपने देश से प्यार करता है।

गीत की कुछ विशेषताओं पर निम्नलिखित विश्लेषण किया जा सकता है:

* **शब्दावली:** गीत में सरल और सहज शब्दावली का प्रयोग किया गया है। यह गीत को सभी के लिए सुबोध और समझने में आसान बनाता है।
* **छंद:** गीत छंदबद्ध है। यह गीत को सुनने में सुखद और यादगार बनाता है।
* **संगीत:** गीत का संगीत भी बहुत प्रभावशाली है। यह संगीत गीत के भाव को और भी अधिक निखरता है।

कुल मिलाकर, **लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी** एक उत्कृष्ट राष्ट्रभक्तिपूर्ण गीत है। यह गीत अपने देश के लिए प्रेम और आस्था का एक शक्तिशाली उदाहरण है। यह गीत हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है जो अपने देश से प्यार करता है।