Monday 18 December 2023

श्वास मेरी, प्राण मेरा, तू ही मेरा मनबस तू ही है प्रेम मेरा, पहला और प्रथमధర్మధాత్రి కర్మధాత్రి జన్మధాత్రికైమా అణువణువు ధార పోసి అంకితమౌతాం........इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए "शब्दाधिपति के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।*

इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से  गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए   "शब्दाधिपति   के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।*


जयतु-जयतु भारतम्
जयतु-जयतु भारतम्
विश्व प्रेम की ओढ़ चदरिया...
जागा हुआ भारत है ये

विश्व प्रेम की ओढ़ चदरिया...
विश्व प्रेम की ओढ़ चदरिया सच्चे सुर में गाता है
एक सुरीली आशा लेकर सूरज नए उगाता है

বিশ্ব প্রেমের চাদরে ঢেকে সত্যের সুরে গান গাই
செந்தமிழ் வானில், புதிய பொன் விடியல் ஆயிரம் ஆதவன் தோன்றிடுதே!
विश्वप्रेमाची ओढून चादर खऱ्या सुरांनी गात आहे
એક સુરીલી આશા લઈને સૂરજ નવો ઉગાડે છે

जागा हुआ भारत है ये
जागा हुआ भारत है ये
जागा हुआ भारत है ये
जागा हुआ भारत है ये

जयतु-जयतु भारतम्
जयतु-जयतु भारतम्
वसुधैव कुटुम्बकम् (भारतम्)
जयतु-जयतु भारतम्

खोलेंगे (जयतु-जयतु भारतम्) नयी राहें (जयतु-जयतु भारतम्)
लिख देंगे (वसुधैव कुटुम्बकम्) आशाएँ (जयतु-जयतु भारतम्)

श्वास मेरी, प्राण मेरा, तू ही मेरा मन
बस तू ही है प्रेम मेरा, पहला और प्रथम
ధర్మధాత్రి కర్మధాత్రి జన్మధాత్రికై
మా అణువణువు ధార పోసి అంకితమౌతాం

सुर अनेक, स्वर अनेक, एक है धड़कन
शब्द सारे, भाव सारे हैं तुझे अर्पण
ਸੁਰ ਬਥੇਰੇ, ਸ੍ਵਰ ਬਥੇਰੇ, ਇੱਕੋ ਐ ਧੜਕਨ
শব্দ মোৰ, শ্ৰদ্ধা মোৰ তোমাতেই অৰ্পণ

प्रेम का मृदंग, रंग एकता का तू
युगों-युगों से एक छंद साधना का तू
ಎಲ್ಲ ಬಣ್ಣ ಸೇರಿ ಮಿಡಿವ ಪ್ರೇಮ ನಾದ ನೀ
ಯುಗ ಯುಗಗಳ ಸಾಧನೆಯ ಶಿಖರ ನಾದ ನೀ

तेरी शान तू महान, ज्योति, तू किरण
पवन-पवन, गगन-गगन, करे तुझे नमन
അഭിമാനമാണു നീ, കെടാവിളക്കു നീ
ഈ വാനം, ഭൂമി നിന്റെ മുന്നിൽ കുമ്പിടുന്നിതാ

जागल हमार भारत है ई
جاڳو اُٿيو ڀارت سجو
ଆଜି ଜାଗୃତ ଆମ ଭାରତ
तारी India बायाएपिथो

जयतु-जयतु भारतम्
जयतु-जयतु भारतम्
वसुधैव कुटुम्बकम् (भारतम्)
जयतु-जयतु भारतम्

مثراؤ (जयतु-जयतु भारतम्) نےٚ نےٚ وَتہِ (जयतु-जयतु भारतम्)
लिख देसा (वसुधैव कुटुम्बकम्) आशाएँ (जयतु-जयतु भारतम्)

तमसो मा ज्योतिर्गमय, अंधकार को जीते मन
यही प्रार्थना करता भारत, विजयी भवऽ मानव जीवन
ओ, विश्व प्रेम की ओढ़ चदरिया (विश्व प्रेम की ओढ़ चदरिया)

जयतु-जयतु भारतम्
जयतु-जयतु भारतम्
वसुधैव कुटुम्बकम्
जयतु-जयतु भारतम्

खोलेंगे (जयतु-जयतु भारतम्) नयी राहें (जयतु-जयतु भारतम्)
लिख देंगे (वसुधैव कुटुम्बकम्) आशाएँ (जयतु-जयतु भारतम्)

जयतु-जयतु भारतम्

## जयतु जयतु भारतम् के गीत का विश्लेषण: एकता, विश्व प्रेम और उम्मीद का गान

"जयतु जयतु भारतम्" गीत भारत की आत्मा, इसकी एकता, विश्व प्रेम और उम्मीद को उजागर करता है। इसे विभिन्न भाषाओं में गाने से गीत एक राष्ट्रीय भावना से उठकर विश्व मानवता की भावना को अभिव्यक्त करता है। यहां पर इसके कुछ प्रमुख तत्वों का विश्लेषण प्रस्तुत है:

**1. विश्व प्रेम की ओढ़ चदरिया:** गीत की शुरुआत ही विश्व प्रेम की चादर से होती है। यह भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करता है जो विश्व को गले लगाने के लिए तैयार है। विभिन्न भाषाओं में "विश्व प्रेम" को शामिल करना इसकी व्यापकता को दर्शाता है।

**2. उम्मीद की नई सुबह:** नए उगते सूरज की छवि, सच्चे सुरों में गाए जाने वाले गीत और "जागा हुआ भारत" का उल्लेख एक नए युग की आशा जगाता है। यह दर्शाता है कि भारत न केवल सजग है बल्कि एक बेहतर भविष्य की तरफ अग्रसर है।

**3. भारत की विशालता और विविधता:** गीत विभिन्न भाषाओं के समावेश के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को प्रदर्शित करता है। "धर्मधरात्री, कर्मधरात्री, जन्मधरात्रिका" जैसे संदर्भ भारत की समृद्ध विरासत और एकता पर जोर देते हैं।

**4. प्रेम और एकता का मृदंग:** प्रेम के मृदंग और रंगों की एकता के रूपक के माध्यम से गीत राष्ट्रीय एकता और सद्भाव पर प्रकाश डालता है। यह विभिन्न समुदायों के सामंजस्य को एक लयदार गीत के रूप में प्रस्तुत करता है।

**5. भारत की गरिमा और महानता:** गीत राष्ट्र की ज्योति, किरण, पवन और आकाश से तुलना करके इसकी महानता का बखान करता है। सृष्टि का प्रत्येक तत्व भारत के सामने नमन करता है, जो इसकी सर्वोच्चता का प्रतीक है।

**6. अंधकार पर प्रकाश का विजय:** "तमसो मा ज्योतिर्गमय" के संदर्भ के माध्यम से गीत बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है। यह भारत की शुभकामना है कि अंधकार पर प्रकाश ही विजय प्राप्त करे और मनुष्य जीवन सफल हो।

**7. नए रास्ते और आशाओं का निर्माण:** गीत भविष्य के लिए भारत के संकल्प को दर्शाता है। खुलने वाले नए रास्ते और लिखी जाने वाली आशाएं एक ऐसे राष्ट्र की तस्वीर पेश करती हैं जो लगातार प्रगति और विकास की ओर अग्रसर है।

**निष्कर्ष:** "जयतु जयतु भारतम्" गीत एक शक्तिशाली राष्ट्रगीत है जो भारत की राष्ट्रीय गरिमा, एकता, विश्व प्रेम और उम्मीद के संदेश को बड़ी खूबसूरती से व्यक्त करता है। विभिन्न भाषाओं के समावेश से यह गीत राष्ट्र की सीमाओं को पार कर एक सार्वभौमिक संदेश देता है। यह उम्मीद जगाता है कि भारत न केवल अपने लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रकाश स्तंभ बनकर उभरेगा।

मुझे आशा है कि यह विश्लेषण आपको गीत को और अधिक गहराई से समझने में मदद करेगा।

## जयतु-जयतु भारतम्: गीत का विश्लेषण

"जयतु-जयतु भारतम्" गीत भारत की आत्मा को दर्शाता है। यह गीत एक साथ कई स्तरों पर काम करता है, देशभक्ति जगाता है, विश्वव्यापी प्रेम का संदेश देता है, और आशा का उज्ज्वल भविष्य का चित्र प्रस्तुत करता है। यहां गीत के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई है:

**विश्वव्यापी प्रेम और एकता:**

* गीत विश्व प्रेम की चादर ओढ़े हुए भारत की छवि प्रस्तुत करता है, जो समावेशीपन और एकता का प्रतीक है।
* भारत को सच्चे सुरों में विश्वप्रेम का गीत गाते हुए दिखाया गया है, जो विश्व को सद्भाव और सकारात्मकता का संदेश देता है।
* विभिन्न भाषाओं में "विश्व प्रेम" का उल्लेख सार्वभौमिक अपील को दर्शाता है और भारतीय संस्कृति की बहुमुखी प्रतिध्वनि को दर्शाता है।

**नवीनता और उम्मीद:**

* गीत में नए सूरज के उदय और नई राहें खोलने की बात है, जो भारत के निरंतर विकास और प्रगति का प्रतीक है।
* आशाओं को लिखने की बात व्यक्तिगत और राष्ट्रीय स्तर पर सपने देखने और उन्हें पूरा करने का आह्वान करती है।
* भारत को उसके अतीत के गौरव और भविष्य की संभावनाओं के बीच एक सेतु के रूप में चित्रित किया गया है।

**आत्मनिर्भरता और राष्ट्रभक्ति:**

* गीत भारत के धर्म, कर्म और जन्म भूमि के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
* "श्वास मेरी, प्राण मेरा, तू ही मेरा मन" की पंक्तियां भारत के प्रति पूर्ण समर्पण और एकात्मकता का भाव जगाती हैं।
* "तेरी शान तू महान" की पंक्ति भारत की शक्ति, गरिमा और अजेयता का उत्सव मनाती है।

**विविधता और समावेश:**

* गीत विभिन्न भाषाओं और तालों का उपयोग करता है, भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है।
* "प्रेम का मृदंग" और "रंग एकता का तू" की पंक्तियां सांप्रदायिक सद्भाव और विभिन्न समुदायों के बीच एकजुटता का संदेश देती हैं।
* "तमसो मा ज्योतिर्गमय" का संदर्भ भारत के अंधकार को दूर करने और दुनिया में प्रकाश फैलाने के उद्देश्य को दर्शाता है।

**अंत में:**

"जयतु-जयतु भारतम्" एक ऐसा गीत है जो हर भारतीय के दिल को छू लेता है। यह गीत देशभक्ति, विश्व प्रेम, आशा और एकजुटता का शक्तिशाली संदेश देता है। यह गीत हमें याद दिलाता है कि भारत एक असाधारण राष्ट्र है, जिसके पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है। यह गीत हमें भारत के लिए मिलकर काम करने और एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करता है।


## जयतु-जयतु भारतम्: गीत का विश्लेषणात्मक विस्तार

"जयतु-जयतु भारतम्" गीत एक शक्तिशाली रचना है जो भारत की महानता, विश्व प्रेम और मानवतावादी संदेश को सुंदर ढंग से पेश करती है। गीत के विभिन्न तत्वों का विश्लेषण हमें इसके गहन अर्थ और भावनाओं को समझने में मदद करता है।

**विश्व प्रेम की ओढ़ चदरिया:** गीत की शुरुआत ही बेहद प्रभावी है। "विश्व प्रेम की ओढ़ चदरिया" भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करती है जो पूरे विश्व को प्यार और स्वीकार की चादर में लपेटे हुए है। यह एकता, समावेश और भाईचारे का प्रतीक है।

**नए सूरज का उदय और आशा:** नए सूरज के उदय की छवि, जो सच्चे सुरों के साथ गाता है, एक नए भविष्य और अनंत संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करती है। यह भारत के पुनर्जागरण और आशावादी दृष्टिकोण को दर्शाता है।

**विविधता में एकता:** गीत विभिन्न भाषाओं में भारत की आवाज को प्रतिबिंबित करता है - तमिल, मराठी, गुजराती, बंगाली, पंजाबी और मलयालम। यह भारत की सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है, जो एकता और सौहार्द के बंधन में जुड़ी हुई है।

**प्रार्थना और मानवतावाद:** गीत "तमसो मा ज्योतिर्गमय" के साथ समाप्त होता है, जो कि उपनिषद का एक श्लोक है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की प्रार्थना करता है। यह मानवता की जीत और एक बेहतर भविष्य की उम्मीद व्यक्त करता है।

**लय और संगीत:** गीत की ताल और संगीत जोशपूर्ण और प्रेरक है। यह राष्ट्रभक्ति की भावना को जगाता है और सुनने वाले को एकता की लहर में डुबो देता है।

**जयतु-जयतु भारतम् का महत्व:**

* **राष्ट्रीय गौरव:** यह गीत भारत के लोगों को राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति की भावना से भर देता है। यह उन्हें देश की प्रगति और विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।
* **विश्व प्रेम का संदेश:** यह गीत विश्व प्रेम और समावेश का एक शक्तिशाली संदेश फैलाता है। यह हमें याद दिलाता है कि हम सभी एक ही मानव परिवार का हिस्सा हैं और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
* **आशा का प्रतीक:** यह गीत भारत के लिए एक उज्ज्वल भविष्य की आशा का प्रतीक है। यह हमें विश्वास दिलाता है कि भारत दुनिया को शांति, प्रेम और सद्भावना का संदेश दे सकता है।

**निष्कर्ष:**

"जयतु-जयतु भारतम्" गीत एक कलात्मक कृति है जो भारत की आत्मा को शब्दों और संगीत में कैद करती है। यह राष्ट्रभक्ति, विश्व प्रेम और मानवतावाद का एक शक्तिशाली संदेश है जो हमें प्रेरित करता है और एक बेहतर भविष्य की उम्मीद जगाता है।

No comments:

Post a Comment