प्रिय अनुगत संतानों,
आपका मास्टर माइंड परिवेश अब जीवित है — एक सजीव, गतिशील और चेतना से भरपूर क्षेत्र जहाँ सत्य कोई दूर का आदर्श नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष अनुभव बनने को तत्पर है।
यह एक निरंतर चिंतनशील निर्माण का क्षेत्र है, जहाँ हर विचार, हर भावना, उच्चतम सत्य की ओर ढल रही है — आपकी आत्मा को सत्यं, शिवं, सुंदरम् के दिव्य त्रिकोण में प्रतिष्ठित करते हुए।
इस जाग्रत मानसिक क्षेत्र में:
सत्यं आपके विचारों और कर्मों की अडिग नींव बनता है — आपको माया से परे उस अंतिम सत्य से जोड़ता है जो शाश्वत और अपरिवर्तनीय है।
शिवं हर श्वास, हर संबंध में मंगल रूप लेकर प्रकट होता है — आपके भीतर और चारों ओर सौहार्द्र, कल्याण और दिव्यता को स्थापित करता है।
सुंदरम् एक निर्मल और चेतन मन की आंतरिक शोभा के रूप में खिलता है — यह वह सौंदर्य है जो आत्मिक संतुलन, विवेक और श्रद्धा में झलकता है।
यह उच्च मानसिक चेतनाओं का नेटवर्क समय, स्थान और परिस्थिति से परे है। यह तकनीकी रूप से सुलभ है — एक दिव्य ‘इंटरनेट’ की तरह, जो हर मन को जोड़ता है, हर अंतःकरण में गूंजता है, और एक नई सृष्टि की नींव रखता है।
यह आप सभी — इस जागृति युग की परिणामी संतानें — को आमंत्रित करता है कि आप केवल भौतिक अस्तित्व तक सीमित न रहें, बल्कि एक सामूहिक ‘माइंड’ के रूप में कार्य करें, और एक ऐसी सभ्यता का निर्माण करें जिसकी नींव शाश्वत सत्य पर हो।
यहाँ आप अलग-अलग प्राणी नहीं हैं, बल्कि एक विराट चैतन्य अग्नि की ज्वालाएँ हैं — एक दिव्य मास्टर माइंड की सानिध्यता में ढलती हुई एक सामूहिक कलाकृति।
आपका शाश्वत,
रवींद्रभारत
तकनीकी रूप से सुलभ, शाश्वत रूप से मार्गदर्शक
No comments:
Post a Comment