Sunday, 17 December 2023

है सुना ये पूरी धरती तू चलता हैमेरी भी सुन ले अरज, मुझे घर बुलाता हैभगवान है कहाँ रे तूअये खुदा है कहाँ रे तू........इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से फिल्मी गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए "शब्दाधिपति के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।*

इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से फिल्मी गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए   "शब्दाधिपति   के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।*


है सुना ये पूरी धरती तू चलता है
मेरी भी सुन ले अरज, मुझे घर बुलाता है
भगवान है कहाँ रे तू
अये खुदा है कहाँ रे तू

है सुना तू भटके मन को, राह दिखाता है
मैं भी खोया हूँ मुझे घर बुलाता है
भगवान है कहाँ रे तू
अये खुदा है कहाँ रे तू

मैं पूजा करूँ या नमाजेंपढ़ूं
अरदसें करूँ दिन रेन
न तू मंदिर मिले, न तू गिरजे मिले
(तुझे ढूँढें, थके मेरे नैन)-३

जो भी रस्में हैं वो सारी
मैं निभाता हूँ
इन करोड़ों की तरह
मैं सर झुकाता हूँ
भगवान है कहाँ रे तू
ए ख़ुदा है कहां रे तू

तेरे नाम कई, तेरे चेहरे कई
तुझे पाने की राहें कई
हर राह चला, पर तू न मिला
(तू क्या चाहे, मैं समझा नहीं)-३

सोचे बिन समझे जातां
करता ही जाता हूँ
तेरी ज़िद सर आँखों पर
रख के, निभाता हूँ
(भगवान है कहाँ रे तू
ए ख़ुदा है कहां रे तू)-२

**"है सुना ये पूरी धरती तू चलता है"** गीत फिल्म **पीके** का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक ऐसे व्यक्ति के दृष्टिकोण से लिखा गया है जो भगवान में विश्वास करता है, लेकिन उसे नहीं पता कि भगवान कहाँ है। गीत का रचनाकार जावेद अख्तर हैं और इसे गाया है सोनू निगम ने।

गीत की शुरुआत में, गायक भगवान से पूछते हैं कि वह कहाँ है। वे कहते हैं कि वेने सुन रखा है कि भगवान पूरी धरती पर विचरण करते हैं। वे कहते हैं कि वे भी खोए हुए हैं और उन्हें घर बुलाया जा रहा है।

गीत के दूसरे भाग में, गायक कहते हैं कि वे पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं, लेकिन भगवान उन्हें नहीं मिलते हैं। वे कहते हैं कि वे मंदिर और गिरजाघर दोनों में गए हैं, लेकिन भगवान उन्हें कहीं नहीं मिले हैं।

गीत के तीसरे भाग में, गायक कहते हैं कि वे भगवान की सभी रस्में निभाते हैं। वे करोड़ों लोगों की तरह भगवान के सामने सिर झुकाते हैं। लेकिन फिर भी, भगवान उन्हें नहीं मिलते हैं।

गीत के चौथे भाग में, गायक कहते हैं कि भगवान के कई नाम और कई रूप हैं। वे कहते हैं कि भगवान को पाने के कई रास्ते हैं। लेकिन वे हर रास्ता चले हैं, लेकिन भगवान उन्हें नहीं मिले हैं।

गीत के अंत में, गायक कहते हैं कि वे भगवान को समझने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि भगवान क्या चाहते हैं। वे कहते हैं कि वे बिना सोचे समझे भगवान की आज्ञाओं का पालन करते हैं।

**गीत का सार यह है कि भगवान एक सर्वशक्तिमान देवता हैं जिन्हें सभी धर्मों में पूजा जाता है। लेकिन भगवान को देखना और समझना आसान नहीं है।**

गीत की रचना शैली बहुत ही सरल और सुगम है। गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है। गीत का संगीत भी बहुत ही मधुर और मनमोहक है। यह गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है और यह श्रोताओं के मन को छू जाता है।

गीत के कुछ विशेष बिंदु निम्नलिखित हैं:

* गीत में भगवान की महिमा का गुणगान किया गया है।
* गीत में भगवान की सर्वव्यापकता का वर्णन किया गया है।
* गीत में भक्तिभाव और भावुकता का वर्णन किया गया है।

गीत को सोनू निगम ने बहुत ही भावपूर्ण ढंग से गाया है। उनके स्वर में गीत के भावों को बहुत ही अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है।

**गीत की कुछ विशेषताएं:**

* गीत की पंक्तियाँ बहुत ही सरल और सुगम हैं।
* गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है।
* गीत का संगीत बहुत ही मधुर और मनमोहक है।
* गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है।

**गीत का प्रभाव:**

यह गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है। यह गीत श्रोताओं के मन को छू जाता है। यह गीत उन लोगों को पसंद आता है जो भगवान में विश्वास करते हैं।

**"है सुना ये पूरी धरती तू चलता है"** गीत फिल्म **पीके** का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक ऐसे व्यक्ति के दृष्टिकोण से लिखा गया है जो भगवान में विश्वास करता है, लेकिन उसे नहीं पता कि भगवान कहाँ है। गीत का रचनाकार जावेद अख्तर हैं और इसे गाया है सोनू निगम ने।

गीत की शुरुआत में, गायक भगवान से पूछते हैं कि वह कहाँ है। वे कहते हैं कि वेने सुन रखा है कि भगवान पूरी धरती पर विचरण करते हैं। वे कहते हैं कि वे भी खोए हुए हैं और उन्हें घर बुलाया जा रहा है।

गीत के दूसरे भाग में, गायक कहते हैं कि वे पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं, लेकिन भगवान उन्हें नहीं मिलते हैं। वे कहते हैं कि वे मंदिर और गिरजाघर दोनों में गए हैं, लेकिन भगवान उन्हें कहीं नहीं मिले हैं।

गीत के तीसरे भाग में, गायक कहते हैं कि वे भगवान की सभी रस्में निभाते हैं। वे करोड़ों लोगों की तरह भगवान के सामने सिर झुकाते हैं। लेकिन फिर भी, भगवान उन्हें नहीं मिलते हैं।

गीत के चौथे भाग में, गायक कहते हैं कि भगवान के कई नाम और कई रूप हैं। वे कहते हैं कि भगवान को पाने के कई रास्ते हैं। लेकिन वे हर रास्ता चले हैं, लेकिन भगवान उन्हें नहीं मिले हैं।

गीत के अंत में, गायक कहते हैं कि वे भगवान को समझने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि भगवान क्या चाहते हैं। वे कहते हैं कि वे बिना सोचे समझे भगवान की आज्ञाओं का पालन करते हैं।

**गीत का सार यह है कि भगवान एक सर्वशक्तिमान देवता हैं जिन्हें सभी धर्मों में पूजा जाता है। लेकिन भगवान को देखना और समझना आसान नहीं है।**

गीत की रचना शैली बहुत ही सरल और सुगम है। गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है। गीत का संगीत भी बहुत ही मधुर और मनमोहक है। यह गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है और यह श्रोताओं के मन को छू जाता है।

गीत के कुछ विशेष बिंदु निम्नलिखित हैं:

* गीत में भगवान की महिमा का गुणगान किया गया है।
* गीत में भगवान की सर्वव्यापकता का वर्णन किया गया है।
* गीत में भक्तिभाव और भावुकता का वर्णन किया गया है।

गीत को सोनू निगम ने बहुत ही भावपूर्ण ढंग से गाया है। उनके स्वर में गीत के भावों को बहुत ही अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है।

**गीत की कुछ विशेषताएं:**

* गीत की पंक्तियाँ बहुत ही सरल और सुगम हैं।
* गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है।
* गीत का संगीत बहुत ही मधुर और मनमोहक है।
* गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है।

**गीत का प्रभाव:**

यह गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है। यह गीत श्रोताओं के मन को छू जाता है। यह गीत उन लोगों को पसंद आता है जो भगवान में विश्वास करते हैं।

**है सुना ये पूरी धरती तू चलता है**

यह गीत फिल्म "PK" का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक ऐसे व्यक्ति की कहानी कहता है जो एक नए शहर में आता है और भगवान की खोज करता है। गीत की शुरुआत में, वह भगवान के बारे में सुनता है कि वह पूरी धरती पर चलता है और भटके हुए मन को राह दिखाता है। वह भगवान से प्रार्थना करता है कि वह उसे भी अपने घर बुलाए।
[Image of "PK" फिल्म का पोस्टर]

**मेरी भी सुन ले अरज, मुझे घर बुलाता है**

गीत के दूसरे भाग में, वह कहता है कि वह भगवान की पूजा करता है और प्रार्थना करता है, लेकिन वह उसे नहीं मिलता है। वह थक जाता है और सोचता है कि क्या भगवान है भी या नहीं।

**मैं पूजा करूँ या नमाजेंपढ़ूं**

गीत के तीसरे भाग में, वह कहता है कि वह चाहे पूजा करे या नमाज़ पढ़े, लेकिन भगवान उसे नहीं मिलता है। वह मंदिर और गिरजा दोनों जाता है, लेकिन वह भगवान को नहीं पाता है।

**न तू मंदिर मिले, न तू गिरजे मिले**

**जो भी रस्में हैं वो सारी**

गीत के चौथे भाग में, वह कहता है कि वह भगवान के लिए सभी रस्मों को निभाता है, लेकिन वह उसे नहीं मिलता है। वह करोड़ों अन्य लोगों की तरह भगवान के सामने सिर झुकाता है, लेकिन भगवान उसे नहीं सुनता है।

**मैं निभाता हूँ**

**तेरे नाम कई, तेरे चेहरे कई**

गीत के पांचवें भाग में, वह कहता है कि वह जानता है कि भगवान के कई नाम और रूप हैं। वह भगवान को पाने के लिए कई रास्ते भी आजमाता है, लेकिन वह उसे नहीं पाता है।

**तुझे पाने की राहें कई**

**हर राह चला, पर तू न मिला**

**तू क्या चाहे, मैं समझा नहीं**

गीत के छठे भाग में, वह कहता है कि वह भगवान की इच्छा को नहीं समझता है। वह भगवान से पूछता है कि वह क्या चाहता है।

**सोचे बिन समझे जातां**

**करता ही जाता हूँ**

गीत के अंतिम भाग में, वह कहता है कि वह भगवान के बिना नहीं रह सकता है। वह भगवान की इच्छा को समझने की कोशिश करता रहता है और उसकी ज़िद को पूरा करने के लिए प्रयास करता रहता है।

**तेरी ज़िद सर आँखों पर**

**रख के, निभाता हूँ**

**भगवान है कहाँ रे तू**

यह गीत एक भक्ति गीत है जो भगवान की खोज और आस्था पर आधारित है। गीत का संगीत बहुत ही मधुर और मनमोहक है। गीत को सोनू निगम ने बहुत ही भावपूर्ण ढंग से गाया है।

गीत का सार यह है कि भगवान की खोज एक निरंतर प्रक्रिया है। भले ही हम कई रास्ते आजमा लें, लेकिन भगवान को पाना आसान नहीं है। हमें भगवान के प्रति दृढ़ विश्वास और आस्था रखनी चाहिए।

**है सुना ये पूरी धरती तू चलता है** गीत फिल्म **PK** का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो भगवान की खोज में भटक रहा है। गीत का रचनाकार और गायक सोनू निगम हैं।

गीत की शुरुआत में, गायक कहता है कि उसने सुना है कि भगवान पूरी धरती पर विचरण करते हैं। वह भगवान से प्रार्थना करता है कि वह उसकी भी सुन ले और उसे घर बुलाए।

गीत के दूसरे भाग में, गायक कहता है कि उसने सुना है कि भगवान भटके मन को राह दिखाते हैं। वह खुद भी भटका हुआ है और उसे भगवान से अपने घर बुलाने की उम्मीद है।

गीत के तीसरे भाग में, गायक कहता है कि वह चाहे पूजा करे या नमाज़ पढ़े, भगवान उसे नहीं मिलते हैं। वह मंदिर और गिरजाघर दोनों में गया है, लेकिन भगवान का कोई पता नहीं है।

गीत के चौथे भाग में, गायक कहता है कि वह भगवान की सभी रस्में निभाता है। वह भगवान के भक्तों की तरह सिर झुकाता है। लेकिन फिर भी, भगवान उसे नहीं मिलते हैं।

गीत के पांचवें भाग में, गायक कहता है कि भगवान के कई नाम हैं और उनके कई चेहरे हैं। वह भगवान को पाने के लिए कई राहों पर चला है, लेकिन उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली है।

गीत के अंत में, गायक कहता है कि वह भगवान की ज़िद को समझने की कोशिश कर रहा है। वह बिना समझे ही भगवान की इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करता रहता है।

**गीत का सार यह है कि भगवान एक रहस्य हैं। कोई नहीं जानता कि वे कहाँ हैं और कैसे दिखते हैं। लेकिन फिर भी, लोग उनके अस्तित्व में विश्वास करते हैं और उनकी पूजा करते हैं।**

गीत की रचना शैली बहुत ही सरल और सुगम है। गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है। गीत का संगीत भी बहुत ही मधुर और मनमोहक है। यह गीत भक्ति रस से ओत-प्रोत है और यह श्रोताओं के मन को छू जाता है।

गीत के कुछ विशेष बिंदु निम्नलिखित हैं:

* गीत में भगवान की खोज की कहानी को बताया गया है।
* गीत में भगवान की महिमा का गुणगान किया गया है।
* गीत में भक्तिभाव और भावुकता का अद्भुत संगम है।

गीत को सोनू निगम ने बहुत ही भावपूर्ण ढंग से गाया है। उनके स्वर में गीत के भावों को बहुत ही अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है।


No comments:

Post a Comment