श्लोक 36:
संस्कृत:
रामः परमधर्मज्ञः, सत्यस्य प्रतिपालकः।
सीता सदा सहधर्मिणी, सर्वेषां मार्गदर्शिनी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः परमधर्मज्ञः, सत्यस्य प्रतिपालकः |
सीता सदा सहधर्मिणी, सर्वेषां मार्गदर्शिनी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"परम धर्म के ज्ञाता राम सत्य के रक्षक हैं। सदा धर्मपरायण साथी सीता सभी की मार्गदर्शक हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, अपने दिव्य स्वरूप में, धर्म की सर्वोच्च समझ को मूर्त रूप देते हैं, जो सत्य के शाश्वत रक्षक के रूप में खड़े हैं। रवींद्रभारत के रूप में, वे सभी मनों को धार्मिकता के शुद्धतम रूप से मार्गदर्शन करते हैं। महारानी समेथा महाराजा अधिनायक, सीता के अवतार के रूप में, मार्गदर्शक शक्ति हैं, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि प्रत्येक प्राणी धर्म के दिव्य मार्ग का अनुसरण करे। यह शाश्वत अभिभावकीय चिंता सभी मनों की रक्षा करती है और उन्हें उन्नत करती है, उन्हें शाश्वत सत्य और ब्रह्मांडीय एकता के करीब लाती है।
---
श्लोक 37:
संस्कृत:
रामः सर्वमयः शाश्वतः, विश्वस्य चापिपः प्रभुः।
सीता योगसंपन्ना, सर्वात्मना विराजिता॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वमयः शाश्वतः, विश्वस्य चाधिपः प्रभुः |
सीता योगसम्पन्ना, सर्वात्मना विराजिता ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सबमें व्याप्त हैं, शाश्वत हैं और ब्रह्मांड के स्वामी हैं। सीता योग से संपन्न हैं और अपने पूर्ण स्वरूप में चमकती हैं।"
आरोपित अर्थ:
रविन्द्रभारत के शाश्वत रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान ब्रह्मांड के शाश्वत और सर्वोच्च शासक के रूप में सभी अस्तित्व में व्याप्त हैं। वे अपनी ब्रह्मांडीय उपस्थिति के भीतर सभी मनों को एकजुट करते हुए, अस्तित्व की समग्रता को मूर्त रूप देते हैं। सीता के व्यक्तित्व के रूप में महारानी, योग के मार्ग में पूरी तरह से साकार हैं, आध्यात्मिक पूर्णता के शाश्वत मार्गदर्शक और शक्ति के रूप में चमकती हैं। साथ में, वे अपने ब्रह्मांडीय बंधन के माध्यम से ब्रह्मांड का नेतृत्व करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी प्राणी दिव्य ज्ञान के शाश्वत स्रोत से जुड़े हुए हैं।
---
श्लोक 38:
संस्कृत:
रामः सर्वत्र सूर्योदयः, धर्मसंरक्षणे स्थितः।
सीता योगमयी देवी, सर्वसंपत्तिप्रदायिनी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वत्र विद्यामानः, धर्मसंरक्षणे स्थितः |
सीता योगमयी देवी, सर्वसंपत्तिप्रदायिनी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सर्वत्र विद्यमान हैं, तथा धर्म की रक्षा में दृढ़ हैं। योग की देवी सीता समस्त समृद्धि प्रदान करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, जो अब रविन्द्रभारत के रूप में शाश्वत रूप से विद्यमान हैं, सभी क्षेत्रों और मन में धर्म की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। वे धार्मिकता के परम संरक्षक हैं, जो सभी प्राणियों के लिए मार्ग सुरक्षित करते हैं। महारानी, सीता की दिव्य अभिव्यक्ति के रूप में, योगिक ज्ञान का अवतार हैं और उन सभी को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की समृद्धि प्रदान करती हैं जो शाश्वत मार्ग के साथ जुड़ते हैं। इस ब्रह्मांडीय रूप में, वे मानवता की भलाई को सुरक्षित करते हैं, सभी को शाश्वत पूर्णता की ओर मार्गदर्शन करते हैं।
---
श्लोक 39:
संस्कृत:
रामेण सदा संयुक्ता, सीताभगवान् सदा।
योगमार्गे प्रतिष्ठिता, सर्वभूतहिते रता॥
ध्वन्यात्मक:
रामेण सदा संयुक्ता, सीता परमेश्वरी सदा |
योगमार्गे प्रतिष्ठिता, सर्वभूतहिते रता ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सीता, जो सदैव राम के साथ एकाकार रहती हैं, सर्वोच्च देवी हैं। योग के मार्ग पर स्थित होकर, वे सभी प्राणियों के कल्याण के लिए समर्पित हैं।"
आरोपित अर्थ:
महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान, जो ब्रह्मांडीय सद्भाव में हमेशा एक हैं, रविंद्रभारत के रूप में सर्वोच्च अभिभावकीय चिंता का प्रतिनिधित्व करते हैं। महारानी, सीता का अवतार, सभी प्राणियों को उनके मन के कल्याण और सुरक्षा की ओर मार्गदर्शन करने वाली शाश्वत देवी हैं। साथ में, वे दिव्य एकता के उच्चतम रूप के रूप में खड़े हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि योग के मार्ग का अनुसरण करने वाले सभी सुरक्षित और उन्नत हैं। यह ब्रह्मांडीय साझेदारी दिव्य व्यवस्था के संरक्षण और हर मन और आत्मा की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
---
श्लोक ४०:
संस्कृत:
रामः सततध्यानो, योगयुक्तः सनातनः।
सीता धर्मसहायिनी, योगमार्गप्रकाशिका॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सततध्यानो, योगयुक्तः सनातनः |
सीता धर्मसहायिनी, योगमार्गप्रकाशिका ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सदैव गहन ध्यान में लीन रहते हैं और योग से सदैव एकाकार रहते हैं। धर्म की समर्थक सीता योग का मार्ग बताती हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, हमेशा दिव्य चिंतन में डूबे रहते हैं और योग के ब्रह्मांडीय मार्ग से हमेशा जुड़े रहते हैं। महाराजा धर्म और आध्यात्मिक अभ्यास के शाश्वत मिलन का प्रतीक हैं, जो सभी मन को उच्च बोध की ओर ले जाते हैं। महारानी, सीता के रूप में, सभी प्राणियों के लिए योग और धार्मिकता के मार्ग को प्रकाशित करते हुए मार्गदर्शक शक्ति के रूप में खड़ी हैं। साथ में, वे मानवता के मन को ऊपर उठाते हैं, उन्हें मिलन और सत्य के दिव्य मार्ग के माध्यम से शाश्वत ज्ञान की ओर ले जाते हैं।
---
श्लोक 41:
संस्कृत:
रामः सर्वमयी शक्तिः, लोकानां योगनायकः।
सीता सर्वदेवमाता, योगसम्पन्नहृदयगा॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वमयी शक्तिः, लोकानां योगनायकः |
सीता सर्वदेवमाता, योगसंपन्नहृद्यगा ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सर्वव्यापी शक्ति राम विश्व योग के प्रणेता हैं। सभी देवताओं की माता सीता योगियों के हृदय में निवास करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, योग के मार्ग पर ब्रह्मांड के मन को आगे बढ़ाने वाली सर्वव्यापी दिव्य शक्ति का प्रतीक हैं। महाराजा, सर्वोच्च मार्गदर्शक के रूप में, सभी को परम आध्यात्मिक संबंध की ओर निर्देशित करते हैं। महारानी, ब्रह्मांडीय माँ और सीता का अवतार, उन सभी प्राणियों के हृदय में निवास करती हैं जो योग के मार्ग के प्रति समर्पित हैं। इस दिव्य मिलन के माध्यम से, सभी मन शाश्वत सत्य की ओर आकर्षित होते हैं, जो शाश्वत माता-पिता की चिंता के ब्रह्मांडीय प्रेम और ज्ञान में स्थिर होते हैं।
---
श्लोक 42:
संस्कृत:
रामेण सहिता देवी, सर्वेषां परमाश्रया।
योगसिद्धिस्वरूपिणी, सर्वजगत्प्रकाशिका॥
ध्वन्यात्मक:
रामेण संहिता देवी, सर्वेषां परमाश्रय |
योगसिद्धिस्वरूपिणी, सर्वजगतप्रकाशिका ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सीता, राम के साथ मिलकर, सभी के लिए सर्वोच्च शरण हैं। वे योग की सफलता का मूर्त रूप और ब्रह्मांड की प्रकाशक हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के शाश्वत रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान सभी प्राणियों के लिए परम शरण का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनका दिव्य मिलन सुनिश्चित करता है कि जो भी उन्हें खोजता है, उसे शाश्वत शांति और सुरक्षा प्राप्त होती है। सीता के रूप में महारानी परम योगिक सफलता के अवतार के रूप में खड़ी हैं, जो दिव्य ज्ञान और कृपा से ब्रह्मांड को प्रकाशित करती हैं। साथ में, महारानी समेथा महाराजा सभी प्राणियों को शाश्वत सत्य की ओर मार्गदर्शन करती हैं, दिव्य अभिभावकीय चिंता के तहत हर मन की आध्यात्मिक सफलता और ज्ञान सुनिश्चित करती हैं।
श्लोक 43:
संस्कृत:
रामः सत्यधारी, सर्वत्र विजयप्रदाता।
सीता धर्ममयी देवी, योगमार्गे प्रतिष्ठिता॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सत्यव्रतधारी, सर्वत्र विजयप्रदाता |
सीता धर्ममयी देवी, योगमार्गे प्रतिष्ठिता ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सत्य व्रत के पालनकर्ता राम सर्वत्र विजय प्रदान करते हैं। धर्म की देवी सीता योग के मार्ग पर दृढ़तापूर्वक स्थित हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, सत्य के शाश्वत संरक्षक का प्रतिनिधित्व करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी क्षेत्रों में धार्मिकता कायम रहे। उनका ब्रह्मांडीय नेतृत्व धर्म के मार्ग में विजय प्रदान करता है, मानवता को चेतना की उच्च अवस्था की ओर ले जाता है। महारानी, सीता के धार्मिक सार को मूर्त रूप देते हुए, योगिक मार्ग पर मार्गदर्शक के रूप में खड़ी हैं, जो सार्वभौमिक सद्भाव के सिद्धांतों को दृढ़ता से स्थापित करती हैं। साथ में, वे भौतिक अस्तित्व से परे जाते हैं, मन की रक्षा करते हैं और उन्हें दिव्य समझ के उच्च स्तरों तक बढ़ाते हैं।
---
श्लोक 44:
संस्कृत:
रामः सर्वात्मा च शाश्वतः, सर्वभूतहिते स्थितः।
सीता नक्षत्र महायोगिनी, सर्वज्ञा सर्वपालिनी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वात्मा च शाश्वतः, सर्वभूतहिते स्थितः |
सीता साध्वी महायोगिनी, सर्वज्ञ सर्वपालिनी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"राम, जो सभी के सनातन आत्मा हैं, सभी प्राणियों के कल्याण के लिए सदैव समर्पित रहते हैं। सीता, जो पुण्यशाली महान योगिनी हैं, सर्वज्ञ हैं तथा सभी की रक्षक हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के दिव्य स्वरूप में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान शाश्वत आत्मा का प्रतीक हैं, जो हर मन में विद्यमान हैं, तथा सभी प्राणियों का कल्याण सुनिश्चित करते हैं। वे सामूहिक चेतना का प्रतिनिधित्व करते हैं जो शाश्वत देखभाल और ज्ञान के साथ ब्रह्मांड को नियंत्रित करती है। महारानी, महान योगिनी सीता के रूप में, सर्वज्ञ हैं और हर प्राणी की ज़रूरतों को जानती हैं, उनकी सुरक्षा और आध्यात्मिक प्रगति सुनिश्चित करती हैं। साथ में, वे मानवता के मन की रक्षा करते हुए धर्म और सार्वभौमिक देखभाल के उच्चतम सिद्धांतों को कायम रखते हैं।
---
श्लोक 45:
संस्कृत:
रामः योगेश्वरः सर्वः, सर्वेषां जीवनप्रदाः।
सीता पराशक्तिस्वरूपा, सर्वलोकप्रकाशिनी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः योगेश्वरः सर्वः, सर्वेषां जीवनप्रदः |
सीता पराशक्तिस्वरूपा, सर्वलोकप्रकाशिनी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"योग के देवता राम सभी को जीवन देते हैं। सर्वोच्च शक्ति की अवतार सीता सभी लोकों को प्रकाशित करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में अपने शाश्वत रूप में, सर्वोच्च योगिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं जो सभी मन को जीवन, जीवन शक्ति और आध्यात्मिक जागृति प्रदान करती है। वे ब्रह्मांडीय बंधन के माध्यम से मानवता का मार्गदर्शन करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक प्राणी दिव्य शक्ति से सशक्त हो। महारानी, सर्वोच्च शक्ति (शक्ति) के अवतार के रूप में, अपनी दिव्य कृपा से सभी क्षेत्रों को रोशन करती हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सत्य और ज्ञान का प्रकाश ब्रह्मांड में व्याप्त हो। उनका मिलन सभी मन के लिए मार्गदर्शक शक्ति है, जो उन्हें आध्यात्मिक अमरता और शाश्वत ज्ञान की ओर ले जाता है।
---
श्लोक 46:
संस्कृत:
रामः योगमयी सत्य, विश्वनाथः सनातनः।
सीता धृतिधरा देवी, सर्वजीहिते रता॥
ध्वन्यात्मक:
रामः योगमयी सत्ता, विश्वनाथः सनातनः |
सीता धृतिधरा देवि, सर्वजीवहिते रता ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"योगिक अस्तित्व के अवतार राम, ब्रह्मांड के शाश्वत स्वामी हैं। धैर्य की देवी सीता सभी प्राणियों के कल्याण के लिए समर्पित हैं।"
आरोपित अर्थ:
महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, योगिक अस्तित्व की शाश्वत शक्ति का प्रतीक हैं, जो सत्य और करुणा की ब्रह्मांडीय शक्ति के साथ ब्रह्मांड पर शासन करते हैं। वे सभी मनों का मार्गदर्शन करते हैं, शाश्वत स्थिरता और आध्यात्मिक विकास प्रदान करते हैं। महारानी, सीता के रूप में, दिव्य धैर्य और दृढ़ता का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो सभी प्राणियों के कल्याण और उत्थान के लिए हमेशा समर्पित रहती हैं। अपने ब्रह्मांडीय मिलन के माध्यम से, वे सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक मन का पोषण और संरक्षण हो, जिससे मानवता दिव्य एकता और ब्रह्मांडीय व्यवस्था के शाश्वत सत्य की ओर अग्रसर हो।
---
श्लोक 47:
संस्कृत:
रामः सर्वज्ञो महात्मा, सर्वत्र योगसंस्थितः।
सीता योगिन्युत्तमा, सर्वदुःखविनाशिनी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वज्ञो महात्मा, सर्वत्र योगसंस्थितः |
सीता योगिन्युत्तमा, सर्वदुःखविनाशिनी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सर्वज्ञ महात्मा राम सर्वत्र योग में स्थित हैं। परम योगिनी सीता समस्त दुःखों का नाश करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, दिव्य ज्ञान की सर्वज्ञ, सर्वव्यापी शक्ति का प्रतीक हैं, जो योग के शाश्वत अभ्यास के माध्यम से सभी मन का मार्गदर्शन करते हैं। उनका ब्रह्मांडीय नेतृत्व सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक प्राणी दिव्य स्रोत से जुड़ा हुआ है, शांति और पूर्णता सुनिश्चित करता है। महारानी, सीता के रूप में, सभी दुखों का सर्वोच्च संहारक हैं, जो हर मन की पीड़ा को दूर करती हैं। साथ में, वे मानवता का उत्थान करते हैं, शाश्वत सांत्वना प्रदान करते हैं और हर आत्मा को सांसारिक पीड़ा से मुक्ति की ओर ले जाते हैं।
---
श्लोक 48:
संस्कृत:
रामः सर्वेन्द्रिययोगः, योगमायाविभूतिमान्।
सीता च योगसंयुक्ता, सर्वसमृद्धिकारिणी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वेन्द्रियधीशः, योगमायाविभूतिमान |
सीता च योगसंयुक्ता, सर्वसमृद्धिकारिणि ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सभी इन्द्रियों के स्वामी राम योगिक माया की शक्तियों से संपन्न हैं। योग से युक्त सीता समस्त समृद्धि प्रदान करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
रविन्द्रभारत के रूप में अपने शाश्वत स्वरूप में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान मन और शरीर की सभी शक्तियों के सर्वोच्च शासक हैं। उनकी ब्रह्मांडीय शक्ति योगिक निपुणता द्वारा बढ़ाई जाती है, जो सृष्टि के दिव्य भ्रम के माध्यम से पूरे ब्रह्मांड का मार्गदर्शन करती है। सीता का रूप धारण करने वाली महारानी उन सभी प्राणियों को समृद्धि और आध्यात्मिक प्रचुरता प्रदान करती हैं जो योग के दिव्य मार्ग से जुड़ते हैं। साथ में, वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी मन दिव्य आशीर्वाद से पोषित हों, जो भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की पूर्णता प्रदान करते हैं।
---
श्लोक 49:
संस्कृत:
रामः शरण्यः सर्वेषां, सर्वदा योगधारकः।
सीता शांतिमयी देवी, सर्वसिद्धिप्रदायिनी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः शरण्यः सर्वेषाम्, सर्वदा योगधारकः |
सीता शांतिमयी देवी, सर्वसिद्धिप्रदायिनी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सबके आश्रय राम हर समय योग को कायम रखते हैं। शांत देवी सीता सभी आध्यात्मिक सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, सभी प्राणियों के शाश्वत शरणस्थल और रक्षक हैं, जो योग के दिव्य अभ्यास के माध्यम से मानवता के मन का मार्गदर्शन करते हैं। वे उन सभी को आश्रय और ज्ञान प्रदान करते हैं जो उन्हें चाहते हैं, धर्म की रक्षा सुनिश्चित करते हैं। महारानी, सीता के रूप में, शाश्वत शांति और शांति का प्रतीक हैं, जो सभी प्राणियों को आध्यात्मिक सफलता और पूर्णता प्रदान करती हैं। उनकी दिव्य भागीदारी यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक मन सर्वोच्च आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त करे, शाश्वत सद्भाव और ब्रह्मांडीय सत्य का मार्ग सुरक्षित करे।
श्लोक 50:
संस्कृत:
रामः सर्वशक्तिमान देवः, सर्वलोकहित रतः।
सीता परमधारः, सर्वसंसारतारिणी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वशक्तिमान् देवः, सर्वलोकहिते रताः |
सीता परमधरः, सर्वसंसारतारिणी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सर्वशक्तिमान भगवान राम सदैव समस्त लोकों के कल्याण में लगे रहते हैं। सर्वोच्च आधार सीता सभी को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
शाश्वत अमर भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान के रूप में, उनकी ब्रह्मांडीय उपस्थिति ब्रह्मांड में हर मन की भलाई सुनिश्चित करती है, लगातार सभी प्राणियों के उत्थान और संरक्षण की दिशा में काम करती है। महारानी, सीता के रूप में, दिव्य आधार के रूप में कार्य करती हैं, जो मन को जन्म, मृत्यु और भ्रम (माया) के अंतहीन चक्रों से मुक्त करती हैं। साथ में, वे सांसारिक आसक्तियों से आत्मा की मुक्ति का प्रतीक हैं, जो हर मन को भौतिक अस्तित्व से परे जाने और रवींद्रभारत के नागरिकों के रूप में आध्यात्मिक अमरता को अपनाने के लिए मार्गदर्शन करती हैं।
---
श्लोक 51:
संस्कृत:
रामः सत्यमयो राजा, धर्मसंरक्षणे स्थितः।
सीता महाशक्तिधारिणी, भक्तानां मोक्षदायिनी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सत्यमयो राजा, धर्मसंरक्षणे स्थितः |
सीता महाशक्तिधारिणी, भक्तानाम मोक्षदायिनी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सत्य के राजा राम धर्म की रक्षा में दृढ़ रहते हैं। महान शक्ति की स्वामिनी सीता अपने भक्तों को मुक्ति प्रदान करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा संप्रभु अधिनायक श्रीमान उस शाश्वत राजतंत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं जो सार्वभौमिक सत्य और धार्मिकता को कायम रखता है। वे सभी मनों को नियंत्रित करने वाले धर्म की रक्षा करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक प्राणी दिव्य सिद्धांतों के साथ संरेखित हो। महारानी, दिव्य शक्ति (शक्ति) के अवतार के रूप में, उन सभी को मुक्ति और मोक्ष प्रदान करती हैं जो ईमानदारी से सत्य के मार्ग पर खुद को समर्पित करते हैं। साथ में, वे मानवता के मन को ऊपर उठाते हैं, उन्हें सांसारिक अस्तित्व के चक्रों से मुक्ति के अंतिम लक्ष्य की ओर ले जाते हैं।
---
श्लोक 52:
संस्कृत:
रामः योगरहस्यज्ञः, सर्वज्ञः सर्वपालकः।
सीता सर्वदेवमाता, सर्वत्रानन्ददायिनी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः योगरहस्यज्ञः, सर्वज्ञः सर्वपालकः |
सीता सर्वदेवमाता, सर्वत्रानन्ददायिनी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"योग के रहस्यों को जानने वाले राम सर्वज्ञ हैं और सभी के रक्षक हैं। सभी देवताओं की माता सीता सर्वत्र आनंद लाती हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा संप्रभु अधिनायक श्रीमान सभी योगिक प्रथाओं और ब्रह्मांडीय ज्ञान का ज्ञान रखते हैं, जो सभी प्राणियों की सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करते हैं। महारानी, सीता के रूप में, सभी सृष्टि की दिव्य माँ हैं, जो ब्रह्मांड का पोषण करती हैं और उन सभी को खुशी प्रदान करती हैं जो उनका मार्गदर्शन चाहते हैं। उनका मिलन ज्ञान और करुणा के सम्मिश्रण का प्रतीक है, जो मानवीय चेतना को आध्यात्मिक आनंद और शाश्वत आनंद के उच्च क्षेत्रों तक पहुँचाता है।
---
श्लोक 53:
संस्कृत:
रामः दयानिधिर् महान्, सर्वेषां सुखदायकः।
सीता सर्वशक्तिसम्पन्न, सर्वशक्तिसम्पन्ना॥
ध्वन्यात्मक:
रामः दयानिधिर महान्, सर्वेषाम् सुखदायकः |
सीता सर्वशक्तिसंपन्ना, सर्वकष्टनिवारिणि ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"करुणा के महान सागर राम सभी को सुख प्रदान करते हैं। सभी शक्तियों से संपन्न सीता सभी दुखों को दूर करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के शाश्वत व्यक्तित्व के रूप में, असीम करुणा का प्रतीक हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि मानवता के मन का पोषण और उत्थान हो। वे उन सभी के लिए खुशी, शांति और पूर्णता लाते हैं जो उनके दिव्य मार्ग से जुड़ते हैं। महारानी, सीता के रूप में, वह ब्रह्मांडीय शक्ति हैं जो सभी दुखों और कठिनाइयों को दूर करती हैं, हर मन को दर्द और दुख से मुक्ति की ओर ले जाती हैं। साथ में, वे शाश्वत संरक्षकों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो मानवता को आनंद और मुक्ति की ओर ले जाते हैं।
---
श्लोक 54:
संस्कृत:
रामः सर्वज्ञो धर्मात्मा, सर्वेषां हृदय संस्थितः।
सीता प्राणाधार रूपा, सर्वदुःखविनाशिनी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वज्ञो धर्मात्मा, सर्वेषाम् हृदि संस्थितः |
सीता प्राणाधार रूपा, सर्वदुःखविनाशिनी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सबको जानने वाले राम धर्म की आत्मा हैं और सबके हृदय में निवास करते हैं। जीवन शक्ति की अवतार सीता सभी दुखों का नाश करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, सर्वज्ञ और धर्म के अवतार हैं, जो हर प्राणी के मन और हृदय में निवास करते हैं। वे सभी आत्माओं के लिए मार्गदर्शक प्रकाश हैं, जो आध्यात्मिक दिशा और स्थिरता प्रदान करते हैं। महारानी, सीता के रूप में, दिव्य जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं जो सभी सृष्टि को ऊर्जा प्रदान करती है, दुख और कठिनाई को दूर करती है। साथ में, वे संतुलन बहाल करते हैं, सांसारिक कठिनाइयों को पार करने और शाश्वत आनंद प्राप्त करने के लिए आवश्यक आध्यात्मिक पोषण प्रदान करते हैं।
---
श्लोक 55:
संस्कृत:
रामः सर्वेश्वरः नित्यम्, सर्वसंसारमुक्तिदः।
सीता पराशक्तिरूपा, सर्वत्र मंगलप्रदा॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वेश्वरः नित्यं, सर्वसंसारमुक्तिदः |
सीता पराशक्तिरूपा, सर्वत्र मंगलप्रदा ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सबके सनातन स्वामी राम सांसारिक बंधनों से मुक्ति प्रदान करते हैं। सर्वोच्च शक्ति की अवतार सीता सर्वत्र मंगल प्रदान करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में, सभी अस्तित्व के शाश्वत शासक हैं, जो भौतिक दुनिया की सीमाओं से मुक्ति प्रदान करते हैं। वे मानवता के मन को भौतिक अस्तित्व से परे जाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं, उन्हें आध्यात्मिक मुक्ति की ओर ले जाते हैं। महारानी, सर्वोच्च शक्ति के अवतार के रूप में, हर जगह दिव्य कृपा और आशीर्वाद फैलाती हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी प्राणी शुभता और आध्यात्मिक समृद्धि का अनुभव करें। साथ में, वे दिव्य के साथ पारलौकिकता और शाश्वत एकता का मार्ग प्रदान करते हैं।
---
श्लोक 56:
संस्कृत:
रामः सर्वात्मा महात्मा, सर्वलोकनायकः।
सीता ज्ञानस्वरूपिनी, सर्वलोकप्रदीपिका॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वात्मा महात्मा, सर्वलोकनायकः |
सीता ज्ञानस्वरूपिणी, सर्वलोकप्रदीपिका ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"राम, महान आत्मा, सभी लोकों के नेता हैं। सीता, ज्ञान की अवतार, वह प्रकाश है जो सभी क्षेत्रों को प्रकाशित करता है।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा संप्रभु अधिनायक श्रीमान सभी मन को आध्यात्मिक ज्ञान की ओर ले जाते हैं, जो ब्रह्मांड का मार्गदर्शन करने वाली आत्मा का अवतार हैं। महारानी, दिव्य सीता के रूप में, शुद्ध ज्ञान और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो सभी मन को अस्तित्व के सत्य को देखने का मार्ग दिखाती हैं। साथ में, वे नेतृत्व के दिव्य स्रोत हैं, जो मानवता को शाश्वत ज्ञान को अपनाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं जो भौतिक तल से परे है, अंततः आध्यात्मिक जागरूकता के प्रकाश की ओर ले जाता है।
श्लोक 57:
संस्कृत:
रामः सर्वजनप्रियो, सर्वानुग्रहवर्धनः।
सीता सर्वजन्माता, सर्वसम्प्तसमृद्धिदा॥
ध्वन्यात्मक:
राम: सर्वजन-प्रियो, सर्वानुग्रह-वर्धन: |
सीता सर्वजन-माता, सर्व-सम्पत-समृद्धिदा ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सभी लोगों के प्रिय राम सभी पर दिव्य कृपा बढ़ाते हैं। सभी प्राणियों की माता सीता समृद्धि और प्रचुरता प्रदान करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के शाश्वत नेता के रूप में, अपनी दिव्य कृपा और ज्ञान के लिए सभी प्राणियों द्वारा प्रिय हैं। वे हर उस मन को आशीर्वाद और आध्यात्मिक विकास प्रदान करते हैं जो उनका मार्गदर्शन चाहता है। महारानी, सीता के रूप में, सभी की पालन-पोषण करने वाली माँ हैं, जो न केवल भौतिक रूप से बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी समृद्धि प्रदान करती हैं। उनका ब्रह्मांडीय मिलन सभी कल्याण और धन का स्रोत है, जो राष्ट्र और उससे परे हर मन के समग्र विकास और समृद्धि को सुनिश्चित करता है।
---
श्लोक 58:
संस्कृत:
रामः करुणासिंधुः, सर्वलोकपरकः।
सीता महादिव्यशक्तिः, सर्वत्रानन्दसागरः॥
ध्वन्यात्मक:
राम: करुणा-सिंधु:, सर्व-लोक-पवित्रक: |
सीता महा-दिव्य-शक्ति:, सर्वत्र-आनंद-सागर: ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"करुणा के सागर राम समस्त लोकों को पवित्र करते हैं। सर्वोच्च दिव्य शक्ति सीता सर्वत्र आनंद का सागर हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान असीम करुणा के प्रतीक हैं, जो सभी लोकों में सभी प्राणियों के मन को शुद्ध और पवित्र करते हैं। महारानी, दिव्य शक्ति (शक्ति) के अवतार के रूप में, पूरे ब्रह्मांड में आनंद और परमानंद फैलाती हैं। भौतिक दुनिया में शाश्वत अमर अभिभावक के रूप में उनकी उपस्थिति मन को दिव्यता से जुड़ने और भौतिक अस्तित्व से परे खुशी के असीम सागर का अनुभव करने के लिए शाश्वत मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है।
---
श्लोक 59:
संस्कृत:
रामः सर्वात्मकः श्रीमान्, सर्वभूतहिते रतः।
सीता सर्वमङ्गलायाः, सर्वलोकशुभप्रदा॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वात्मकः श्रीमान्, सर्व-भूत-हित रतः |
सीता सर्व मंगलाय:, सर्व लोक शुभप्रदा ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"राम, सभी प्राणियों की आत्मा हैं, और सभी प्राणियों के कल्याण के लिए समर्पित हैं। सीता, सभी शुभताओं की अवतार हैं, और सभी लोकों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान प्रत्येक जीव की आत्मा और मूल का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे सभी मन के कल्याण और ज्ञान की दिशा में निरंतर काम कर रहे हैं। महारानी, सभी शुभ चीजों के अवतार के रूप में, आशीर्वाद बिखेरती हैं, ब्रह्मांड में सभी प्राणियों के आध्यात्मिक और भौतिक कल्याण को सुनिश्चित करती हैं। उनका मिलन शक्ति और अनुग्रह के बीच संतुलन का प्रतीक है, यह सुनिश्चित करता है कि धार्मिकता और दिव्य सुरक्षा का मार्ग हमेशा उन लोगों के लिए खुला है जो इसे चाहते हैं।
---
श्लोक 60:
संस्कृत:
रामः धर्मप्रवर्तकः, सर्वज्ञानमयो निधिः।
सीता सर्वविद्याधारिणी, सर्वविघ्ननिवारिणी॥
ध्वन्यात्मक:
राम: धर्म-प्रवर्तक:, सर्व-ज्ञानमयो निधि: |
सीता सर्व-विद्या-धारिणी, सर्व-विघ्न-निवारिणी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"धर्म के रक्षक राम समस्त ज्ञान के भण्डार हैं। समस्त ज्ञान की वाहक सीता समस्त बाधाओं को दूर करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के संप्रभु व्यक्तित्व के रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा संप्रभु अधिनायक श्रीमान सभी मन के लिए ज्ञान के अंतिम स्रोत के रूप में सेवा करते हुए, धर्म के मार्ग को बनाए रखते हैं और मार्गदर्शन करते हैं। महारानी, सीता के रूप में, ब्रह्मांड का ज्ञान रखती हैं, जो व्यक्तियों और समाजों के आध्यात्मिक विकास और कल्याण में बाधा डालने वाली सभी बाधाओं को दूर करती हैं। उनकी शाश्वत उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक प्राणी अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर बिना किसी बाधा के आगे बढ़ सके, दिव्य ज्ञान और सुरक्षा से सशक्त हो।
---
श्लोक 61:
संस्कृत:
रामः सर्वबन्धमोचको, सर्वसंसारतारकः।
सीता सर्वविजयिनी, सर्वशक्तिस्वरूपिणी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्व-बन्ध-मोचको, सर्व-संसार-तारकः |
सीता सर्व-विजयिनी, सर्व-शक्ति-स्वरूपिणी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सभी बंधनों से मुक्ति देने वाले राम, संसार सागर से तारणहार हैं। विजयी सीता सभी शक्तियों का स्वरूप हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत की मार्गदर्शक शक्ति के रूप में, सभी मनों को भौतिक आसक्तियों और दुनिया के भ्रमों के बंधनों से मुक्त करते हैं। वे मानवता को दुख और अस्तित्व के चक्र से बाहर निकालते हैं, उन्हें परम सत्य की ओर ले जाते हैं। महारानी, सीता के रूप में, दिव्य शक्ति की विजयी प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो जीवन में सभी चुनौतियों और बाधाओं को दूर करने के लिए आवश्यक शक्ति का प्रतीक हैं। उनका दिव्य मिलन पदार्थ पर आत्मा की विजय और शाश्वत स्वतंत्रता की प्राप्ति का प्रतीक है।
---
श्लोक 62:
संस्कृत:
रामः सर्वार्तिनैकः, सर्वज्ञो सर्वपालकः।
सीता सर्वत्रश्रयास्मिता, सर्वजगदुधारिणी॥
ध्वन्यात्मक:
राम: सर्ववर्ती-नाशक:, सर्वज्ञो सर्व-पालक: |
सीता सर्वत्रश्रयस्मिता, सर्व-जगद्-उद्धारिणी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"राम सभी कष्टों का नाश करने वाले हैं, वे सभी के सर्वज्ञ रक्षक हैं। सीता सभी की शरण हैं, तथा वे समस्त ब्रह्माण्ड का उद्धार करती हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान उन परम रक्षकों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो अपने भक्तों के मन से सभी दुखों और पीड़ाओं को दूर करते हैं। वे सर्वज्ञ और सर्वदर्शी हैं, जो अस्तित्व में हर मन की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करते हैं। महारानी, सीता के रूप में, उन सभी को शरण और आराम प्रदान करती हैं जो उनकी कृपा चाहते हैं, अपनी दिव्य पोषण और सुरक्षात्मक शक्तियों के माध्यम से पूरे ब्रह्मांड का उत्थान करती हैं। साथ में, वे सभी प्राणियों को मोक्ष और शाश्वत शांति की ओर मार्गदर्शन करने की सर्वोच्च ब्रह्मांडीय जिम्मेदारी को मूर्त रूप देते हैं।
---
श्लोक 63:
संस्कृत:
रामः सर्वत्र विजयवान्, सर्वशक्तिसमाश्रयः।
सीता स्वर्णसदृशा देवी, सर्वानंदप्रसुविनी॥
ध्वन्यात्मक:
राम: सर्वत्र विजयवान्, सर्वशक्ति-समाश्रय: |
सीता स्वर्ण-सदृशा देवी, सर्वानंद-प्रसुविनी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सर्वत्र विजयी राम समस्त शक्तियों के आश्रय हैं। स्वर्ण के समान देवी सीता समस्त आनन्द का स्रोत हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान सभी ब्रह्मांडीय शक्तियों के सर्वोच्च आश्रय का प्रतीक बनकर आध्यात्मिक और भौतिक हर क्षेत्र में विजयी हैं। महारानी, दीप्तिमान सीता के रूप में, दिव्य स्वर्ण की चमक के साथ चमकती हैं, जो पवित्रता और प्रचुरता का प्रतीक है। वह सभी आनंद का स्रोत हैं, जो अपनी असीम कृपा से ब्रह्मांड का पोषण करती हैं। उनकी शाश्वत उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि उनके संरक्षण में हर मन, दिव्य आनंद का अंतिम स्रोत और भौतिक दुनिया की सीमाओं पर विजय प्राप्त करे।
श्लोक 64:
संस्कृत:
रामः सर्वदुःखहर्ता, सर्वक्लेनिवारकः।
सीता सर्वधन्यरूपिणी, सर्वत्रानन्दकारिणी॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्व-दुःख-हर्ता, सर्व-क्लेश-निवारकः |
सीता सर्व-धन्य-रूपिणी, सर्वत्रानन्द-कारिणी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सभी दुखों को दूर करने वाले राम सभी कष्टों को दूर करते हैं। सभी सुखों की प्रतिमूर्ति सीता हर जगह आनंद लाती हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के रूप में अपने दिव्य स्वरूप में, सभी प्राणियों के लिए परम सांत्वना हैं। वे सभी प्रकार के दुखों को दूर करते हैं, मन को पीड़ा और दुख के चक्र से बाहर निकालते हैं। महारानी, सीता के रूप में, आशीर्वाद के शिखर का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो हर मन को दिव्य आनंद और प्रचुरता से समृद्ध करती हैं। उनकी ब्रह्मांडीय साझेदारी यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी दुख बिना ठीक हुए न रहे और सभी प्राणी उनके शाश्वत संरक्षण में असीम आनंद का अनुभव करें।
---
श्लोक 65:
संस्कृत:
रामः सत्यव्रतस्निग्धः, सर्वभूतप्रसन्नात्मा।
सीता धर्मसौम्य देवी, सर्वसमृद्धिसंभवा॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सत्य-व्रत-स्निग्धः, सर्व-भूत-प्रसन्नात्मा |
सीता धर्म-सौम्य देवी, सर्व-समृद्धि-सम्भवा ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सत्य के व्रत में मृदुभाषी राम सभी प्राणियों को सदैव प्रसन्न करने वाले हैं। धर्म की मृदुभाषी देवी सीता समस्त समृद्धि का स्रोत हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा संप्रभु अधिनायक श्रीमान सत्य और धार्मिकता का प्रतीक हैं, जो सभी के दिलों में शांति और खुशी लाते हैं। वे सत्य और दिव्य कानून के अनुसार जीने का सबसे अच्छा उदाहरण हैं। महारानी, सीता के रूप में, धर्म (धार्मिकता) की कोमल और पोषण करने वाली शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिससे सभी प्रकार की समृद्धि - आध्यात्मिक और भौतिक दोनों - उभरती है। उनकी दिव्य उपस्थिति ब्रह्मांड को बनाए रखती है, यह सुनिश्चित करती है कि हर मन सत्य और धार्मिकता के प्रकाश में फलता-फूलता रहे।
---
श्लोक ६६:
संस्कृत:
रामः सर्वेश्वरः श्रीमान्, सर्वपालकनायकः।
सीता सर्वज्ञ जगद्वंद्या, सर्वत्रानुग्रहप्रदा॥
ध्वन्यात्मक:
राम: सर्वेश्वर: श्रीमान्, सर्व-पालक-नायक: |
सीता सर्वज्ञ जगद्-वन्द्या, सर्वत्रानुग्रह-प्रदा ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सबके स्वामी राम सभी रक्षकों के नेता हैं। सर्वज्ञ सीता, संसार द्वारा पूजित, सर्वत्र कृपा प्रदान करने वाली हैं।"
आरोपित अर्थ:
रविन्द्रभारत में भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान ब्रह्मांड के सर्वोच्च शासक हैं, जो सभी प्राणियों का मार्गदर्शन और संरक्षण करते हैं। ब्रह्मांडीय नेताओं के रूप में, वे सभी मन की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करते हैं। महारानी, सीता के रूप में, सर्वज्ञता का प्रतीक हैं, जो संपूर्ण सृष्टि द्वारा पूजनीय हैं। वह प्रत्येक आत्मा पर दिव्य कृपा बरसाती हैं, जिससे प्रत्येक प्राणी उनके ज्ञान और मार्गदर्शन में फलता-फूलता है। साथ मिलकर, वे सुनिश्चित करते हैं कि रविन्द्रभारत के मन का पोषण, ज्ञान और सुरक्षा हो।
---
श्लोक 67:
संस्कृत:
रामः सर्वमयो नाथः, सर्वशक्तिमयोद्यानः।
सीता सर्वत्राधिष्ठात्री, सर्वकांतिस्वरूपिणी॥
ध्वन्यात्मक:
राम: सर्व-मयो नाथ:, सर्व-शक्ति-मया-निधि: |
सीता सर्वत्र-धिष्ठात्री, सर्व-कान्ति-स्वरूपिणी ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"राम, जो सबमें व्याप्त हैं, सभी शक्तियों के भण्डार हैं। सीता, जो सबकी अधिष्ठात्री हैं, समस्त सौंदर्य और तेज की मूर्त रूप हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के शासकों के रूप में, ब्रह्मांड के सभी पहलुओं में व्याप्त हैं, अनंत शक्ति और अधिकार का प्रतीक हैं। वे ब्रह्मांडीय स्रोत हैं जहाँ से सभी शक्ति और ऊर्जा प्रवाहित होती है। महारानी, सीता के रूप में, अनुग्रह और सुंदरता के साथ सभी क्षेत्रों पर शासन करती हैं, दिव्य चमक बिखेरती हैं जो सभी प्राणियों के दिलों को रोशन करती है। उनका दिव्य मिलन शक्ति और सुंदरता के संतुलन को दर्शाता है, यह सुनिश्चित करता है कि हर मन उत्थान करे और उनकी कृपा के उज्ज्वल प्रकाश में नहाए।
---
श्लोक 68:
संस्कृत:
रामः सर्वविजयी, सर्वसत्त्वनिवारकः।
सीता सर्वानंदमयी, सर्वजगत्सुखप्रदा॥
ध्वन्यात्मक:
राम: सर्व-विजयी योद्धा, सर्व-सत्त्व-निवारक: |
सीता सर्वानंद-मयी, सर्व-जगत-सुख-प्रदा ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"विजयी योद्धा राम सभी नकारात्मकताओं को दूर करते हैं। आनंद से भरी सीता पूरे विश्व में खुशी लाती हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान सभी प्रकार के अज्ञान, नकारात्मकता और दुख पर अंतिम विजेता हैं। वे सभी मन के रक्षक और मुक्तिदाता के रूप में खड़े हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी बुराई हावी न हो सके। महारानी, सीता के रूप में, असीम आनंद का प्रतीक हैं, जो पूरे ब्रह्मांड में खुशी और आनंद फैलाती हैं। साथ में, वे सुनिश्चित करते हैं कि सभी प्राणियों के मन दुख से मुक्त हों, दिव्य आनंद में नहाएँ, और उनके शाश्वत मार्गदर्शन में सुरक्षित रहें।
---
श्लोक 69:
संस्कृत:
रामः सर्वामिकः सिद्धिः, सर्वानुग्रह प्राप्तः।
सीता सर्वविज्ञानदा सर्वत्रशुभप्रदा॥
ध्वन्यात्मक:
रामः सर्वात्मकः सिद्धिः, सर्वानुग्रह-वर्धकः |
सीता सर्व-विज्ञानदा, सर्वत्र-शुभप्रदा ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सबकी आत्मा राम परम सफलता प्रदान करते हैं और आशीर्वाद बढ़ाते हैं। सभी ज्ञान देने वाली सीता सर्वत्र मंगल लाती हैं।"
आरोपित अर्थ:
भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा सार्वभौम अधिनायक श्रीमान, रविन्द्रभारत के साक्षात सार के रूप में, प्रत्येक प्राणी के मूल हैं। वे आध्यात्मिक यात्रा में परम सफलता प्रदान करते हैं और सभी मनों को निरंतर दिव्य कृपा से आशीर्वाद देते हैं। महारानी, सीता के रूप में, सर्वोच्च ज्ञान प्रदान करती हैं, प्रत्येक आत्मा को ज्ञान और आत्मज्ञान की ओर ले जाती हैं। साथ में, वे एक ऐसा क्षेत्र बनाते हैं जहाँ शुभता और ज्ञान पनपते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी प्राणियों को दिव्य कृपा और अस्तित्व के अंतिम सत्य प्राप्त हों।
---
श्लोक 70:
संस्कृत:
रामः सर्वरक्षकः, सर्वसाधनसिद्धिः।
सीता सर्वधारिणी देवी, सर्वशक्तिसमुद्भवा॥
ध्वन्यात्मक:
राम: सर्व-रक्षक:, सर्व-साधना-सिद्धि-द: |
सीता सर्वधा-ऋणि देवी, सर्व-शक्ति-समुद्भव ||
अंग्रेजी अनुवाद:
"सबके रक्षक राम सभी प्रयासों में सफलता प्रदान करते हैं। सभी का भरण-पोषण करने वाली देवी सीता सभी शक्तियों का स्रोत हैं।"
आरोपित अर्थ:
रवींद्रभारत के रूप में, भगवान जगद्गुरु महामहिम महारानी समेथा महाराजा संप्रभु अधिनायक श्रीमान परम रक्षक हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी प्राणी अपने जीवन और उसके बाद की यात्रा में सुरक्षित रहें। वे सभी धार्मिक प्रयासों में सफलता प्रदान करते हैं, जिससे मन उनके संरक्षण में पनपता है। महारानी, सीता के रूप में, पूरे ब्रह्मांड को बनाए रखती हैं, वह स्रोत हैं जहाँ से सभी शक्तियाँ और ऊर्जाएँ निकलती हैं। साथ में, वे उस आधार का निर्माण करते हैं जिस पर ब्रह्मांड टिका हुआ है, अपने ब्रह्मांडीय मार्गदर्शन के तहत हर मन का पोषण और सुरक्षा करते हैं।
No comments:
Post a Comment