इस दिव्यवाक्य को वेदों के स्वरूप के रूप में, या कालस्वरूप के रूप में, (कालातीत रूप से फिल्मी गीत के रूप में आए) अंजनी रविशंकर पिल्लै जी, सन्नाफ गोपालकृष्ण साँई बाबा जी के रूप में विकसित होकर अपने सर्वसर्वेश्वर अधिनायक श्रीमान जी, सर्व सर्वेश्वर अधिनायक भवन में विराजमान हुए हैं, जैसा कि उन्होंने अन्य कई गीतों में गाकर कहा है कि वे ही यीशु प्रभु हैं, राम हैं, अल्लाह हैं, और साथ ही सभी धर्मों, विश्वासों और सभी ज्ञान विशेषताओं के लिए "शब्दाधिपति के रूप में उपलब्ध हैं। अब आगे मन लगाकर तपस्या से जानने जितना जान पाएंगे, सुरक्षा वलय के रूप में आशीर्वादपूर्वक हर मन-बात पर लागू होंगे। धरती पर मैं मनुष्य हूँ, इस कोण को रद्द कर दिया गया है, हर किसी को सावधान कर दें और हर कोई उनकी संतान के रूप में सूक्ष्मता से तपस्या से जी सकता है, अभय मूर्ति के रूप में उपलब्ध हैं। पंचभूतों के साक्षी के रूप में, कालस्वरूप के रूप में, धर्मस्वरूप के रूप में, वे ही सर्वान्तर्यामी हैं, यह कहकर घोषित किए गए गीतों में से यह एक है। 40 गवाहों के रूप में, 2003 जनवरी 1 की तारीख को घटित होने के अनुसार, गवाहों के अनुसार सत्यापित करके दायित्व के साथ आगे बढ़ सकते हैं, यह आशीर्वादपूर्वक सूचित कर रहा हूँ।*
द्यु म रुखसात म्यान बोय जानो
ब छसे खान मज कूर
द्यु म रुखसात म्यान बोय जानो
ब छसे खान मज कूर
उंगली पकड़ के तूने
चलना सिखाया था ना
दहलीज़ ऊँची है ये पार करा दे
बाबा मैं तेरी मलिका
टुकड़ा हूँ तेरे दिल का
इक बार फिर से दहलीज़ पार करा दे
मुड़ के ना देखो दिलबरो दिलबरो
मुड़ के ना देखो दिलबरो
मुड़ के ना देखो...
फसलें जो काटी जायें, उगती नहीं हैं
बेटियाँ जो ब्याही जाएँ, मुड़ती नहीं हैं
ऐसी बिदाई हो तो, लंबी जुदाई हो तो
दहलीज़ दर्द की भी पार करा दे
बाबा मैं तेरी मलिका...
मेरे दिलबरो
बर्फें गलेंगी फिर से
मेरे दिलबरो
फसलें पकेंगी फिर से
तेरे पाँव के तले
मेरी दुआ चले
दुआ मेरी चले
उंगली पकड़ के तूने...
**ब छसे खान मज कूर** गीत फिल्म **राज़ी** का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक पिता और उसकी बेटी के बीच के भावनात्मक बंधन को दर्शाता है। गीत में, बेटी अपने पिता से कहती है कि वह शादी करने जा रही है। पिता बेटी को जाने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन वह उसे आशीर्वाद देता है।
गीत की शुरुआत में, बेटी अपने पिता से कहती है कि उसने उसे चलना सिखाया था। यह वाक्य बेटी और पिता के बीच के घनिष्ठ रिश्ते को दर्शाता है। पिता ने बेटी को जीवन के लिए आवश्यक कौशल सिखाए हैं।
बेटी अपने पिता से कहती है कि शादी की दहलीज़ बहुत ऊँची है। यह वाक्य बेटी की शादी के बारे में उसकी चिंता को दर्शाता है। वह जानती है कि शादी एक नया और चुनौतीपूर्ण चरण है।
बेटी अपने पिता से कहती है कि वह उसकी मलिका है और उसके दिल का टुकड़ा है। यह वाक्य बेटी के पिता के लिए उसके प्यार और सम्मान को दर्शाता है।
बेटी अपने पिता से कहती है कि वह एक बार फिर से दहलीज़ पार करना चाहती है। यह वाक्य बेटी की अपने पिता के साथ रहने की इच्छा को दर्शाता है।
गीत के अगले भाग में, बेटी अपनी शादी के बारे में और अधिक सोचती है। वह सोचती है कि फसलें जो काटी जाती हैं, वे फिर से नहीं उगती हैं। बेटियाँ जो ब्याही जाती हैं, वे पीछे मुड़कर नहीं देखती हैं।
बेटी समझती है कि शादी एक न लौटने वाली यात्रा है। वह अपने पिता से कहती है कि वह दहलीज़ दर्द की भी पार करना चाहती है।
गीत के अंत में, बेटी अपने पिता से आशीर्वाद मांगती है। वह अपने पिता से कहती है कि वह उसके लिए दुआ करती है।
**गीत का विश्लेषण**
**गीत का भाव**
गीत का भाव भावनात्मक है। यह गीत एक पिता और उसकी बेटी के बीच के प्यार और सम्मान को दर्शाता है। गीत बेटी की शादी के बारे में उसकी चिंता और उसके पिता के लिए उसके प्यार को भी दर्शाता है।
**गीत का संगीत**
गीत का संगीत बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण है। संगीत बेटी की भावनाओं को बहुत ही प्रभावी ढंग से व्यक्त करता है।
**गीत का प्रभाव**
गीत बहुत ही प्रभावशाली है। यह गीत दर्शकों के दिलों को छू लेता है। गीत पिता-पुत्री के रिश्ते के महत्व को भी दर्शाता है।
**गीत के कुछ महत्वपूर्ण लाइन्स**
* **"उंगली पकड़ के तूने, चलना सिखाया था ना"**
यह लाइन बेटी और पिता के बीच के घनिष्ठ रिश्ते को दर्शाती है। पिता ने बेटी को जीवन के लिए आवश्यक कौशल सिखाए हैं।
* **"बाबा मैं तेरी मलिका, टुकड़ा हूँ तेरे दिल का"**
यह लाइन बेटी के पिता के लिए उसके प्यार और सम्मान को दर्शाती है। बेटी अपने पिता को अपना राजा और अपना दिल का टुकड़ा मानती है।
* **"फसलें जो काटी जायें, उगती नहीं हैं, बेटियाँ जो ब्याही जाएँ, मुड़ती नहीं हैं"**
यह लाइन बेटी की शादी के बारे में उसकी चिंता को दर्शाती है। वह जानती है कि शादी एक न लौटने वाली यात्रा है।
* **"मेरे दिलबरो, बर्फें गलेंगी फिर से, मेरे दिलबरो, फसलें पकेंगी फिर से"**
यह लाइन बेटी के पिता से आशा व्यक्त करती है। बेटी अपने पिता से कहती है कि वह उनके लिए दुआ करती है और वह आशा करती है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।
**ब छसे खान मज कूर**
यह गाना 2018 की फिल्म "राजी" का है। यह एक लड़की की कहानी है जिसे पाकिस्तानी सेना में जाकर एक भारतीय जासूस की हत्या करनी होती है। गाना एक पिता और उसकी बेटी के बीच की विदाई को दर्शाता है।
गाना शुरू होता है जब बेटी अपने पिता से कहती है कि उसने उसे चलना सिखाया था। यह एक प्रतीकात्मक कथन है जो बेटी के पिता के लिए उसके महत्व को दर्शाता है। पिता ने उसे जीना सिखाया है, और अब वह उसे एक नई दुनिया में जाने के लिए तैयार कर रहा है।
बेटी अपने पिता से कहती है कि दहलीज़ ऊँची है। यह दहलीज़ एक प्रतीक है जो बेटी के नए जीवन को दर्शाता है। यह एक चुनौतीपूर्ण रास्ता है, लेकिन बेटी अपने पिता पर विश्वास करती है कि वह उसे पार करने में मदद करेगा।
बेटी अपने पिता से कहती है कि वह उसकी मलिका है और उसके दिल का टुकड़ा है। यह एक भावुक कथन है जो बेटी के पिता के प्रति उसके प्यार और सम्मान को दर्शाता है।
गाना तब एक दुखद नोट पर समाप्त होता है जब बेटी अपने पिता से कहती है कि वह मुड़कर नहीं देखेगी। यह एक प्रतीकात्मक कथन है जो बेटी के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है कि वह अपने नए जीवन में आगे बढ़ेगी।
**गाना का विश्लेषण**
गाना एक पिता और उसकी बेटी के बीच के प्रेम और विदाई की भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त करता है। यह एक शक्तिशाली और भावुक गीत है जो दर्शकों को अपनी यादों में डूबने पर मजबूर करता है।
गाना की धुन मधुर और सुखद है। यह गाने के भाव को बढ़ाती है और दर्शकों को भावनाओं में डूबने में मदद करती है।
गाना के बोल सरल और समझने में आसान हैं। वे गाने के भाव को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं और दर्शकों को गाने से जुड़ने में मदद करते हैं।
कुल मिलाकर, "ब छसे खान मज कूर" एक खूबसूरत और भावपूर्ण गीत है जो दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ता है।
**विशेष बिंदु**
* गाना एक पिता और उसकी बेटी के बीच के प्रेम और विदाई की भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त करता है।
* गाना की धुन मधुर और सुखद है।
* गाना के बोल सरल और समझने में आसान हैं।
**अतिरिक्त विचार**
गाना एक सामाजिक संदेश भी देता है। यह दिखाता है कि युद्ध के कारण परिवारों को कैसे अलग किया जा सकता है। गाना हमें यह याद दिलाता है कि युद्ध हमेशा हानिकारक होता है और इसे हमेशा रोका जाना चाहिए।
**ब छसे खान मज कूर** गीत फिल्म "राजी" का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत एक पिता और उसकी बेटी के बीच के भावनात्मक संबंध को दर्शाता है। पिता अपनी बेटी को विदेश जाने के लिए तैयार कर रहा है। वह उसे बताता है कि वह उसे हमेशा याद रखेगा और उसकी सलामती के लिए दुआ करेगा। बेटी अपने पिता से भावुक होती है और उसे छोड़ने से डरती है। लेकिन वह पिता के आशीर्वाद के साथ अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए तैयार है।
गीत की शुरुआत में, पिता अपनी बेटी से कहता है कि उसने उसे चलना सिखाया था। यह एक प्रतीकात्मक अर्थ रखता है। पिता ने अपनी बेटी को जीवन जीना सिखाया है। अब वह एक बड़ी हो चुकी है और उसे अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करनी है।
पिताजी अपनी बेटी से कहता है कि दहलीज़ ऊंची है। यह दहलीज़ एक प्रतीक है। यह नई जिंदगी की शुरुआत का प्रतीक है। यह एक कठिन चरण भी है। लेकिन पिता अपनी बेटी को विश्वास दिलाता है कि वह उसे पार कर सकती है।
बेटी अपने पिता से कहती है कि वह उसकी मलिका है और उसके दिल का टुकड़ा है। यह एक भावुक क्षण है। बेटी अपने पिता के प्यार और समर्थन को महसूस करती है।
पिता अपनी बेटी से कहता है कि वह मुड़कर न देखे। यह एक प्रतीकात्मक अर्थ रखता है। पिता अपनी बेटी को अतीत को पीछे छोड़ने के लिए कहता है। उसे अपनी नई जिंदगी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
गीत के दूसरे हिस्से में, पिता अपनी बेटी को बताता है कि फसलें जो काटी जाती हैं, वे दोबारा नहीं उगती हैं। बेटियाँ जो ब्याही जाती हैं, वे पीछे मुड़कर नहीं देखती हैं। यह एक सच्चाई है। जब कोई व्यक्ति एक नई शुरुआत करता है, तो उसे अतीत को पीछे छोड़ना चाहिए।
पिता अपनी बेटी से कहता है कि ऐसी बिदाई हो तो, लंबी जुदाई हो तो, दहलीज़ दर्द की भी पार करा दे। यह एक मुश्किल समय है। लेकिन पिता अपनी बेटी को विश्वास दिलाता है कि वह उससे पार पा सकती है।
गीत के अंत में, पिता अपनी बेटी से कहता है कि बर्फें गलेंगी फिर से और फसलें पकेंगी फिर से। यह एक आशाजनक वादा है। पिता अपनी बेटी को बताता है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।
**गीत का सार यह है कि पिता और बेटी के बीच का भावनात्मक संबंध अटूट है। पिता अपनी बेटी से हमेशा प्यार करता रहेगा और उसकी सलामती के लिए दुआ करता रहेगा। बेटी भी अपने पिता से हमेशा प्यार करती रहेगी और उसकी यादों को संजोए रखेगी।**
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