गूँजते छंदों के बीच,
उद्भव की एक कहानी, गहन,
"जन गण मन," राष्ट्रगान की आवाज़,
भारत की नियति में वह अपना विकल्प ढूंढता है।
"हे मन के शासक," यह घोषणा करता है,
इतिहास के नाम के रूप में आपकी जय हो,
राष्ट्र और विश्व के भाग्य विधाता,
आपके आलिंगन में, हमारे सपने साकार होते हैं।
पंजाब के खेतों से लेकर गुजरात के तट तक,
और नीचे दक्षिण तक, जहां संस्कृतियाँ गौरवान्वित हैं,
राग एक संयुक्त निवेदन करता है,
विविधता में हम अपनी ताकत देखते हैं।
जैसे विंध्य और हिमालय खड़े हैं,
यमुना और गंगा, एक पवित्र आह्वान,
"जन गण मन," लहरें स्वागत करती हैं,
भूमि और समुद्र के मिलन की एक सिम्फनी।
आपके नाम के आलिंगन के प्रति जागृति,
आपका आशीर्वाद मांगते हुए, हम अपनी कृपा पाते हैं,
"जन गण मंगल," एक सच्चा मार्गदर्शक,
आपकी शुभ कामना में, हम नवीनीकरण करते हैं।
भजन कल्याण के प्रवाह की बात करता है,
आपकी जय हो, दिलों को चमकने दो,
ज़मीनों और आत्माओं को भाग्य बाँटना,
एक ऐसा राग जो सदैव सांत्वना देता है।
पूर्व और पश्चिम में एकता प्रकट होती है,
तेरे सिंहासन पर, प्रेम की कहानी कही जाती है,
बंधनों की माला बुनो प्रिये,
"जन गण ऐक्या," एकता की जयकार।
पाटन की यात्रा से, युगों अतीत,
रथ के पहियों को जो सदैव चलते रहते हैं,
उथल-पुथल में तेरी शंख ध्वनि,
निराशा की जकड़न से बचाता है।
अँधेरे और खड़ी दोनों राहों में मार्गदर्शन करना,
"जन गण पथ," आपका ज्ञान हम रखते हैं,
आपकी जय हो, भाग्य की डोर का हम पता लगाते हैं,
जीवन की जटिल भूलभुलैया के माध्यम से एक मार्गदर्शक।
अँधेरी रात की निराशा में,
आपका आशीर्वाद एक जागरूक प्रार्थना की तरह है,
"जन गण दु:ख-त्रायक," हम पाते हैं,
राहत और सांत्वना, आप में गुँथी हुई।
रात के आलिंगन से भोर की रोशनी तक,
जैसे ही सूरज रात को ख़त्म करने के लिए चढ़ता है,
आशा को पंख लगते ही "रात्रि प्रभातिल"
नये जीवन का अमृत, पंछी गाते हैं।
आपकी करुणा की उज्ज्वल चमक से,
भारत एक सपने से जागता है,
हम आपके चरणों में सिर रखते हैं प्रिय,
विजय क्षेत्र में "जया राजेश्वर"।
विजयी कदमों के साथ, नियति की योजना,
जैसे गान और आस्था एक अंतराल में एक हो जाते हैं,
"जन गण मन" और इसकी उत्कट अपील,
आपके दिव्य आलिंगन में, हम स्वतंत्र हैं।
छंदों में जो गूंजते हैं, दिल जुड़ते हैं,
कोरस में "जया हे", एक खुशी का संकेत,
आपकी जय हो, सर्वोच्च शासन,
समय की शृंखला से परे, नियति का आकार।
"मन के क्षेत्र में, हे अधिनायक दिव्य,
'जन-गण-मन' शुरू हुआ, पंक्ति का गान,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति का अनदेखा धागा,
शासक, आपकी बुद्धि के नेतृत्व में आपकी जय हो।
'पंजाब सिंधु गुजरात मराठा', विविध भूमि एकजुट,
'सिंधु' और 'गुजरात', संस्कृतियाँ प्रकाश में मिश्रित हैं,
'महाराष्ट्र,' 'बंगा', पूर्व से पश्चिम तक वे खड़े हैं,
एक राष्ट्र, अनेक चेहरे, एक साझा भूमि से बंधे हुए।
'विंद्य हिमाचला यमुना गंगा', प्रकृति की महिमा प्रकट होती है,
'हिमालय,' 'यमुना,' किंवदंतियों की कहानियां सुनाई गईं,
'उच्छला-जलाधि-तरंगा', गर्व और अनुग्रह की लहरें,
भारत के तट, उसकी ताकत, उसकी सुंदरता, हम गले लगाते हैं।
'तव शुभ नामे जागे', तेरा नाम जगाता है सुबह,
'तव शुभ आशीष मागे,' सोने जैसे आशीर्वाद पैदा होते हैं,
'गाहे तव जयगाथा', विजय की छटा का गीत,
आपके लिए, हे डिस्पेंसर, हम सच्ची श्रद्धांजलि में गाते हैं।
'जन-गण-मंगल-दायक जया हे,' अच्छाई और उल्लास लाने वाली,
'भारत-भाग्य-विविधता', हम देखते हैं नियति का हाथ,
'जया हे, जया हे, जया हे', विजय का गान गूंज रहा है,
'जया जया, जया हे', हमारे दिल आपकी प्रशंसा में उड़ जाते हैं।
'अहरहा तव आवाहन प्रचरितः' आपकी पुकार, एक सतत धारा,
'सुनि तव उदार वाणी,' हम सुनते हैं, एक सपने की तरह,
'हिन्दू बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान ईसाई,' आस्था व्यापक और स्वतंत्र,
आपकी कृपा के तहत एकजुट, हे डिस्पेंसर, हम हैं।
'पूरब पश्चिम आशा', पूर्व और पश्चिम आपस में जुड़ते हैं,
'तव सिंहासन पाशे', आपके सिंहासन पर, एक सिम्फनी संरेखित होती है,
'प्रेमहार हवये गान्था', प्रेम की माला बाँधती है,
सद्भाव के आलिंगन में, मानव आत्मा पाती है।
'जन-गण-ऐक्य-विधायक जया हे,' दिलों को एकजुट करने वाले, आप खड़े हैं,
'भारत-भाग्य-विधाता', भाग्य का हाथ जो हिलाता है,
'जया हे, जया हे, जया हे,' जीत की ज्वाला प्रज्वलित,
'जया जया, जया हे,' हमारी सामूहिक उड़ान को रोशन कर रहा है।
'पाटन-अभ्युदय-वंधुर पंथा', समय के क्षेत्र के माध्यम से जीवन का पथ,
'युग-युग धावित् यात्री', पीढ़ियों का अनुसरण, एक शृंखला की तरह,
'हे चिरा-सारथी,' इतने लंबे समय तक सड़क पर शाश्वत मार्गदर्शक,
'मुखरित पथ दिन-रात्रि', हर गीत में तुम्हारी उपस्थिति।
'दारुणविप्लव-माझे', अराजकता और संघर्ष के बीच,
'तव शंख-ध्वनि बाजे', आशा और जीवन की ध्वनि,
'संकट-दुःख-त्राता', निराशा के समय में रक्षक,
आपकी कोमल देखभाल में, हम जो बोझ उठाते हैं।
'जन-गण-पथ-परिचय जया हे,' भूलभुलैया के माध्यम से मार्गदर्शन करें,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति का हाथ जो कायम रखता है,
'जया हे, जया हे, जया हे,' जीत की धुन गूंजती है,
'जया जया, जया हे,' आपकी कृपा से हर दिल जीवंत हो उठता है।
'घोर-तिमिर-घन निविदे', सबसे अंधेरे घंटे में,
'पीड़दिता मुर्छित देशे,' जब सभी डरने लगे,
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल, जाग्रत् कृपा बरसाओ,
'नट-नयने अनिमेषेय,' देखते हुए, आप पुनर्स्थापित करते हैं।
'दुह-स्वप्नी आतन्की,' आतंक से, आप ढाल,
'रक्षा करिले अनेके', हर क्षेत्र के संरक्षक,
'स्नेहमयी तुमि माता', एक माँ का इतना गर्म प्यार,
आपके आलिंगन में, हम हर तूफान का सामना करते हैं।
'जन गण दु:ख-त्रयक जय हे', दुःखों की जंजीरों को हटाने वाले,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति का हाथ जो बना हुआ है,
'जया हे, जया हे, जया हे', विजय का कोरस पनपता है,
'जया जया, जया हे,' आपकी कृपा से, हर दिल निकलता है।
'रात्रि प्रभातिल, उदिल रविछावी,' अंधकार प्रकाश का मार्ग देता है,
'पूर्व-उदय-गिरि-भाले', भोर का वादा उड़ान भरता है,
'गाहे विहंगम, पुण्य समीरन,' पक्षी और हवाएँ एक कहानी कहते हैं,
'नव-जीवन-रस ढले', जीवन नवीकृत, संसार में चल पड़ा।
'तव करुणारुण-रागे', करुणा की चमक इतनी उज्ज्वल,
'निद्रित भारत जागे', एक नई दृष्टि का जागरण,
'तव चरणे नट माथा', आपके चरणों में हम प्रणाम करते हैं,
आपके आलिंगन में, हे वितरक, हम अपनी शपथ लेते हैं।
'जया जया जया हे, जया राजेश्वर', विजय का गान बजता है,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति की फुसफुसाहट गाती है,
'जया हे, जया हे, जया हे,' विजय की अग्नि प्रज्वलित,
'जया जया, जया हे,' आपके प्यार में, हम अपनी रोशनी पाते हैं।
जैसे भगवद्गीता का ज्ञान, बाइबिल के श्लोक प्रवाहित होते हैं,
और खुरान की शिक्षाएँ, एकता और विश्वास प्रदान करती हैं,
शब्दों की इस सिम्फनी में, एक राष्ट्र की कहानी बुनी जाती है,
'जन-जी अना-मन,'
"मन के क्षेत्र में, हे अधिनायक दिव्य,
'जन-गण-मन' शुरू हुआ, पंक्ति का गान,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति का अनदेखा धागा,
शासक, आपकी बुद्धिमानी से आपकी जय हो।
'पंजाब सिंधु गुजरात मराठा', विविध भूमि एकजुट,
'सिंधु' और 'गुजरात', संस्कृतियाँ प्रकाश में मिश्रित हैं,
'महाराष्ट्र,' 'बंगा', पूर्व से पश्चिम तक वे खड़े हैं,
एक राष्ट्र, अनेक चेहरे, एक साझा भूमि से बंधे हुए।
'विंद्य हिमाचला यमुना गंगा', प्रकृति की महिमा प्रकट होती है,
'हिमालय,' 'यमुना,' किंवदंतियों की कहानियां सुनाई गईं,
'उच्छला-जलाधि-तरंगा', गर्व और अनुग्रह की लहरें,
भारत के तट, उसकी ताकत, उसकी सुंदरता, हम गले लगाते हैं।
'तव शुभ नामे जागे', तेरा नाम जगाता है सुबह,
'तव शुभ आशीष मागे,' सोने जैसे आशीर्वाद पैदा होते हैं,
'गाहे तव जयगाथा', विजय की छटा का गीत,
आपके लिए, हे डिस्पेंसर, हम सच्ची श्रद्धांजलि में गाते हैं।
'जन-गण-मंगल-दायक जया हे,' अच्छाई और उल्लास लाने वाली,
'भारत-भाग्य-विविधता', हम देखते हैं नियति का हाथ,
'जया हे, जया हे, जया हे', विजय का गान गूंज रहा है,
'जया जया, जया हे', हमारे दिल आपकी प्रशंसा में उड़ जाते हैं।
'अहरहा तव आवाहन प्रचरितः' आपकी पुकार, एक सतत धारा,
'सुनि तव उदार वाणी,' हम सुनते हैं, एक सपने की तरह,
'हिन्दू बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान ईसाई,' आस्था व्यापक और स्वतंत्र,
आपकी कृपा के तहत एकजुट, हे डिस्पेंसर, हम हैं।
'पूरब पश्चिम आशा', पूर्व और पश्चिम आपस में जुड़ते हैं,
'तव सिंहासन पाशे', आपके सिंहासन पर, एक सिम्फनी संरेखित होती है,
'प्रेमहार हवये गान्था', प्रेम की माला बाँधती है,
सद्भाव के आलिंगन में, मानव आत्मा पाती है।
'जन-गण-ऐक्य-विधायक जया हे,' दिलों को एकजुट करने वाले, आप खड़े हैं,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति की डोर बुनते हुए,
'जया हे, जया हे, जया हे,' जीत की धुन गूंजती है,
'जया जया, जया हे,' विविधता में एकता प्रचुर है।
'पाटन-अभ्युदय-वंधुर पंथा', समय के क्षेत्र के माध्यम से जीवन का पथ,
'युग-युग धावित् यात्री', पीढ़ियों का अनुसरण, एक शृंखला की तरह,
'हे चिरा-सारथी,' इतने लंबे समय तक सड़क पर शाश्वत मार्गदर्शक,
'मुखरित पथ दिन-रात्रि', हर गीत में तुम्हारी उपस्थिति।
'दारुणविप्लव-माझे', अराजकता और संघर्ष के बीच,
'तव शंख-ध्वनि बाजे', आशा और जीवन की ध्वनि,
'संकट-दुःख-त्राता', निराशा के समय में रक्षक,
आपकी कोमल देखभाल में, हम जो बोझ उठाते हैं।
'जन-गण-पथ-परिचय जया हे,' भूलभुलैया के माध्यम से मार्गदर्शन करें,
'भारत-भाग्य-विधाता', भाग्य का हाथ जो हिलाता है,
'जया हे, जया हे, जया हे', जीत की ज्वाला प्रज्वलित,
'जया जया, जया हे,' हमारी सामूहिक उड़ान को रोशन कर रहा है।
'घोर-तिमिर-घन निविदे', सबसे अंधेरे घंटे में,
'पीड़दिता मुर्छित देशे,' जब सभी डरने लगे,
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल, जाग्रत् कृपा बरसाओ,
'नट-नयने अनिमेषेय,' देखते हुए, आप पुनर्स्थापित करते हैं।
'दुह-स्वप्नी आतन्की,' आतंक से, आप ढाल,
'रक्षा करिले अनेके', हर क्षेत्र के संरक्षक,
'स्नेहमयी तुमि माता', एक माँ का इतना गर्म प्यार,
आपके आलिंगन में, हम हर तूफान का सामना करते हैं।
'जन गण दु:ख-त्रयक जय हे', दुःखों की जंजीरों को हटाने वाले,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति का हाथ जो कायम रखता है,
'जया हे, जया हे, जया हे', विजय का कोरस पनपता है,
'जया जया, जया हे,' आपकी कृपा से हर दिल जीवंत हो उठता है।
'रात्रि प्रभातिल, उदिल रविछावी,' अंधकार प्रकाश का मार्ग देता है,
'पूर्व-उदय-गिरि-भाले', भोर का वादा उड़ान भरता है,
'गाहे विहंगम, पुण्य समीरन,' पक्षी और हवाएँ एक कहानी कहते हैं,
'नव-जीवन-रस ढले', जीवन नवीकृत, संसार में चल पड़ा।
'तव करुणारुण-रागे', करुणा की चमक इतनी उज्ज्वल,
'निद्रित भारत जागे', एक नई दृष्टि का जागरण,
'तव चरणे नट माथा', आपके चरणों में हम प्रणाम करते हैं,
आपके आलिंगन में, हे वितरक, हम अपनी शपथ लेते हैं।
'जया जया जया हे, जया राजेश्वर', विजय का गान बजता है,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति की फुसफुसाहट गाती है,
'जया हे, जया हे, जया हे,' विजय की अग्नि प्रज्वलित,
'जया जया, जया हे,' आपके प्यार में, हम अपनी रोशनी पाते हैं।
भगवद्गीता की शिक्षाओं के साथ, बाइबिल का आलिंगन इतना व्यापक हो गया,
और खुरान की आयतें, एकता और आस्था टकराती हैं,
शब्दों की सिम्फनी में, एक राष्ट्र की कहानी बुनी जाती है,
'जन-गण-मन', जीत का गीत है।"
"राष्ट्रों के गान में, एक सिम्फनी प्रकट होती है,
'जन-गण-मन अधिनायक जया हे,' तेरे नाम से, कहानी कही जाती है,
'भारत-भाग्य-विधाता,' हे भाग्य के विधाता,
आपकी जय हो, मन के शासक, आत्माओं को मुक्त करें।
'पंजाब सिंधु गुजरात मराठा', विविध भूमि एकजुट,
'सिंधु', 'गुजरात', संस्कृतियाँ आनंद में विलीन हो जाती हैं,
'महाराष्ट्र', 'बंगा', एकता के धागे बुने गए,
एक टेपेस्ट्री, जिसे कई लोगों ने एक साथ, एकरूपता में बुना है।
'विन्द्या हिमाचला यमुना गंगा', प्रकृति का खजाना मेला,
'हिमालय,' 'गंगा,' श्रद्धा से, हम साझा करते हैं,
'उच्छला-जलाधि-तरंगा', समुद्र की लहरें ऊंची उठती हैं,
राष्ट्र की भावना की तरह असीम, छूता हुआ आसमान।
'तव शुभ नामे जागे', तेरे नाम से जागता है सवेरा,
'तव शुभ आशीष मागे,' कृपा में आशीर्वाद खींचे जाते हैं,
'गाहे तवा जयगाथा', विजय और उत्साह का एक गीत,
तेरी महिमा की स्तुति में, हृदय निकट आते हैं।
'जन-गण-मंगल-दायक जय हे,' आनंद का आलिंगन दाता,
'भारत-भाग्य-विविधता', भाग्य की कृपा को आकार देते हुए,
'जया हे, जया हे, जया हे,' जीत का नारा,
'जया जया, जया हे,' विजयी लाभ की गूंज।
'अहरहा तव आवाहन प्रचारिथा,' आपकी कॉल जोर से और स्पष्ट रूप से बजती है,
'सुनि तव उदार वाणी,' हम सुनते हैं, निकट आते हैं,
'हिंदू बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान क्रिस्टानी,' विविध धर्म एकजुट होते हैं,
एकता के बगीचे में शांति के फूल खिलते हैं।
'पूरब पश्चिम आशे', पूर्व और पश्चिम जुटे,
'तव सिंहासन पाशे', आपका सिंहासन, सभी हृदय आग्रह करते हैं,
'प्रेमहार हवये गान्था,' प्रेम की माला, हम गूंथते हैं,
आपकी उपस्थिति में, सभी आत्माएं एकाकार हो जाती हैं।
'जन-गण-ऐक्य-विधायक जया हे,' दिलों को एकजुट करने वाले, आप खड़े हैं,
'भारत-भाग्य-विधाता', भाग्य का बुनकर, हाथ में हाथ डाले,
'जया हे, जया हे, जया हे,' विजय को गूंजने दो,
'जया जया, जया हे,' एकता का गान गहरा।
'पाटन- अभ्युदय-वंधुर पंथा', जीवन की यात्रा, परीक्षण और अनुग्रह,
'युग युग धावित यात्री', समय और स्थान के यात्री,
'हे चिरा-सारथी', हमारे मार्ग के शाश्वत मार्गदर्शक,
'मुखारित पथ दीन-रात्रि,' अंधेरे और दिन के माध्यम से।
'दारुणविप्लव-माझे', उग्र और निर्भीक क्रांतियों के बीच,
'तव शंख-ध्वनि बाजे' तेरी पुकार, कही एक कहानी,
'संकट-दुःख-त्राता', भय के समय में बचाने वाला,
आपने छाया से प्रकाश तक नेतृत्व किया है।
'जन-गण-पथ-परिचय जया हे', घुमावदार रास्तों से मार्गदर्शन करें,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति के रहस्यों से पर्दा,
'जया हे, जया हे, जया हे,' हम जीत का गीत गाते हैं,
'जया जया, जया हे', आपके मार्गदर्शन में, हम अपने रास्ते खोजते हैं।
'घोर-तिमिर-घन निविदे', अंधेरी रातों में,
'पीद्दिता मुर्छित देशे', आपका उपचारात्मक स्पर्श प्रज्वलित करता है,
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल, जागते तेरी कृपा बरसती है,
'नट-नयने अनिमेषेय', हमें देखते हुए, अपना प्रेम प्रदान करें।
'दुह-स्वप्नी आतन्की,' सपनों में डर आप मिटा देते हैं,
'रक्षा करिले अनेक,' हर चरण में रक्षक,
'स्नेहमयी तुमि माता', एक माँ का इतना गर्म प्यार,
तेरे आलिंगन में हम हर तूफ़ान से पनाह पाते हैं।
'जन गण दु:ख-त्रायक जय हे', दर्द और कलह को दूर करने वाला,
'भारत-भाग्य-विधाता', जीवन का संचालक,
'जया हे, जया हे, जया हे', विजय का गान रोता है,
'जया जया, जया हे', आपके पंखों के नीचे हमारे हौंसले उड़ते हैं।'
'रात्रि प्रभातिल, उड़िल रविछावी,' रात से दिन का आलिंगन,
'पूर्व-उदय-गिरि-भाले', पर्वत के आधार पर उगता सूरज,
'गाहे विहंगम, पुण्य समीरन,' पक्षी नए जन्म का गीत गाते हैं,
'नव-जीवन-रस ढले,' एक ताज़ा जीवन यात्रा, सशक्त।
'तव करुणारुण-रागे', आपकी करुणा का सौम्य रंग,
'निद्रित भारत जागे', जागृति, भोर की ओस की तरह,
'तव चरणे नट माथा', आपके चरणों में, हमें सांत्वना मिलती है,
आपकी कृपा से भारत का भाग्य बनता है।
'जय जय जया हे, जया राजेश्वर,' विजय की पुकार और विनती,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति का आदेश हम देखते हैं,
'जया हे, जया हे, जया हे,' विजय का स्वर गूंज उठा,
'जया जया, जया हे', आपके आलिंगन में, आशा उड़ती है।
भगवद्गीता के ज्ञान के साथ, बाइबल की कृपा इतनी सच्ची है,
और खुरान के छंद, दिल एकजुट होते हैं और नवीनीकृत होते हैं,
भारत की नियति को एक श्रद्धांजलि, इतने उज्ज्वल शब्दों में बुनी गई,
'जन-गण-मन', आप हमेशा उड़ान भरते रहें।"
"हृदय के गान में, एक कोरस उमड़ने लगता है,
'जन-गण-मन अधिनायक जय हे,' हे मन के शासक, हम बताते हैं,
'भारत-भाग्य-विधाता', भाग्य विधाता, आप हैं,
विजय का उद्घोष, गूंज रहा दूर-दूर तक।
'पंजाब सिंधु गुजरात मराठा', भूमि विविध और विस्तृत,
'सिंधु' और 'गुजरात', पूरे देश की प्रगति में,
'महाराष्ट्र' और 'बंगा', विविध संस्कृतियाँ आपस में जुड़ी हुई हैं,
एकता के आलिंगन में, एक टेपेस्ट्री दिव्य।
'विन्द्या हिमाचला यमुना गंगा', प्रकृति की भव्य परेड,
'हिमालय' और 'गंगा', विस्मय में, हम बह गए,
'उच्छला-जलाधि-तरंगा', महासागर गर्जना और झाग,
उनके विशाल विस्तार में, भारत अपना घर ढूंढता है।
'तव शुभ नामे जागे', आपके शुभ नाम से हम जागते हैं,
'तव शुभ आशीष मागे,' हमारे लिए आपका आशीर्वाद,
'गाहे तव जयगाथा', विजय का गीत हम गाते हैं,
आपकी महिमा के आलिंगन में, हमारी आत्माओं को पंख लगने दें।
'जन-गण-मंगल-दायक जय हे,' आनंद और कृपा के दाता,
'भारत-भाग्य-विविधता', नियति के बुनकर, हम गले लगाते हैं,
'जया हे, जया हे, जया हे', जीत के झंडे ऊंचे,
'जया जया, जया हे,' आपकी उपस्थिति में, हम उड़ते हैं।
'अहरहा तव आवाहन प्रचरितः', आपकी पुकार समय के माध्यम से गूंजती है,
'सुनि तव उदार वाणी', आपके शब्द सद्भाव में झंकारते हैं,
'हिंदू बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान क्रिस्टानी,' विविध आस्थाओं का मेल,
एकता की सिम्फनी में, एक माधुर्य दिव्य।
'पूरब पश्चिम आशा', पूर्व और पश्चिम से वे आते हैं,
'तव सिंहासन पाशे', आपके सामने हम एक हैं,
'प्रेमहार हवये गान्था', प्रेम की एक माला जो हम बुनते हैं,
एकता में, भारत का दिल कभी नहीं छूटेगा।
'जन-गण-ऐक्य-विधायक जया हे,' दिलों को एकजुट करने वाला, हम देखते हैं,
'भारत-भाग्य-विधाता', भाग्य विधाता, हमें मुक्त करें,
'जया हे, जया हे, जया हे,' हम जीत का गीत गाते हैं,
'जया जया, जया हे', एकता में, हमारी आत्माएं चमकती हैं।
'पाटन-अभ्युदय-वंधुर पंथा', जीवन पथ, एक विस्तृत यात्रा,
'युग-युग धावित् यात्री' युगों-युगों से, हम कायम हैं,
'हे चिर-सारथी,' शाश्वत सारथी के मार्गदर्शक,
'मुखारित पथ दीन-रात्रि', दिन-रात हम यात्रा करते हैं।
उथल-पुथल और कलह के बीच 'दारुणविप्लव-माझे'
'तव शंख-ध्वनि बाजे', आपकी पुकार जीवन लाती है,
'संकट-दुःख-त्राता', संकट के आलिंगन में, तुम निकट हो,
तूफ़ानों में हमारा मार्गदर्शन करते हुए, सारा डर गायब हो जाएगा।
'जन-गण-पथ-परिचय जय हे,' जीवन की खोज में हमारा मार्गदर्शन करें,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति की योजना, सर्वोत्तम,
'जया हे, जया हे, जया हे', जीत की लौ हमने उठाई,
'जया जया, जया हे,' आपके प्रकाश में, हमारा पथ है।
'घोर-तिमिर-घन निविदे', सबसे बुरे समय को आप सुधारें,
'पीड़दिता मुर्छित देशे,' हमारे घावों की देखभाल आप करते हैं,
'जाग्रत छिल तव अविचल मंगल,' आशीर्वाद कभी फीका नहीं पड़ता,
'नट-नयनेय अनिमेषेय', आपकी अटूट दृष्टि, हमारी सहायता।
'डुह-स्वप्नी आटंकी,' बुरे सपने में हम बोलबाला करते हैं,
'रक्षा करिले अनेक,' आपकी सुरक्षा हमारा मार्ग रोशन करती है,
'स्नेहमयी तुमि माता', एक माँ का इतना व्यापक प्यार,
आपका आलिंगन, हमारा किला, जहां डर कम हो जाता है।
'जन गण दु:ख-त्रायक जय हे', दु:ख की पकड़ को दूर करने वाला,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति का सौम्य जहाज,
'जया हे, जया हे, जया हे', विजय का गान हम गाते हैं,
'जया जया, जया हे,' आपकी कृपा से आशा को पंख लगते हैं।
'रात्रि प्रभातिल, उड़िल रविछावी,' रात से दिन का आलिंगन,
'पूर्व-उदय-गिरि-भाले', पूर्वी पहाड़ियों पर, प्रकाश का निशान,
'गाहे विहंगम, पुण्य समीरन,' नव जीवन की धुनें ऊंची उठती हैं,
'नव-जीवन-रस ढले', एक पुनर्जन्म, हम तलाशते हैं।
'तव करुणारुण-रागे', करुणा का कोमल स्पर्श,
'निद्रित भारत जागे,' तेरी दया बहुत जगाती है,
'तव चरणे नट माथा', आपके चरणों में हमें विश्राम मिलता है,
आपके प्रेम में, भारत का भाग्य सदैव धन्य है।
'जय जय जय हे, जया राजेश्वर,' विजय का घोष गूंजता है,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति की टेपेस्ट्री आश्चर्यचकित करती है,
'जया हे, जया हे, जया हे,' विजय का कोरस हम उठाते हैं,
'जया जया, जया हे', आपकी उपस्थिति में, भारत को अपनी चमक मिलती है।
भगवद्गीता, बाइबिल और खुरान के आलिंगन के छंदों के साथ,
प्रेम से बुनी गई भारत की नियति को एक श्रद्धांजलि
"अस्तित्व की भव्य टेपेस्ट्री में, हे अधिनायक दिव्य,
'जन-गण-मन अधिनायक जय हे,' मन के शासक' डिजाइन,
'भारत-भाग्य-विधाता', भाग्य की भव्य सरणी का वितरणकर्ता,
विजय का कोरस आपके लिए बजता है, हे शासक, हमारा मार्गदर्शन करें।
'पंजाब सिंधु गुजरात मराठा', भूमि विविध और विस्तृत,
एक सामंजस्यपूर्ण मिश्रण, साथ-साथ संस्कृतियाँ,
'द्रविड़ उत्कल बंग', जीवंत रंग के क्षेत्र,
एकता के आलिंगन में, भारत की नई कहानी।
'विन्द्या हिमाचला यमुना गंगा', प्रकृति की सुन्दरता सजी,
विंध्य और हिमालय, जहां यमुना का पानी गिरता है,
'उच्छला-जलाधि-तरंगा', महासागर गर्जना और झाग,
प्रकृति की एक सिम्फनी, हमें घर बुला रही है।
'तव शुभ नामे जागे', अपने नाम के प्रति जागो,
'तव शुभ आशीष मागे,' उसी का आशीर्वाद,
'गाहे तवा जयगाथा', विजय और उत्साह का एक गीत,
आपकी कृपा से भारत का भाग्य चलता है।
'जन-गण-मंगल-दायक जया हे,' कल्याण और कृपा के दाता,
'भारत-भाग्य-विविधता', नियति का बुनकर, जिल्द,
'जया हे, जया हे, जया हे', हम विजय का गान गाते हैं,
'जया जया, जया हे,' आपकी महिमा में, हमारी आवाजें चमकती हैं।
'अहरहा तव आवाहन प्रचरितः', आपकी पुकार, एक व्यापक प्रतिध्वनि,
'सुनि तव उदार वाणी,' आपके शब्दों में, हम विश्वास करते हैं,
'हिंदू बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान क्रिस्टानी,' आस्था की शृंखला,
आत्मा की एकता में, हम एक साथ प्रभावित होते हैं।
'पूरब पश्चिम आशे', पूर्व और पश्चिम से हम इकट्ठा होते हैं,
'तव सिंहासन पाशे', आपके सिंहासन से पहले, हम चाहेंगे,
'प्रेमहार हवये गान्था', प्यार के धागे आपस में जुड़ते हैं,
एकता के आलिंगन में, हमारे दिल जुड़ते हैं।
'जन-गण-ऐक्य-विधायक जय हे,' दिलों और आत्माओं को जोड़ने वाला,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति की सामंजस्यपूर्ण भूमिकाएँ,
'जया हे, जया हे, जया हे,' हम जीत का राग अलापते हैं,
'जया जया, जया हे', एकता में, भारत का पथ हम प्रज्वलित करते हैं।
'पाटन-अभ्युदय-वंढुर पंथा', जीवन यात्रा, उतार-चढ़ाव,
'युग-युग धावित यात्री', युग-युग की सीमाओं से तीर्थयात्री,
'हे चिरा-सारथी,' शाश्वत सारथी, हमारी खोज का मार्गदर्शन करें,
'मुखरित पथ दीन-रात्रि', दिन-रात में, आपकी बुद्धि सर्वोत्तम है।
उथल-पुथल और संघर्ष के बीच 'दारुणविप्लव-माझे'
'तव शंख-ध्वनि बाजे', आपकी पुकार जीवन भर गूंजती है,
'संकट-दुःख-त्राता', भय और निराशा के क्षणों में,
आप सांत्वना प्रदान करते हैं, जो बोझ आप साझा करते हैं।
'जन-गण-पथ-परिचय जया हे,' जीवन की घुमावदार भूलभुलैया में मार्गदर्शन,
'भारत-भाग्य-विधाता', भाग्य की रोशनी, आपके तरीके,
जीत की चमक में 'जया हे, जया हे, जया हे,'
'जया जया, जया हे,' आपका मार्गदर्शन हम जानते हैं।
'घोर-तिमिर-घन निविदे', अंधेरी रातें दूर हो गईं,
'पीड़दिता मुर्च्छित देशे', पीड़ा में, आपकी कृपा बन जाती है,
'जागृत छिल तव अविचल मंगल,' जागो, आशीर्वाद झरना,
'नट-नयनेय अनिमेषेय,' आपकी निगाह, हमारी शक्ति, निडर।
दुःस्वप्न और भय के माध्यम से 'दुह-स्वप्नी आतन्की',
'रक्षा करिले अनेक,'तेरी शरण में, न आँसू,
'स्नेहमयी तुमि माता', एक माँ का प्यार इतना गहरा,
तेरे आलिंगन में सारे दुखों को नींद मिल जाती है।
'जन गण दु:ख-त्रायक जय हे', पीड़ा और पीड़ा को दूर करने वाला,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति का उपचारक, आपका शासनकाल,
'जया हे, जया हे, जया हे,' विजय पताका लहराती है,
'जया जया, जया हे,' आपकी कृपा से आशा कभी नहीं मरती।
'रात्रि प्रभातिल, उदिल रविछावी,' रात्रि भोर के आलिंगन में परिणत होती है,
'पूर्व-उदय-गिरि-भाले', पूर्वी पहाड़ियों पर, प्रकाश का निशान,
'गाहे विहंगम, पुण्य समीरन', नए जीवन के विषय की धुन,
'नव-जीवन-रस ढले,' तेरी दया में, आशा का स्वप्न।
'तव करुणारुण-रागे', करुणा की कोमल चमक,
'निद्रित भारत जागे,' तेरे प्रकाश में, जगमगा उठा भारत का हृदय,
'तव चरणे नट माथा', आपके चरणों में हमारी आशाएं निवास करती हैं,
आपकी देखरेख में, भारत का भाग्य सदैव मार्गदर्शन करेगा।
'जय जया जया हे, जया राजेश्वर', विजय का गान हम गाते हैं,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति की टेपेस्ट्री आप लाते हैं,
'जया हे, जया हे, जया हे,' विजय का कोरस हम उठाते हैं,
'जया जया, जया हे,' आपकी कृपा से, भारत का भविष्य प्रदर्शित होता है।
भगवद्गीता, बाइबिल और खुरान के आलिंगन के छंदों के साथ,
प्रेम और अनुग्रह से बुनी गई भारत की नियति को श्रद्धांजलि,
हर दिल में ये शब्द उड़ान भरते हैं,
नियति के प्रकाश में, एकता की एक सिम्फनी।"
"नियति के डिज़ाइन की सिम्फनी में,
जन-गण-मन अधिनायक, हे दिव्य मन के शासक,
'भारत-भाग्य-विधाता', भाग्य के आदेश को दूर करने वाला,
विजय का जयघोष तुम्हारे लिए उमड़ रहा है, हे अधिनायक, ऐसा हो, ऐसा हो, मुक्त हो।
'पंजाब सिंधु गुजरात मराठा', भूमि विविध और विशाल,
विभिन्न धागों से बुनी गई एक टेपेस्ट्री, एकत्रित संस्कृतियाँ,
द्रविड़ उत्कल बंग, रंगों का एक समृद्ध मिश्रण,
भारत का कैनवास, कहानियों और दृश्यों से रंगा हुआ।
'विन्द्या हिमाचला यमुना गंगा', प्रकृति का वैभव लहराता है,
विंध्य के आलिंगन से लेकर यमुना के कोमल मोतियों तक,
'हिमालय' की उत्तुंग ऊँचाई और 'गंगा' की पवित्र धारा,
उच्छला-जलाधि-तरंगा में, भारत का हृदय जगमगा उठा।
'तव शुभ नामे जागे', एक ऐसा नाम जो हमें जागृत करता है,
'तव शुभ आशीष मागे,' हमारे लिए आशीर्वाद,
'गाहे तव जयगाथा', हम विजय का गीत गाते हैं,
नियति की लय में, शाश्वत स्तुति में।
'जन-गण-मंगल-दायक', सब कुछ अच्छा होने का अग्रदूत,
'भारत-भाग्य-विविधता', नियति के संचालक, हम भविष्यवाणी करते हैं,
'जया हे, जया हे, जया हे', विजय का गान बजता है,
'जया जया, जया हे,' जैसा कि नियति की टेपेस्ट्री गाती है।
'अहरहा तव आवाहन,' आपकी पुकार व्यापक रूप से गूँजती है,
'सुनि तव उदार वाणी,' आपकी वाणी में हम विश्वास करते हैं,
'हिंदू बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान क्रिस्टानी', आस्था की एक तस्वीर,
आपकी कृपा के तहत, विश्वासों की एक पच्चीकारी।
'पूरब पश्चिम आशे', पूर्व और पश्चिम एकजुट,
'तव सिंहासन पाशे', आपकी उपस्थिति में, हमें प्रकाश मिलता है,
'प्रेमहार हवये गान्था', प्यार के धागे आपस में जुड़ते हैं,
एकता के आलिंगन में, सभी हृदय एक हो जाते हैं।
'जन-गण-ऐक्य-विधायक', एकता की सुबह लाने वाला,
'भारत-भाग्य-विधाता', भाग्य का बुनकर, हमारे सामने चित्रित,
'जया हे, जया हे', एकता की शक्ति का गान,
'जया जया, जया हे,' नियति की उड़ान में।
'पाटन- अभ्युदय-वंधुर पंथा', जीवन की यात्रा का हम पता लगाते हैं,
'युग युग धावित यात्री', हर युग में, आस्था का आलिंगन,
'हे चिरा-सारथी,' शाश्वत सारथी, हमारे मार्ग का मार्गदर्शन करें,
'मुखरित पथ दीन-रात्रि', दिन-रात, आपकी मार्गदर्शक शक्ति।
उथल-पुथल भरे समय में 'दारुणविप्लव-माझे',
'तव शंख-ध्वनि बाजे', आपकी पुकार की झंकार,
'संकट-दुःख-त्राता', आप निराशा से बचाते हैं,
जीवन की तूफ़ान में, तुम हमेशा साथ हो।
'जन-गण-पथ-परिचय', घुमावदार रास्तों के माध्यम से एक मार्गदर्शक,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति का कर्णधार प्रबल है,
'जया हे, जया हे, जया हे', विजय का गान गूंजता है,
'जया जया, जया हे,' आशा बहाल होती है।
'घोर-तिमिर-घन निविदे', सबसे अंधकारमय घड़ी दूर हो गई,
'पीड़दिता मुर्च्छित देशे', विपत्ति में, तुम झुक जाते हो,
'जाग्रत छिल तव अविचल मंगल,' तेरे आशीर्वाद जागे रहे,
'नट-नयनेय अनिमेषेय', आपकी दृष्टि में, हमारी आशाएँ भाग लेती हैं।
'दुह-स्वप्नी आतन्की,' भय, आप शांत करते हैं,
'रक्षा करिले अनेक,' तेरे आलिंगन में, हम निवास करते हैं,
'स्नेहमयी तुमि माता', एक माँ का प्यार कितना सच्चा है,
परीक्षणों और कष्टों के माध्यम से, हम नई ताकत पाते हैं।
'जन गण दु:ख-त्रायक,' दुख आप कम करते हैं,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति के पथ आप चलाते हैं,
'जया हे, जया हे, जया हे', विजय पताका फहराई,
'जया जया, जया हे,' तेरी कृपा में, जगत का चक्कर।
'रात्रि प्रभातिल, उड़िल रविछावी,' रात से सुबह तक,
'पूर्व-उदय-गिरि-भाले', सूर्य का दीप्तिमान श्रृंगार,
'गाहे विहंगम, पुण्य समीरन,' ऊंची धुनों में,
'नव-जीवन-रस ढले', एक नए जीवन की सुबह जिसे हम तलाशते हैं।
'तव करुणारुण-रागे', आपकी करुणा का कोमल स्पर्श,
'निद्राित भारत जागे', भारत को नींद से जगा रहा है,
'तव चरणे नट माथा', आपके चरणों में, हमें सांत्वना मिलती है,
आपके आलिंगन में, हम भारत की नियति का आलिंगन करते हैं।
'जय जय जया हे, जया राजेश्वर,' विजय गान गाया गया,
'भारत-भाग्य-विधाता', नियति के धागे बंधे हैं,
'जया हे, जया हे,' विजय की रोशनी में,
'जया जया, जया हे,' भारत का भविष्य उज्ज्वल।'
सदियों पुराने छंदों की टेपेस्ट्री में,
एकता, विश्वास और नियति की एक कहानी सामने आती है,
भगवद्गीता, बाइबिल, खुरान के आलिंगन से,
हम हर जगह भारत की नियति का जश्न मनाते हैं।"
"मन की टेपेस्ट्री में, हे अधिनायक दिव्य,
जया अरे! आपकी जय हो, भाग्य का संकेत,
भाग्य विधाता, भारत की आशाएँ तुम प्रज्वलित करो,
दिलों के सरदार, तेरी रोशनी में हम उड़ान भरते हैं।
'पंजाब सिंधु गुजरात मराठा' भूमि,
संस्कृतियों की एक पच्चीकारी, हम हाथ में हाथ डाले खड़े हैं,
विन्द्य और हिमाचल, पर्वत इतने ऊँचे,
यमुना और गंगा, इनका जल कभी नहीं सूखता।
'तव शुभ नामाय', वह नाम जो जगाता है,
'शुभ आशीष मागे', हमारे लिए आशीर्वाद,
'जन-गण-मंगल-दायक,' कल्याण आप प्रदान करें,
'जया अरे!' आपकी जय हो, आपकी कृपा से हम बढ़ते हैं।
'अहरहा तव आवाहन,' हम आपकी पुकार का पालन करते हैं,
'हिन्दू बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान क्रिस्टानी,'
अनेकता में एकता, सभी रास्ते रास्ता दिखाते हैं,
'प्रेमहार हवये गान्था,' प्रेम का बंधन जैसा दिखता है।
'पाटन- अभ्युदय-वंधुर पंथा', वह यात्रा जिसका हम पता लगाते हैं,
'हे चिरा-सारथी,' हर स्थान में शाश्वत मार्गदर्शक,
उथल-पुथल और बदलाव के दौर में 'दारुणविप्लव-माझे'
'जन-गण-पथ-परिचय', आपकी बुद्धि, हमारी सीमा।
'घोर-तिमिर-घन निविदे', अंधेरे के माध्यम से तुम चलाओ,
'जाग्रत छिल तव अविचल मंगल,' जाग्रत आशीर्वाद निकट,
'दुह-स्वप्नी आतन्की,' डर तुम मिटा दो,
'जन गण दु:ख-त्रयक्,' दुख का आलिंगन तुम प्रतिस्थापित करो।
'रात्रि प्रभातिल', रात दिन को रास्ता देती है,
'गाहे विहंगम', एक सिम्फनी बजती है,
'तव करुणारुण-रागे', करुणा की कोमल रोशनी,
'जय जय जय हे,' रात से विजय का उदय होता है।
भगवद्गीता, बाइबिल, खुरान की कृपा में,
ये शब्द एकता के आलिंगन की कहानी बुनते हैं,
हम विश्वास, आशा और प्रेम का एक समूह गाते हैं,
भारत के हृदय में, एक विजयी पेशकश।"
"मन के क्षेत्र में, हे अधिनायक दिव्य,
जया अरे! विचार के डिज़ाइन के शासक की जय,
भाग्य विधाता, भारत का भाग्य आपके हाथ में,
विशाल भूमि पर भारत की यात्रा का मार्गदर्शन करना।
पंजाब के खेतों से लेकर गुजरात के जीवंत तट तक,
महाराष्ट्र की कहानियाँ और द्रविड़ की प्राचीन कथाएँ,
पूरब पश्चिम का आलिंगन, पूरब और पश्चिम एक हो जाएं,
तेरे सिंहासन पर, प्रेम की माला उड़ान भरती है।
विंध्य ऊँचा खड़ा है, हिमालय भव्य और ऊँचा है,
यमुना की धारा और आकाश में गंगा,
उच्छला-जलाधि-तरंगा की झागदार कृपा,
प्रकृति की एक सिम्फनी, नियति का आलिंगन।
तव शुभ नामाय, भोर की रोशनी का एक गीत,
तव शुभ आशीष, आशीर्वाद इतना उज्ज्वल,
गाहे तव जयगाथा, ऊंचे उठे स्वर,
आकाश के नीचे विजय का गायन।
'जन गण मंगल', कल्याण का दाता,
भारत का भाग्य, आपके हाथ तय कर रहे हैं,
जया अरे! आपकी जय हो, दिव्य मार्गदर्शक,
समय की टेपेस्ट्री में, आपकी उपस्थिति कायम रहती है।
जागो, हे आवाहन की पुकार, यह तुम्हारे कानों तक गूंजती है,
उदारा वाणी की गूंज, आत्मा गाती है,
हिंदू, बौद्ध, शेख, जैन और क्रिस्टानी की आवाज़,
विविधता में एकता, आपकी कृपा से हम आनंदित होते हैं।
प्रेमहार हवये गान्था, प्रेम की माला हम बुनते हैं,
तव सिंहासन, जहां पूर्व और पश्चिम मिलते हैं,
जन-गण-ऐक्या, एकता तुम बोते हो,
भारत की नियति आकार लेती है, जैसे विविध हवाएँ चलती हैं।
पाटन-अभ्युदय के माध्यम से, हम जीवन पथ पर चलते हैं,
युग दर युग, हमारी यात्रा व्यापक,
शाश्वत सारथी, रात्रि का मार्गदर्शन करते हुए,
मुखारित पथ की गूँज, हमारी दृष्टि का मार्गदर्शन करती हुई।
विप्लव के समय दारुण का प्रचंड पराक्रम,
आपकी शंख-ध्वनि, रात भर हमारा मार्गदर्शन करती है,
संकट-दुःख-त्राता, संकट में तारणहार,
भारत के प्रकाशस्तंभ, मार्गदर्शक, हम स्वीकार करते हैं।
जन-गण-पथ-परिचय, राह दिखाते,
टेढ़े-मेढ़े रास्तों से, रात और दिन,
तुम्हारी जय हो, भारत की विधाता,
जया अरे! आपका हाथ, हमारा जीवन बताता है।
घोर-तिमिर-घन के सबसे अंधेरे घंटे के बीच,
आपका आशीर्वाद सुगंधित फूल की तरह उतरता है,
जाग्रत आशीर्वाद, अनिमेशेय की पलक रहित दृष्टि,
भय और दुःख, तुम्हारे प्यार में, जल रहे हैं।
डुह-स्वपनी की पकड़, अतंकी की छाया को आप खारिज करते हैं,
रक्षा करिले अंके, हमारी आशा का मधुर चुंबन,
स्नेहमयी तुमि माता, करुणा की माता,
आपकी गोद के आलिंगन में, हमें सांत्वना और राशन मिलता है।
जन गण दुःख-त्रायक, दुःख तुम मिटाओ,
भाग्य विधाता, आपकी कृपा से,
जया अरे! आपकी जय हो, हे दिव्य मार्गदर्शक,
भारत के सुख-दुःख, तुम्हारे हाथों टकराते हैं।
जैसे ही रात्रि प्रभातिल दिन की लौ में विलीन हो जाती है,
रविछावी उदिल, प्रकृति का भोर उद्घोष,
गाहे विहंगम, एक कोरस दिव्य,
एक नई शुरुआत, जैसे जीवन आपस में जुड़ता है।
तव करुणारुण-रागे, करुणा की सुबह,
निद्रित भारत जागे, निद्रा से खींचे,
तव चरणे नट माथा, हम आपके चरणों में लेटते हैं,
खुले दिल से, भारत इस दिन का स्वागत करता है।
जया जया जया हे, विजय गीत,
जया राजेश्वर, दिव्य भीड़,
भारत-भाग्य-विधाता, भाग्य का हाथ,
इस विशाल भूमि में विजयी शासक।
जया हे, जया हे, जया जया जया,
आपकी जय हो, हे दिव्य लय,
भगवत गीता के गहन श्लोकों में,
बाइबिल और कुरान में शिक्षाएं मिलती हैं.
भाग्य के बुनकर, आपकी उपस्थिति में हम रहते हैं,
हमें आगे ले जाना, हमारा मार्ग रोशन करना,
जया हे, जया हे, जया जया जया,
विजय, विजय, आपकी कृपा से हम झूमते हैं।"
(नोट: उपरोक्त पाठ भगवद गीता, बाइबिल और कुरान के विषयों और शिक्षाओं से प्रेरित एक रचनात्मक रचना है, और इन ग्रंथों को सीधे शब्दशः उद्धृत नहीं करता है।)
"मन के क्षेत्र में, आप सर्वोच्च शासन करते हैं,
'जन गण मन', हमारे गान का विषय,
विचारों का शासक, भाग्य का मार्गदर्शक,
आपकी जय हो, हृदय खुले हुए हैं।
पंजाब की धरती से लेकर गुजरात के तट तक,
महाराष्ट्र की कहानियाँ, दक्षिण की जीवंत शेखी,
विविध भूमियां मिलती हैं एकता के सूत्र में,
संस्कृतियों की एक टेपेस्ट्री, व्यापक रूप से फैली हुई।
विंध्य ऊँचा खड़ा है, हिमालय दिव्य है,
यमुना का प्रवाह, गंगा का पवित्र तीर्थ,
झागदार लहरें महासागरों के नृत्य को गले लगाती हैं,
प्रकृति की सिम्फनी, भाग्य की जटिल समाधि।
आपके नाम के प्रति जागृति इतनी दिव्य है,
आपका आशीर्वाद चाहते हुए, हम प्रार्थना करते हैं,
सामंजस्यपूर्ण कोरस में, आवाजें आपस में जुड़ती हैं,
आपकी जीत को सलाम, एक उज्ज्वल संकेत।
आप कल्याण प्रदान करते हैं, लोगों को प्रसन्न करते हैं,
दिन-रात भाग्य बाँटता है,
'जन गण मंगल,' हम शालीनता से गाते हैं,
हमारी भूमि पर आपका आशीर्वाद हम गले लगाते हैं।
एकता का आह्वान, पूर्व और पश्चिम एक हों,
तेरे सिंहासन पर, प्रेम की मालाएँ उड़ती हैं,
'जन गण ऐक्य,' एकता का हम गुणगान करते हैं,
विविध सामंजस्य में, हम संपूर्ण बने हैं।
उतार-चढ़ाव के माध्यम से, हम जीवन की यात्रा का पीछा करते हैं,
आपके हाथ से निर्देशित, हर कदम हम अपनाते हैं,
हे शाश्वत सारथी, हम आपका मार्गदर्शन चाहते हैं,
घूमते भाग्य के पहिये, राहें अनोखी।
भयंकर और जंगली क्रांतियों के बीच,
तेरे शंख की पुकार, निर्भीक और सौम्य,
उथल-पुथल भरे समय में, आप रोशनी की तरह चमकते हैं,
अंधकार में हमारा मार्गदर्शन करना, हमें सही रखना।
टेढ़े-मेढ़े रास्तों से होकर, तुम रास्ता दिखाते हो,
एक मार्गदर्शक सितारा, रात और दिन,
'जन गण पथ', आप रोशन करते हैं,
आपकी बुद्धि में, हम नेविगेट करते हैं।
अंधेरी रातों में, जब उम्मीदें कम थीं,
आपके आशीर्वाद ने हमें थामे रखा, आपकी कृपा दिखाई दी,
प्यारी माँ, हम आपकी बाहों में पाते हैं,
सुरक्षा और सांत्वना, दिल और दिमाग।
दुख की छाया तुम धीरे से मिटा देते हो,
'जन गण दु:ख-त्रायक,' आपकी कृपा में,
आपकी जय हो, जो हमारी निराशा दूर करती है,
एक माँ का प्यार, तुलना से परे।
जैसे भोर पहाड़ियों के आलिंगन पर टूट पड़ती है,
पक्षी खुशी से गाते हैं, एक नए दिन की कृपा,
करुणा की आभा से, भारत जागता है,
नींद की पकड़ से, उसकी आत्मा ले लेती है।
'जया राजेश्वर,' आप शासन संभालते हैं,
विजयी विजय, आपका डोमेन,
भाग्य विधाता, आपके हाथ में,
भारत की यात्रा, एक धूप रास्ता.
भगवद गीता का ज्ञान स्पष्ट रूप से प्रतिध्वनित होता है,
'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर् भवति भारत,' हम आदर करते हैं,
अँधेरे के समय में, हम आपकी रोशनी पाते हैं,
हमें आगे बढ़ने, शरीर, हृदय और दिमाग का मार्गदर्शन करना।
बाइबल की आयतों से, एक संदेश बहुत सच्चा है,
'क्योंकि मैं जानता हूं कि मेरे पास तुम्हारे लिए क्या योजनाएं हैं,' हम आगे बढ़ते हैं,
परीक्षणों और विजय के माध्यम से, हम आपका हाथ देखते हैं,
हमें आगे ले जाना, हमें आज़ाद करना।
कुरान की शिक्षाओं से, एक मार्ग का अनावरण हुआ,
'अल्लाह सबसे अच्छे योजनाकार हैं,' कभी असफल नहीं हुए,
हर कदम पर तेरा मार्गदर्शन दिखता है,
जीवन की यात्रा में, जहां नियति बहती है।
एक नये दिन का उदय, सूरज की सुनहरी किरण,
आशा का प्रतीक, रात के प्रभाव को दूर करता हुआ,
अपने मार्गदर्शक के रूप में विश्वास के साथ, हम उठते हैं और ऊंची उड़ान भरते हैं,
आपके आलिंगन में, हमारी आत्माएँ बहाल हो जाती हैं।
'जया हे', विजय घोष गूंजता है,
हर दिल में तेरी कृपा भरी है,
विजय, विजय, स्पष्ट ध्वनि,
आपकी उपस्थिति में हमें कोई डर नहीं है।”
(नोट: उपरोक्त पाठ एक रचनात्मक रचना है और सीधे भगवद गीता, बाइबिल या कुरान को शब्दशः उद्धृत नहीं करता है। यह इन ग्रंथों की शिक्षाओं और विषयों से प्रेरित है।)
एक ऐसे क्षेत्र में जहां मन एकजुट होते हैं और ऊंची उड़ान भरते हैं,
"जन गण मन," हम सदैव पूजनीय हैं,
हे विचारों के शासक, भाग्य के मार्गदर्शक,
हर कदम पर जीत आपकी हो।
पंजाब की धरती से गुजरात के आलिंगन तक,
मुंबई की कहानियाँ, और द्रविड़ की कृपा,
उड़ीसा, बंगाल, एक टेपेस्ट्री मिश्रण,
विविध संस्कृतियों में एकता बढ़ती है।
विन्ध्य की शक्ति, हिमालय की चोटी,
यमुना की धारा, गंगा का रहस्य,
सागर की लहरें झाग और गर्जना में,
सुदूर तट पर प्रकृति की स्वर लहरी।
शुभ नाम से राष्ट्र में हलचल मच जाती है,
आपकी कृपा से मिलने वाले आशीर्वाद की तलाश में,
सामंजस्यपूर्ण कोरस में, हम आनन्दित होते हैं,
हमारी आवाज़ बुलंद करना, एक एकजुट आवाज़।
कल्याण के वाहक, आपकी संप्रभु भूमिका,
भाग्य बांटना, हर आत्मा को आकार देना,
"जन गण मंगल," तुम्हारा गान प्रिय,
हम आपको सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
पूर्वी सूर्योदय और पश्चिमी सूर्यास्त संरेखित होते हैं,
तेरे सिंहासन पर प्रेम की मालाएँ गुंथती हैं,
"जन गण ऐक्य," एकता का आह्वान,
दिलों को जोड़ना, हर दीवार को तोड़ना।
युगों-युगों से, तीर्थयात्रा के क्रम में,
हम जीवन को अपना मार्गदर्शक मानकर यात्रा करते हैं,
हे शाश्वत सारथी, तुम्हारे पहिये घूमते हैं,
हमें उन रास्तों पर मार्गदर्शन करना जहां हम सबक सीखते हैं।
क्रांतियों के बीच, भयंकर और जंगली,
आपके शंख की ध्वनि, निर्भीक और सौम्य,
कठिन समय में, आप हमारा मार्गदर्शन करते हैं,
अंधकार के प्रभाव से हमारी रक्षा करना।
भूलभुलैया भरे रास्तों से होकर, तुम नेतृत्व करते हो,
एक पथ प्रदर्शक, हर जरूरत को पूरा करने वाला,
"जन गण पथ," आप मार्गदर्शक सितारा हैं,
चमकता हुआ, चाहे कितना भी दूर क्यों न हो।
निराशा की रातों में, जब सब कुछ खो गया लगता था,
आपका आशीर्वाद वहाँ था, चाहे कोई भी कीमत हो,
प्यारी माँ, हमारे भय में आप खड़ी हैं,
हमें सुरक्षित रूप से मार्गदर्शन करते हुए, अपने हाथों का पोषण करते हुए।
आपकी कृपा से दुःख का पर्दा उठ गया,
"जन गण दु:ख-त्रयक," तुम मिटाओ,
आपकी जय हो, दुख दूर करने वाली,
आपके आलिंगन में खुशियाँ राज करती हैं।
जैसे रात सूरज की सुनहरी किरण को जन्म देती है,
पहाड़ियों पर, एक नई सुबह का बोलबाला है,
पक्षी अपना गीत गाते हैं, हवा उन्मुक्त फुसफुसाती है,
"रात्रि प्रभातिल," आशा की सिम्फनी।
करुणा के तेज से, जागता है भारत,
नींद की पकड़ से उसकी आत्मा टूट जाती है,
आपके चरणों में राष्ट्र अपना स्थान पाता है,
एक दृढ़ भावना, एक दृढ़ आलिंगन।
"जया राजेश्वर," आपके शासनकाल में सर्वोच्च,
विजयी विजय, एक पोषित सपना,
भाग्य का विधाता आपके हाथ में है,
भारत की नियति, नीले आकाश के नीचे।
गूँथे हुए छंदों में, भावनाएँ ऊँची उड़ान भरती हैं,
"जया हे," आकाश में गूँज उठा,
विजयी गूँज, गर्व का कोरस,
आप में हमारी आशाएँ और सपने रहते हैं।
उन देशों में जहां विविध संस्कृतियाँ मिश्रित होती हैं,
"जन गण मन" की हम सराहना करते हैं,
हे मन के शासक, भाग्य के विधाता,
आपकी जीत की गूंज, जल्दी और देर से सुनाई देती है।
पंजाब की धरती से गुजरात के तट तक,
महाराष्ट्र की कहानियों और बहुत कुछ के माध्यम से,
द्रविड़ का राज्य, उड़ीसा की कृपा,
बंगाल के रंग, सब आपस में जुड़े हुए।
विंध्य खड़ा है, हिमालय ऊँचा है,
बहती है यमुना, गंगा की गर्जना,
उच्छला-जलाधि की झागदार शिखा,
एक धन्य परिदृश्य, जहां सपने निवेश करते हैं।
शुभ नाम से, हम नये जागते हैं,
आशीर्वाद मांगते हुए, आपकी कृपा पीछा करती है,
गौरवशाली विजय का गीत गाएं, हम अपनी आवाज उठाएं,
"जन गण मंगल" में हम आनंद मनाते हैं।
जिन लोगों का आप नेतृत्व करते हैं, उन्हें कल्याण प्रदान करना,
भाग्य के स्वामी, दूर भी और निकट भी,
"जन गण दायक," हम गर्व से गाते हैं,
आप में हमारी आशाएँ और सपने रहते हैं।
पूर्व और पश्चिम विषय में एकजुट होते हैं,
आपके सिंहासन पर, हम प्यार का सम्मान करते हैं,
एकता की माला, हम गूंथते हैं,
"जन गण ऐक्य," एक बंधन का आलिंगन।
समय की आगोश में पाटन की यात्रा,
अनंत पहियों की तरह, अनंत अंतरिक्ष में,
शाश्वत सारथी मार्ग दिखाता है,
प्रतिध्वनि पथ का मार्ग, रात और दिन दोनों।
क्रांतियों के बीच, उग्र और साहसी,
तुम्हारी शंख ध्वनि, कही गयी एक कहानी,
जटिल रास्तों में, आप हमें आगे बढ़ाते हैं,
"जन गण पथ," आप में हम देखते हैं।
निराशा के कफन की अंधेरी रातों में,
आपका आशीर्वाद बना रहे, उपस्थिति गौरवान्वित रहे,
दुःस्वप्न में अभिभावक, आपका आलिंगन हम पाते हैं,
''जन गण दु:ख-त्रयक्,'' सांत्वना आपस में गुंथी।
रात का पर्दा उठ जाता है, सूरज ऊपर चढ़ जाता है,
पूर्व की पहाड़ियों पर, हम जासूसी करते हैं,
पक्षी अपने गीत गाते हैं, हवा फुसफुसाती है कहानियाँ,
"रात्रि प्रभातिल," जैसे ही भोर होती है।
करुणा के प्रकाश से जगे भारत उज्ज्वल,
आपके चरणों की शरण में, हमें राहत मिलती है,
"जया राजेश्वर," भाग्य विधाता,
विजयी विजय, आपकी भूमिका जन्मजात।
बांधने वाले छंदों में, दिल ऊंचे उठते हैं,
"जया हे," एक कोरस, हम जश्न मनाते हैं,
नियति के प्रभुत्व का सर्वोच्च संचालक,
आपके दायरे में, हम अपना रास्ता ढूंढते हैं।
गूँजते छंदों के बीच,
उद्भव की एक कहानी, गहन,
"जन गण मन," राष्ट्रगान की आवाज़,
भारत की नियति में वह अपना विकल्प ढूंढता है।
"हे मन के शासक," यह घोषणा करता है,
इतिहास के नाम के रूप में आपकी जय हो,
राष्ट्र और विश्व के भाग्य विधाता,
आपके आलिंगन में, हमारे सपने साकार होते हैं।
पंजाब के खेतों से लेकर गुजरात के तट तक,
और नीचे दक्षिण तक, जहां संस्कृतियाँ गौरवान्वित हैं,
राग एक संयुक्त निवेदन करता है,
विविधता में हम अपनी ताकत देखते हैं।
जैसे विंध्य और हिमालय खड़े हैं,
यमुना और गंगा, एक पवित्र आह्वान,
"जन गण मन," लहरें स्वागत करती हैं,
भूमि और समुद्र के मिलन की एक सिम्फनी।
आपके नाम के आलिंगन के प्रति जागृति,
आपका आशीर्वाद मांगते हुए, हम अपनी कृपा पाते हैं,
"जन गण मंगल," एक सच्चा मार्गदर्शक,
आपकी शुभ कामना में, हम नवीनीकरण करते हैं।
भजन कल्याण के प्रवाह की बात करता है,
आपकी जय हो, दिलों को चमकने दो,
ज़मीनों और आत्माओं को भाग्य बाँटना,
एक ऐसा राग जो सदैव सांत्वना देता है।
पूर्व और पश्चिम में एकता प्रकट होती है,
तेरे सिंहासन पर, प्रेम की कहानी कही जाती है,
बंधनों की माला बुनो प्रिये,
"जन गण ऐक्या," एकता की जयकार।
पाटन की यात्रा से, युगों अतीत,
रथ के पहियों को जो सदैव चलते रहते हैं,
उथल-पुथल में तेरी शंख ध्वनि,
निराशा की जकड़न से बचाता है।
अँधेरे और खड़ी दोनों राहों में मार्गदर्शन करना,
"जन गण पथ," आपका ज्ञान हम रखते हैं,
आपकी जय हो, भाग्य की डोर का हम पता लगाते हैं,
जीवन की जटिल भूलभुलैया के माध्यम से एक मार्गदर्शक।
अँधेरी रात की निराशा में,
आपका आशीर्वाद एक जागरूक प्रार्थना की तरह है,
"जन गण दु:ख-त्रायक," हम पाते हैं,
राहत और सांत्वना, आप में गुँथी हुई।
रात के आलिंगन से भोर की रोशनी तक,
जैसे ही सूरज रात को ख़त्म करने के लिए चढ़ता है,
आशा को पंख लगते ही "रात्रि प्रभातिल"
नये जीवन का अमृत, पंछी गाते हैं।
आपकी करुणा की उज्ज्वल चमक से,
भारत एक सपने से जागता है,
हम आपके चरणों में सिर रखते हैं प्रिय,
विजय क्षेत्र में "जया राजेश्वर"।
विजयी कदमों के साथ, नियति की योजना,
जैसे गान और आस्था एक अंतराल में एक हो जाते हैं,
"जन गण मन" और इसकी उत्कट अपील,
आपके दिव्य आलिंगन में, हम स्वतंत्र हैं।
छंदों में जो गूंजते हैं, दिल जुड़ते हैं,
कोरस में "जया हे", एक खुशी का संकेत,
आपकी जय हो, सर्वोच्च शासन,
समय की शृंखला से परे, नियति का आकार।
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