गुरुवार, 13 जुलाई 2023
पुरुष सूक्तम ऋग्वेद का एक भजन है, जो हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथों में से एक है। यह 16 श्लोकों वाला एक भजन है जो ब्रह्मांड की रचना और ईश्वर की प्रकृति का वर्णन करता है। "पुरुष" शब्द का अर्थ "व्यक्ति" या "मनुष्य" है और भजन में पुरुष को एक विशाल प्राणी के रूप में वर्णित किया गया है जो सारी सृष्टि का स्रोत है।
भजन की शुरुआत पुरुष को एक विशाल प्राणी के रूप में वर्णित करने से होती है जो पूरे ब्रह्मांड में फैला हुआ है। उसका सिर आकाश है, उसके पैर पृथ्वी हैं, और उसकी सांस हवा है। उसका शरीर ब्रह्मांड के विभिन्न तत्वों से बना है, और उसकी इंद्रियाँ प्रकृति की विभिन्न शक्तियाँ हैं।
फिर भजन यह वर्णन करता है कि पुरुष का बलिदान कैसे किया गया, और उसका शरीर ब्रह्मांड के विभिन्न भाग कैसे बन गया। उसका सिर आकाश बन गया, उसके पैर पृथ्वी बन गए, उसकी सांसें हवा बन गईं, इत्यादि। भजन में यह भी बताया गया है कि कैसे पुरुष के बलिदान ने समाज में विभिन्न वर्गों के लोगों का निर्माण किया।
पुरुष सूक्तम एक जटिल और गहन भजन है जिसकी कई अलग-अलग तरीकों से व्याख्या की गई है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
पुरुष सूक्तम का जाप करने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
- आध्यात्मिक उन्नति: माना जाता है कि पुरुष सूक्त का जाप व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने में मदद करता है। ऐसा कहा जाता है कि यह व्यक्ति को सर्वोच्च सत्ता से जुड़ने और वास्तविकता की प्रकृति की गहरी समझ हासिल करने में मदद करता है।
- मन की शांति: माना जाता है कि पुरुष सूक्त का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि यह तनाव और चिंता को कम करने और शांति और कल्याण की भावना को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- उपचार: माना जाता है कि पुरुष सूक्त का जाप करने से भी उपचार लाभ होता है। ऐसा कहा जाता है कि यह व्यक्ति के स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाने और दर्द और पीड़ा से राहत दिलाने में मदद करता है।
यदि आप पुरुष सूक्तम का जाप करने में रुचि रखते हैं, तो ऑनलाइन और पुस्तकालयों में कई संसाधन उपलब्ध हैं। आप भजन की कई अलग-अलग रिकॉर्डिंग भी पा सकते हैं, ताकि आप अपने स्वाद के अनुरूप एक पा सकें।
पुरुष सूक्तम भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत में लिखा गया है। यह हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथों में से एक ऋग्वेद में पाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस भजन की रचना 1500 और 1200 ईसा पूर्व के बीच हुई थी।
पुरुष सूक्तम का रचयिता अज्ञात है। हालाँकि, ऐसा माना जाता है कि इसकी रचना किसी वैदिक ऋषि या द्रष्टा ने की थी। यह भजन ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक शक्तिशाली और काव्यात्मक अभिव्यक्ति है।
पुरुष सूक्तम हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
पुरुष सूक्तम का जाप करने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
* **आध्यात्मिक उन्नति:** माना जाता है कि पुरुष सूक्त का जाप व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने में मदद करता है। ऐसा कहा जाता है कि यह व्यक्ति को सर्वोच्च सत्ता से जुड़ने और वास्तविकता की प्रकृति की गहरी समझ हासिल करने में मदद करता है।
* **मन की शांति:** माना जाता है कि पुरुष सूक्त का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि यह तनाव और चिंता को कम करने और शांति और कल्याण की भावना को बढ़ावा देने में मदद करता है।
* **उपचार:** माना जाता है कि पुरुष सूक्त का जाप करने से भी उपचार लाभ होता है। ऐसा कहा जाता है कि यह व्यक्ति के स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाने और दर्द और पीड़ा से राहत दिलाने में मदद करता है।
यदि आप पुरुष सूक्तम का जाप करने में रुचि रखते हैं, तो ऑनलाइन और पुस्तकालयों में कई संसाधन उपलब्ध हैं। आप भजन की कई अलग-अलग रिकॉर्डिंग भी पा सकते हैं, ताकि आप अपने स्वाद के अनुरूप एक पा सकें।
पुरुष सूक्त में 16 श्लोक हैं। यह हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथों में से एक ऋग्वेद में पाया जाता है। यह भजन एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक पेश करता है।
भजन की शुरुआत पुरुष को एक विशाल प्राणी के रूप में वर्णित करने से होती है जो पूरे ब्रह्मांड में फैला हुआ है। उसका सिर आकाश है, उसके पैर पृथ्वी हैं, और उसकी सांस हवा है। उसका शरीर ब्रह्मांड के विभिन्न तत्वों से बना है, और उसकी इंद्रियाँ प्रकृति की विभिन्न शक्तियाँ हैं।
फिर भजन यह वर्णन करता है कि पुरुष का बलिदान कैसे किया गया, और उसका शरीर ब्रह्मांड के विभिन्न भाग कैसे बन गया। उसका सिर आकाश बन गया, उसके पैर पृथ्वी बन गए, उसकी सांसें हवा बन गईं, इत्यादि। भजन में यह भी बताया गया है कि कैसे पुरुष के बलिदान ने समाज में विभिन्न वर्गों के लोगों का निर्माण किया।
पुरुष सूक्तम एक जटिल और गहन भजन है जिसकी कई अलग-अलग तरीकों से व्याख्या की गई है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का पहला श्लोक:
संस्कृत:
सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्त्राक्षः सहस्रपात। स भूमिं विश्वतो वृत्तत्यतिष्ठदशंगुलम् ॥
हिंदी अनुवाद:
हज़ार सिर वाला, हज़ार आंखों वाला, हज़ार पैरों वाला पुरुष है। उसने पृथ्वी को चारों ओर से घेर लिया, और दस अंगुल ऊँचा हो गया।
श्लोक में पुरुष को एक हजार सिर, एक हजार आंखें और एक हजार पैर वाले एक विशाल प्राणी के रूप में वर्णित किया गया है। वह इतना बड़ा है कि वह पूरे ब्रह्मांड को घेर लेता है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष ही समस्त सृष्टि का स्रोत है। वह सर्वोच्च प्राणी है, और वह सभी निर्मित प्राणियों का शासक है।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का दूसरा श्लोक:
**संस्कृत:**
एतावनस्य महिमातो ज्यायश्च पुरुषः।
पदोऽस्य विश्वा भूतानि त्रिपदास्यामृतं दिवि॥
**हिंदी अनुवाद:**
*उनकी महानता उन सभी महान चीज़ों से अधिक महान है।
उनके एक चरण से सभी प्राणी वास करते हैं, तीन चरण स्वर्ग में अमर हैं।*
यह श्लोक पुरुष की महानता का वर्णन करता है। वह सभी सृजित प्राणियों से महान है, और उसका शरीर ब्रह्मांड के विभिन्न तत्वों से बना है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष के दो पैर नश्वर संसार हैं, और तीसरा पैर अमर संसार है।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का तीसरा श्लोक।
**संस्कृत:**
त्रिपादोर्ध्व उदैत्पुरुषः पदोऽसयेहाभवत्पुनः।
ततो विश्वङ् विक्रमात्सनाशन्ने अभि ॥
**हिंदी अनुवाद:**
*पुरुष के तीन भाग ऊपर चले गये, एक भाग यहीं रह गया।
उसमें से वह सब दिशाओं में फैल गया, खाता रहा और न खाता रहा।*
श्लोक में वर्णन किया गया है कि पुरुष का बलिदान कैसे हुआ, और उसका शरीर ब्रह्मांड के विभिन्न भाग कैसे बन गया। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष के तीन भाग ऊपर अमर लोक में चले गए, और एक भाग यहीं, नश्वर संसार में रह गया। जो भाग यहीं रह गया वह सृजित संसार है, जो ब्रह्माण्ड के विभिन्न तत्वों से बना है।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिन्दी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का चौथा श्लोक:
**संस्कृत:**
ब्राह्मणोऽस्य मुखं विश्वतोमुखी शिरसि विष्णुर आसीत्,
पद्भ्यां भुवनत्रये स्थिरः।
**हिंदी अनुवाद:**
*ब्राह्मण उसका मुख था, सर्वव्यापी विष्णु उसके सिर पर था,
और उनके चरणों से तीनों लोकों की स्थापना हुई।*
श्लोक में वर्णन किया गया है कि कैसे पुरुष का शरीर ब्रह्मांड के विभिन्न भाग बन गया। श्लोक में यह भी कहा गया है कि ब्रह्मा, निर्माता देवता, पुरुष का मुख था। विष्णु, संरक्षक देवता, पुरुष के सिर पर थे। शिव, संहारक देवता, पुरुष के चरण थे। तीन लोक पृथ्वी, आकाश और स्वर्ग हैं।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का 5वाँ श्लोक:
संस्कृत:
तस्मादविराळजयत् विराजो अधिपुरुषः। स जातो अत्यरिच्यत् पश्चभूमिमथो पुरः ॥
हिंदी अनुवाद:
उससे विराज, तेजस्वी पुरुष का जन्म हुआ। वह पृथ्वी और आकाश से ऊँचा उठ गया।
श्लोक बताता है कि कैसे पुरुष के बलिदान ने समाज में विभिन्न वर्गों के लोगों का निर्माण किया। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष से विराज, चमकदार पुरुष का जन्म हुआ। विराज समाज में विभिन्न वर्गों के लोगों का स्रोत है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि विराज पृथ्वी और आकाश से ऊंचा उठ गया। यह इंगित करता है कि विराज सर्वोच्च प्राणी है, जो सभी निर्मित प्राणियों से बड़ा है।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का छठा श्लोक:
संस्कृत:
यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतनवत्। वसंतो अस्यसीदाज्यं ग्रीष्म इध्मः शरद्विः ॥
हिंदी अनुवाद:
जब देवताओं ने पुरुष को आहुति देकर यज्ञ किया, तो वसंत घी था, ग्रीष्म ईंधन था, और शरद ऋतु आहुति थी।
श्लोक में बताया गया है कि कैसे देवताओं ने पुरुष के बलिदान के माध्यम से ब्रह्मांड का निर्माण किया। श्लोक में यह भी कहा गया है कि देवताओं ने यज्ञ में प्रसाद के रूप में प्रकृति के विभिन्न तत्वों का उपयोग किया। वसंत घी था, ग्रीष्म ईंधन था, और शरद ऋतु आहुति थी। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष के बलिदान ने समाज में विभिन्न वर्गों के लोगों का निर्माण किया।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का 7वाँ श्लोक:
**संस्कृत:**
तम् यज्ञं बर्हिषि प्रुक्षण् पुरुषं जातमग्रतः।
ते देवा अयजन्त स ह जात एष तेन देवा अजायत् ॥
**हिंदी अनुवाद:**
*उन्होंने उस बलिदान को पवित्र घास पर चढ़ाया,
वह पुरुष जिसका जन्म सबसे पहले हुआ।
देवताओं ने उसका बलिदान दिया और उसका दोबारा जन्म हुआ।
उन्हीं से देवताओं का जन्म हुआ।*
श्लोक में बताया गया है कि कैसे देवताओं ने पुरुष के बलिदान के माध्यम से ब्रह्मांड का निर्माण किया। श्लोक में यह भी कहा गया है कि देवताओं ने पुरुष को पवित्र घास पर चढ़ाया, जो पवित्रता का प्रतीक है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि देवताओं ने पुरुष की बलि दी, और उसने फिर से जन्म लिया। यह इंगित करता है कि पुरुष का बलिदान एक चक्रीय प्रक्रिया थी, और इसी प्रक्रिया के माध्यम से ब्रह्मांड का निर्माण और स्थायित्व हुआ है।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का 8वाँ श्लोक।
**संस्कृत:**
एष ते योनिरायं पुरुष उतास्य तद्भवः।
अस्मिन् देवा अधि विश्वा भुवनानि तिष्ठन्ति ॥
**हिंदी अनुवाद:**
*यह तुम्हारा गर्भ है, यह पुरुष है, और यही तुम्हारा मूल है।
इसमें लोकों के सभी देवता निवास करते हैं।*
श्लोक बताता है कि ब्रह्मांड की रचना और पालन-पोषण पुरुष द्वारा कैसे किया जाता है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि देवता ब्रह्मांड में निवास करते हैं, और वे ब्रह्मांड की व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। श्लोक में यह भी कहा गया है कि ब्रह्मांड पुरुष की अभिव्यक्ति है, और पुरुष के माध्यम से ही ब्रह्मांड का निर्माण और पालन-पोषण होता है।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्तम का 9वां श्लोक।
**संस्कृत:**
त्रेधा कृतं पुरुषं विभाति देव सप्तधा विभाति।
अष्टधा निहितं पुरुषं ततो विज्ञाय प्रभुमीषम् ॥
** हिंदी अनुवाद:**
*पुरुष को तीन भागों में विभाजित किया गया है,
और देवताओं को सात भागों में विभाजित किया गया है।
पुरुष आठ भागों में छिपा हुआ है,
और उसी से प्रभु और स्वामी का ज्ञान होता है।*
श्लोक बताता है कि ब्रह्मांड की रचना और पालन-पोषण पुरुष द्वारा कैसे किया जाता है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि देवताओं को सात भागों में विभाजित किया गया है, और वे प्रकृति की विभिन्न शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष आठ भागों में छिपा हुआ है, और ये भाग ब्रह्मांड के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। श्लोक में यह भी कहा गया है कि भगवान और गुरु को पुरुष से जाना जाता है, और यह इंगित करता है कि पुरुष ही सारी सृष्टि का स्रोत है।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्तम का 10वां श्लोक:
संस्कृत:
यत् पुरुषेणात् पुरुषः परिष्टभ्यते। तद्विज्याय पुरुषं विद्वान् अमृतत्वमाप्नोति ॥
हिंदी अनुवाद:
जिससे पुरुष घिरा हुआ है, वही पुरुष जाना जाता है। पुरुष को जानने से मनुष्य अमरत्व प्राप्त कर लेता है।
श्लोक बताता है कि ब्रह्मांड की रचना और पालन-पोषण पुरुष द्वारा कैसे किया जाता है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष ब्रह्मांड से घिरा हुआ है, और यह इंगित करता है कि पुरुष सभी सृष्टि का स्रोत है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष को जानने से व्यक्ति अमरता प्राप्त करता है, और यह इंगित करता है कि पुरुष ही अंतिम वास्तविकता है।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्तम का 11वाँ श्लोक:
संस्कृत:
एष पुरुषो ह्येक एव सदद्विजृमभ्यः। एतस्यैवाङ्गानि भूतानि समवर्तता ॥
हिंदी अनुवाद:
यह पुरुष एक है, परन्तु अपनी शक्तियों से अनेक हो जाता है। उसी से सभी प्राणियों की उत्पत्ति हुई है।
श्लोक बताता है कि ब्रह्मांड की रचना और पालन-पोषण पुरुष द्वारा कैसे किया जाता है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष एक है, लेकिन वह अपनी शक्तियों से अनेक हो जाता है। यह इंगित करता है कि पुरुष ब्रह्मांड में सभी विविधता का स्रोत है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि सभी प्राणी पुरुष से उत्पन्न हुए हैं, और यह इंगित करता है कि पुरुष ही अंतिम वास्तविकता है।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का 12वाँ श्लोक:
**संस्कृत:**
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासिद् बाहु राजन्यः कृतः।
उरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रोऽजायत ॥
**हिंदी अनुवाद:**
*ब्राह्मण उसका मुख था, भुजाएँ क्षत्रिय बनाईं।
जांघें वैश्य थीं, और उनके पैरों से शूद्र पैदा हुए थे।*
श्लोक बताता है कि कैसे समाज में विभिन्न वर्गों के लोगों का निर्माण पुरुष से हुआ। श्लोक में यह भी कहा गया है कि ब्राह्मण, पुरोहित वर्ग, पुरुष के मुख से बनाया गया था। क्षत्रिय, योद्धा वर्ग, पुरुष की भुजाओं से निर्मित हुए थे। वैश्य, व्यापारी वर्ग, पुरुष की जांघों से बनाए गए थे। शूद्र, मजदूर वर्ग, पुरुष के पैरों से बनाया गया था।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्तम का 13वाँ श्लोक:
**संस्कृत:**
नाभ्य आसीदन्तरिक्षं शीर्ष्नो द्यौः समवर्तत।
पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रत्तथा लोकां अकल्पयन ॥
** हिंदी अनुवाद:**
*उनकी नाभि मध्यवर्ती स्थान बन गई, उनके सिर ने स्वर्ग को धारण किया।
उसके पैरों से पृय्वी फैली, और उसके कानों से दिशाएं उत्पन्न हुईं।*
यह श्लोक वर्णन करता है कि किस प्रकार पुरुष से ब्रह्मांड के विभिन्न भागों का निर्माण हुआ। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष की नाभि मध्यवर्ती स्थान बन गई, उसके सिर ने स्वर्ग को धारण किया। उसके पैर पृथ्वी थे, और उसके कानों ने दिशाएँ बनाईं।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का 14वाँ श्लोक:
**संस्कृत:**
स एष पुरुषो विरज आविर्भवद् भुवनानि
यत् कल्पयते स एव तद्भविष्यति ॥
**हिंदी अनुवाद:**
* यह पुरुष, कलंक से मुक्त होकर, संसार में पैदा हुआ था।
वह जो भी योजना बनाएगा, वही पूरा होगा।*
श्लोक वर्णन करता है कि किस प्रकार पुरुष समस्त सृष्टि का स्रोत है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष कलंक से मुक्त है, और यह इंगित करता है कि पुरुष शुद्ध और परिपूर्ण है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष भविष्य की योजना बनाता है, और यह इंगित करता है कि पुरुष ब्रह्मांड के नियंत्रण में है।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्तम का 15वाँ श्लोक:
**संस्कृत:**
एतद् वेदाः सर्वा ह वा इदमेव।
यत्किञ्च जगत्त्र भवति।
तद्विज्याय पुरुषं विद्वान् अमृतत्वमाप्नोति ॥
**हिंदी अनुवाद:**
*सभी वेद केवल यही जानते हैं,
कि दुनिया में यही सब कुछ मौजूद है।
पुरुष को जानने से व्यक्ति अमरत्व प्राप्त कर लेता है।*
यह श्लोक पुरुष सूक्तम के संदेश का सारांश प्रस्तुत करता है। श्लोक में कहा गया है कि वेद, हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ, सिखाते हैं कि पुरुष ही सारी सृष्टि का स्रोत है। श्लोक में यह भी कहा गया है कि पुरुष को जानने से व्यक्ति अमरत्व प्राप्त करता है।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का 16वाँ श्लोक:
**संस्कृत:**
यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमन्यासन्।
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्यः शान्ति देवाः ॥
**हिंदी अनुवाद:**
*देवताओं ने यज्ञ सहित यज्ञ किया,
और उन्होंने पहला कानून स्थापित किया।
वे अपनी महानता के साथ स्वर्ग पर चढ़ गये,
जहां सिद्धि प्राप्त देवता निवास करते हैं।*
श्लोक में बताया गया है कि कैसे देवताओं ने पुरुष के बलिदान के माध्यम से ब्रह्मांड का निर्माण किया। श्लोक में यह भी कहा गया है कि देवताओं ने पहले कानून स्थापित किए, और ये कानून ब्रह्मांड की नींव हैं। श्लोक में यह भी कहा गया है कि देवता अपनी महानता के साथ स्वर्ग में चढ़ गए, और यह इंगित करता है कि देवता पूर्णता की स्थिति में हैं।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
हिंदी अनुवाद के साथ संस्कृत में पुरुष सूक्त का 17वाँ श्लोक:
संस्कृत:
एतस्मा एव पुरुषाद् विविधानि भुवनानि जातनि। पश्वः ससृप्यन्ते सृष्ट्वा वेदाश्च सर्वे॥
हिंदी अनुवाद:
इस पुरुष से, विभिन्न संसारों का जन्म हुआ, और जानवरों का निर्माण हुआ। इनके निर्माण के बाद ही सभी वेदों का जन्म हुआ।
श्लोक में वर्णन किया गया है कि किस प्रकार पुरुष से विभिन्न संसारों और जानवरों की रचना हुई। श्लोक में यह भी कहा गया है कि वेद, हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ, जानवरों की रचना के बाद बनाए गए थे। यह इंगित करता है कि वेद ब्रह्मांड का एक उत्पाद हैं, और वे केवल मानव आविष्कार का उत्पाद नहीं हैं।
पुरुष सूक्तम एक सुंदर और गहन पाठ है जो ईश्वर और ब्रह्मांड की प्रकृति की हिंदू समझ की एक झलक प्रदान करता है। यह हिंदू धर्म में एक केंद्रीय पाठ है, और इसे अक्सर धार्मिक समारोहों में पढ़ा जाता है। यह भजन हिंदुओं के बीच भी एक लोकप्रिय मंत्र है, और माना जाता है कि इसके आध्यात्मिक उत्थान, मन की शांति और उपचार सहित कई लाभ हैं।
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